सरकार द्वारा अरहर की बढ़ती कीमतों को काबू करने के लिए स्टॉक लिमिट लगाने के फैसले का फिलहाल असर पडता नहीं दिख रहा है। सरकार ने शुक्रवार को अरहर व उड़द पर स्टॉक लगाने की घोषणा की थी। इसके बाद शनिवार को जरूर इनकी कीमतों में हल्की गिरावट आई, लेकिन आज भाव फिर मजबूत हो गए। कारोबारियों के मुताबिक इनकी कम उपलब्धता को देखते हुए आगे भी कीमतों में खास गिरावट की संभावना नजर नहीं आ रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2022.23 में अरहर उत्पादन 34.2 लाख टन रहने का अनुमान है, जो वर्ष 2021.22 के उत्पादन 42.2 लाख टन से करीब 19 फीसदी कम है। देश में अरहर की खपत करीब 45 लाख टन है।
गिरने के बाद सुधरे अरहर के भाव
महाराष्ट्र के दलहन कारोबारी ललित भाई शाह ने बताया कि स्टॉक लिमिट लगने की खबर के अगले दिन शनिवार को भाव गिरे थे। लेकिन जितने इस दिन गिरे, उतने आज बढ़ गए क्योंकि बाजार में अरहर की आपूर्ति कमजोर है। जिंस विशेषज्ञ इंद्रजीत पॉल ने कहा कि शुक्रवार को बेंचमार्क मंडी अकोला में अरहर के भाव 10,500 रुपये थे, जो अब बढ़कर 10,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। बीते दो सप्ताह के दौरान अरहर के भाव 1000 रुपये क्विंटल बढ़ चुके हैं, जबकि साल भर में अरहर 4,000 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक महंगी हो चुकी है।
आगे भी अरहर सस्ती होने की संभावना कम
कारोबारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में अरहर के दाम गिरने की संभावना कम ही है। दिल्ली के दलहन कारोबारी अनिल गुप्ता ने बताया कि उत्पादन घटने से अरहर की उपलब्धता कम है। इसलिए स्टॉक लिमिट लगाने से अरहर की कीमतों में बड़ी गिरावट की उम्मीद नहीं है। पॉल ने कहा कि आगे अरहर के भाव 10,000 से 11,000 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में बने रहने की संभावना है। उड़द के भाव भी मौजूदा 7,000 से 8,000 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में 100 से 200 रुपये की घट बढ़ के साथ बने रहने की संभावना है।