मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के सहकारी दुग्ध संघों और दुग्ध संघों को अगले पांच वर्ष तक राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (NDDB) को सुपुर्द करने की सहमति दे दी है। ऐसा लगता है कि इससे अब मध्य प्रदेश में अमूल जैसा विवाद खड़ा हो सकता है।
राज्य में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इसका विरोध किया है। इससे पहले अमूल (Amul) द्वारा कर्नाटक के प्रमुख दूध ब्रान्ड ‘नंदिनी’ के कथित अधिग्रहण से विवाद गहराया था।
भोपाल में मंगलवार को मुख्यमंत्री मोहन यादव (CM Mohan Yadav) की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला हुआ। मध्य प्रदेश राज्य सहकारी डेरी संघ अपने उत्पादों का ‘सांची’ ब्रॉन्ड के तहत विपणन करता है।
विपक्षी दल कांग्रेस का कहना है कि इस तरह गुजरात की अमूल राज्य सरकार संचालित दूध ब्रॉन्ड सांची का ‘पीछे के दरवाजे’ से अधिग्रहण करना चाहती है।
आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, ‘बैठक में यह सहमति हुई कि मध्य प्रदेश राज्य सहकारी डेरी फेडरेशन और उससे जुड़े दुग्ध संघों का प्रबंधन व संचालन अगले पांच वर्षों तक एनडीडीबी करेगा। इस सिलसिले में अनिवार्य सहमतियां ली जाएंगी और कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।’
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि एनडीडीबी को जिम्मेदारी देने पर आम सहमति है ताकि किसानों और पशु पालकों की आमदनी बढ़े और राज्य दुग्ध उत्पादन में अग्रणी राज्य बने। उन्होंने कहा कि यदि जरूरत हुई तो इस उद्देश्य के लिए सहकारी अधिनियम में अनिवार्य संशोधन किए जाएंगे।