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चीनी उत्पादन में अव्वल उत्तर प्रदेश

Last Updated- December 12, 2022 | 3:35 AM IST

देश में गन्ने का रकबा अधिक होने के कारण चीनी उत्पादन भी अधिक हुआ है। उत्पादन बढऩे के साथ इस साल निर्यात और घरेलू मांग भी अधिक रहने वाली है। देश में विपणन वर्ष 2020-21 में 15 जून तक चीनी उत्पादन 13 फीसदी बढ़कर 306.65 लाख टन पर पहुंच गया है। पिछले साल की अपेक्षा 72 फीसदी उत्पादन बढऩे के बावजूद महाराष्ट्र चीनी उत्पादन में प्रथम स्थान नहीं पा सका, जबकि उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन 12 फीसदी से अधिक लुढ़कने के बावजूद भी सबसे ज्यादा चीनी उत्पादन वाला राज्य बना हुआ है।
देश भर की अधिकांश चीनी मिलों की चिमनियां शांत हो चुकी है। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के मुताबिक चालू विपणन वर्ष में मौजूदा समय में देश में केवल पांच चीनी मिलें चल रही हैं। यानी चीनी उत्पादन अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है। चीनी विपणन वर्ष अक्टूबर से सितंबर तक होता है। इस्मा ने बयान जारी करके कहा है कि देश भर की चीनी मिलों ने एक अक्टूबर 2020 और 15 जून 2021 के बीच 306.65 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। यह पिछले साल की समान अवधि में उत्पादित 271.11 लाख टन से 35.54 लाख टन अधिक है। उत्पादन कम होने के बावजूद उत्तर प्रदेश देश का सबसे अधिक चीनी उत्पादन वाला राज्य बना हुआ है। चीनी उत्पादन वर्ष 2020-21 में 15 जून तक उत्तर प्रदेश में 110.61 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में उत्पादन 126.30 लाख टन रहा था। चीनी उत्पादन में शानदार रिकवरी करने के बावजूद महाराष्ट्र प्रथम स्थान पर नहीं पहुंच सका। राज्य में चीनी मिलों में काम बंद हो चुका है जिससे अब उत्पादन भी बढऩे वाला नहीं है। समीक्षाधीन अवधि के दौरान महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन पहले के 61.69 लाख टन से बढ़कर 106.28 लाख टन हो गया जो पिछले साल की अपेक्षा 72.28 फीसदी अधिक है। जबकि 41.67 लाख टन चीनी उत्पादन करके कर्नाटक तीसरे स्थान पर बना हुआ, कर्नाटक में पिछले साल 33.80 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।
देश में उत्पादन बढऩे के साथ निर्यात भी बढ़ा है। इस्मा के मुताबिक बंदरगाह की सूचना और बाजार रिपोर्ट के अनुसार, चीनी मिलों ने वर्ष 2020-21 के लिए 60 लाख टन चीनी निर्यात के सरकारी कोटे के मुकाबले अब तक 58 लाख टन चीनी के निर्यात का अनुबंध किया है। इसमें से करीब 45.74 लाख टन चीनी का निर्यात किया जा चुका है और जून 2021 में निर्यात की जाने वाली 5-6 लाख टन चीनी पाइपलाइन में है। जबकि चीनी उद्योग ने विपणन वर्ष 2019-20 के निर्यात कोटा के मुकाबले अक्टूबर-दिसंबर 2020 तिमाही में 4.49 लाख टन चीनी का निर्यात किया था। गौरतलब है कि हाल ही में, सरकार ने मौजूदा वैश्विक बाजार परिदृश्य का हवाला देते हुए, विपणन वर्ष 2020-21 के लिए चीनी के निर्यात में अपनी सहायता को 6,000 रुपये से घटाकर 4,000 रुपये प्रति टन कर दिया था। इस्मा ने कहा कि चीनी मिलें अपनी नकदी की स्थिति को मजबूत करने के लिए मुक्त सामान्य लाइसेंस (ओजीएल) के तहत और बिना किसी सरकारी सब्सिडी के चीनी का निर्यात कर रही हैं।
इस्मा ने कहा कि चीनी की मांग विपणन वर्ष 2020-21 में 260 लाख टन को पार कर सकती है, जबकि पिछले वर्ष यह मांग 253 लाख टन रही थी। उद्योग संगठन ने 70 लाख टन चीनी निर्यात का अनुमान लगाया है।
इस्मा ने कहा कि पिछले सत्र की तुलना में इस साल सितंबर अंत तक 8-10 लाख टन की अधिक घरेलू बिक्री के अलावा, चालू वर्ष में चीनी का निर्यात लगभग 70 लाख टन होने की उम्मीद है, जो उद्योग को विश्वास दिलाता है कि सितंबर 2021 में चीनी का शेष स्टॉक पिछले सत्र के शेष स्टॉक के मुकाबले 20-25 लाख टन कम रहेगा।

First Published - June 17, 2021 | 9:09 PM IST

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