अमेरिका द्वारा भारत पर 25% आयात शुल्क और रूस से रक्षा खरीद पर जुर्माने की घोषणा के बाद भारतीय निर्यातक समुदाय में चिंता की लहर दौड़ गई है। अंतरराष्ट्रीय कृषि नीति विशेषज्ञ और अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी ने इसे भारतीय झींगा के निर्यात पर ‘गंभीर’ प्रभाव वाला फैसला कहा है। उनके अनुसार, “यह बहुत बड़ा और चौंकाने वाला फैसला है। हमें मात्र 10-15% टैरिफ की उम्मीद थी, लेकिन ट्रंप प्रशासन का फैसला अप्रत्याशित और दंडात्मक रुख का संकेत है।” गुलाटी ने आगे कहा कि कम टैरिफ और अमेरिका के भौगोलिक निकटता की वजह से इक्वाडोर जैसे प्रतियोगी देशों को बड़ा लाभ मिलेगा, जिससे भारतीय झींगा अमेरिका में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएगा।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को भारत के खिलाफ यह सख्त निर्णय लिया, जो 1 अगस्त 2025 से लागू होगा। ट्रंप ने यह कार्रवाई भारत द्वारा रूस से सैन्य उपकरणों की खरीद और भारत की ‘आपत्तिजनक व्यापार नीतियों’ के चलते की है।
गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का झींगा निर्यात 4.88 अरब डॉलर पहुंच गया है, जो कुल समुद्री खाद्य निर्यात का 66% है। अमेरिका भारतीय झींगा का सबसे बड़ा बाजार है, जहाँ कच्चे (रॉ) झींगा के लगभग आधे निर्यात हिस्से की आपूर्ति की जाती है।
गुलाटी ने कहा कि ट्रंप के इस फैसले से भारत का झींगा उद्योग बुरी तरह प्रभावित होगा और इसका सीधा लाभ इक्वाडोर जैसे देशों को मिलेगा, जो अमेरिका से भौगोलिक रूप से करीब हैं और जिन पर कम शुल्क लागू है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अब अपने निर्यात बाजारों में विविधता लाने, नए व्यापार समझौतों पर ध्यान देने, और अमेरिका जैसे बाजारों के लिए रणनीतिक कूटनीतिक वार्ता तेज करने की जरूरत है। यदि अमेरिका और भारत के बीच कोई हल नहीं निकलता, तो देश के सबसे प्रमुख निर्यात क्षेत्रों में रोजगार और आमदनी पर दीर्घकालिक असर पड़ेगा। यह टैरिफ नीति अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों और भारतीय निर्यातकों के लिए बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है, जिसमें नीति स्तर पर तेज प्रतिक्रिया और रणनीति जरूरी है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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