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राजस्व बढ़ाने की कवायद में आंग्रे पोर्ट

Last Updated- December 14, 2022 | 8:17 PM IST

नजदीक के जेएसडब्ल्यू के जयगड पोर्ट से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामाना कर रहे चौगुले के आंग्रे पोर्ट ने सुनिश्चित राजस्व प्रवाह का खाका तैयार किया है, जो उसे मजबूत वैश्विक पहचान दिलाएगा। आंग्रे पोर्ट के मुख्य कार्याधिकारी सीपी जयकृष्णन ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘बंदरगाह से सटे चौगुले की मालिकाना वाली 280 एकड़ जमीन को रणनीतिक साझेदारों के माध्मय से विकसित करने की योजना है, जो बंदरगाह के साथ दीर्घावधि व टिकाऊ कारोबार विकसित कर सकते हैं। इस तरीके से हम अपने बंदरगाह के लिए प्रमुख ग्राहकों की ओर देख रहे हैं, जिससे एक निश्चित राजस्व प्रवाह सुनिश्चित हो सके।’
कृषि आधारित आंग्रे बंदरगाह नदी के तट वाला बंदरगाह है, जो इस समय सालाना 5 टन चीनी और मोलैसिस का निर्यात करता है। जयकृष्णन ने बताया, ‘हम इस समय कुछ रणनीतिक कारोबारी साझेदारों के साथ बात कर रहे हैं, जिनमें कुछ के साथ बातचीत अंतिम चरण में है। दरअसल हम पहले ही पहला प्रमुख ग्राहक पा गए हैं, जो बंदरगाह के भीतर खाद्य तेल की फैक्टरी लगाएगा और कंपनी के लिए सालाना 2 लाख टन कार्गो की हैंडलिंग करेगा। हमारा लक्ष्य अगले 3 साल में पूरी 280 एकड़ जमीन में औद्योगिक इकाइयां स्थापित करने का है।’
उद्योगों को जमीन, बिजली और पानी के साथ अपने बंदरगाह की की पेशकश कर चौगुले ग्रुप रणनीतिक कारोबार साझेदारी में निवेश करेगा।
जयकृष्णन ने कहा, ‘परिवहन के लिए जलमार्ग पर बने बंदरगाह के साथ जमीन एक मजबूत संयोजन है। किराये सुविधाएं देना उद्योगों के लिए आर्थिक रूप से व्यावहारिक है। इस निवेश के अलावा चौगुले समूह रणनीतिक साझेदारी परियोजना में कोई अतिरिक्त राशि के निवेश पर विचार नहीं कर रहा है।’
यहां पर करीब 25 लाख टन के वाणिज्यिक कार्गो उपलब्ध हैं और यह आंग्रे बंदरगाह और जयगड बंदरगाह के बीच विभाजित हैं, चौगुले समूह अपने इस केंद्र के लिए सुनिश्चित राजस्व प्रवाह की जरूरत देख रहा है। जेएसडब्ल्यू समूह के जयगड़ पोर्ट के पास इस समय उसके महाराष्ट्र में स्थित बिजली व स्टील संयंत्रों के लिए ज्यादा कैप्टिव कार्गो हैं।
चौगुले भी बंदरगाह को केमिकल हब के रूप में विकसित करने पर विचार कर रहा है, क्योंकि आसपास के इलाके के संयंत्र इस समय जेएनपीटी की सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं, जो फैक्टरी स्थल से 350-400 किलोमीटर दूर है जबकि आंग्रे पोर्ट महज 100 से 180 किलोमीटर दूर स्थित है।
उन्होंने कहा, ‘बंदरगाह को केमिकल हब बनाने की व्यावहारिकता के अध्ययन के लिए सलाहकारों की नियुक्ति की गई है।’  नदी के किनारे का बंदरगाह होने के कारण आंग्रे की सीमाएं हैं और यहां से मझोले आकार के वेसेल का ही परिचालन हो सकता है। इस  स्टार्टअप निजी पोर्ट की स्थापित क्षमता 30 लाख टन की है।  आंग्रे पोर्ट पर कुल निवेश 1000 करोड़ रुपये है, परिसर में शिपयार्ड भी है। इसका 80-85 प्रतिशत निवेश बंदरगाह के प्रवर्तकों से आया है।

First Published - December 13, 2020 | 11:35 PM IST

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