मालगाड़ी के अभाव में इस महीने भारत के कुल चावल निर्यात का एक तिहाई माल फंसा हुआ है। उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि इसकी वजह से भारत के ज्यादातर चावल निर्यातकों ने फरवरी महीने के लिए निर्यात कांट्रैक्ट करना रोक दिया है, जिससे विलंब शुल्क से बचा जा सके।
विश्व के सबसे बड़े चावल निर्यातकभारत से निर्यात सुस्त होने के कारण प्रतिस्पर्धी निर्यातकों जैसेे थाईलैंड, म्यांमार और वियतनाम को विदेश में बिक्री बढ़ाने और ज्यादा मुनाफा कमाने का अवसर मिल रहा है। निर्यात सुस्त होने से सरकार को किसानों से खरीद बढ़ाने के लिए बाध्य होना पड़ सकता है।
डीलरों ने कहा कि छत्तीसगढ़ से देश के पूर्वी तट पर स्थित बंदरगाह को भेजा जाने वाला 5,00,000 टन से ज्यादा चावल मालगाड़ी की कमी की वजह से फंसा हुआ है। यह भारत से इस महीने निर्यात के लिए रखे गए 15 लाख टन चावल निर्यात लक्ष्य का हिस्सा है। कृषि जिंस कारोबारी ओलम इंडिया के चावल कारोबार के वाइस प्रेसीडेंट नितिन गुप्ता ने कहा, ‘मालगाडिय़ों की कमी की वजह से उत्पादक केंद्रों से बंदरगाहों तक चावल नहीं पहुंच रहा है।’ उन्होंने कहा कि ट्रेन की उपलब्धता को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है, इसलिए कोई भी नए कार्गो की पेशकश नहीं कर रहा है।
रेलवे अधिकारियों ने इस समय वैगन उर्वरक और कोयला बिजली संयंत्रों पर लगा रखा है, जिससे जाड़े के समय में बिजली संयंत्रों को आपूर्ति बहाल रखी जा सके। कुछ महीने पहले कई संयंत्रों को चलाने के लिए कोयले की कमी हो गई थी।
भारत के सबसे बड़े चावल निर्यातक सत्यम बालाजी के कार्यकारी निदेशक हिमांशु अग्रवाल ने कहा कि भारत की शिपमेंट में देरी की वजह से निर्यातकों पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है क्योंकि वेसेल रेट बढ़कर 30,000 डॉलर प्रति माह हो गई है और कुछ निर्यातकों को तो 5,00,000 रुपये तक विलंब शुल्क देना पड़ा, जिससे मुनाफा खत्म हो गया।
कारोबारियों ने विलंब शुल्क की भरपाई के लिए विदेश भेजे जाने वाले चावल की ज्यादा कीमत लगानी शुरू कर दी। भारत के राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बीवी कृष्ण राव ने कहा कि ज्यादा दाम और शिपिंग में देरी की वजह से कुछ खरीदारों को थाईलैंड और म्यामार से सौदे करने को बाध्य होना पड़ रहा है।