वाहन कलपुर्जा कंपनी Minda Corporation का ध्यान खुद के दम पर आगे बढ़ने में रहेगा और Pricol की 15.7 फीसदी हिस्सेदारी 400 करोड़ रुपये में खरीदने का मामला अभी वित्तीय निवेश भर है। मिंडा कॉर्प के रणनीति प्रमुख अंशुल सक्सेना ने रविवार को ये बातें कही।
शुक्रवार दोपहर मिंडा कॉर्प ने बीएसई को सूचित किया था कि उसने Pricol की 15.7 फीसदी हिस्सेदारी खुले बाजार से खरीदी है। शुक्रवार सुबह कोयंबटूर की कंपनी Pricol ने बीएसई को बताया था कि 15.7 फीसदी हिस्सेदारी के अधिग्रहण को लेकर मिंडा के इरादे की उसे कोई जानकारी नहीं है।
बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए साक्षात्कार में सक्सेना ने कहा, विलय-अधिग्रहण के जरिये बढ़त हासिल करने का मामला हमेशा मौजूद रहता है। अगर कोई मौका हमारे लिए रणनीतिक तौर पर सही हो और अगर वित्तीय तौर पर इसका मतलब बनता है तो हम निश्चित तौर पर उसका आकलन करेंगे। लेकिन निश्चित तौर पर खुद के दम पर आगे बढ़ना हमारी पहली प्राथमिकता है।
400 करोड़ रुपये के निवेश से पहले मिंडा ने Pricol के प्रवर्तकों से बातचीत क्यों नहीं की, इस पर उनका जवाब था – हम निवेश के मौके तलाश रहे थे। हमारे पास जितनी नकदी थी उस हिसाब से विभिन्न मौकों पर विचार करने के बाद हमें लगा कि Pricol हमारे लिए सबसे बेहतर है। पिछले 4-5 साल में इसने न सिर्फ वित्तीय तौर पर बेहतर प्रदर्शन किया है बल्कि इसके उत्पाद भी बेहतर हैं। इस लिहाज से हमने शेयर बाजार से कंपनी का शेयर लेने का फैसला किया।
मिंडा कॉर्प ने अपनी नकदी भंडार का इस्तेमाल प्राथमिक तौर पर Pricol सौदे में किया। सक्सेना ने कहा, पिछली तिमाही में हमारे पास करीब 360 करोड़ रुपये की नकदी थी और हमने उसका इस्तेमाल किया। हम कुछ कर्ज जुटा सकते हैं और इस पर अगले हफ्ते ही स्पष्टता होगी।
सक्सेना ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि क्या मिंडा कॉर्प की योजना Pricol में हिस्सेदारी बढ़ाने या कंपनी के अधिग्रहण की है। शुक्रवार को Pricol ने बीएसई को बताया था कि प्रवर्तक समूह मोहन फैमिली कंपनी के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्धहैं और अपनी हिस्सेदारी की द्वितीयक बिक्री का उनका कोई इरादा नहीं है।