भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में प्रगति को लेकर आशावाद तथा ताजा विदेशी निवेश की उम्मीद के चलते सोमवार को रुपया मजबूत हुआ। बाजार के प्रतिभागियों ने यह जानकारी दी।
स्थानीय मुद्रा 13 पैसे बढ़कर 88.57 प्रति डॉलर पर बंद हुई जबकि पिछली बार यह 88.70 प्रति डॉलर पर बंद हुई थी। इस बीच, सरकारी बैंकों और संस्थानों द्वारा लगातार डॉलर की बिकवाली ने मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव को सीमित करने में मदद की।
आईएफए ग्लोबल के संस्थापक एवं सीईओ अभिषेक गोयनका ने कहा, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में प्रगति और संभावित विदेशी निवेश को लेकर आशावाद के चलते भारतीय रुपया मंगलवार को 13 पैसे की बढ़त के साथ 88.5675 पर बंद हुआ।
व्यापार मोर्चे पर सकारात्मक संकेतों से समग्र बाजार धारणा में सुधार हुआ और शेयरों में भी हल्की तेजी दर्ज की गई। उन्होंने कहा, सरकारी बैंकों और संस्थागत डॉलर विक्रेताओं ने निचले स्तरों पर समर्थन दिया, जिससे मुद्रा को स्थिर करने और तीव्र उतार-चढ़ाव को रोकने में मदद मिली।
हालांकि, स्थिर आयातक मांग और व्यापार वार्ता के नतीजों को लेकर अनिश्चितता ने आगे की बढ़त को सीमित कर दिया। बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि दोनों देशों के बीच बेहतर होते संवाद ने धारणा को बढ़ावा दिया है, लेकिन रुपये में निरंतर वृद्धि ठोस नीतिगत कदमों और मजबूत पूंजी निवेश पर निर्भर करेगी।
मेकलाई फाइनैंशियल सर्विसेज के उपाध्यक्ष रितेश भंसाली ने कहा, मुख्य समर्थन 88.30-87.50 पर है जबकि प्रतिरोध 88.80 के आसपास बना हुआ है। 88.50 से नीचे की गिरावट इस जोड़ी को 88.30 की ओर खींच सकती है जबकि 88.80 से ऊपर की निरंतर चाल 89.00 के मनोवैज्ञानिक क्षेत्र की ओर मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
डॉलर सूचकांक 99.55 पर लगभग स्थिर रहा जबकि पिछली बार यह 99.62 पर बंद हुआ था। यह छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को मापता है।