प्रदेश सरकार के कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि आठ साल में दलहन के उत्पादन में करीब ढाई गुना की वृद्धि हुई है। जहां 2016-17 में दलहन का उत्पादन 23.95 लाख टन था वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 35.18 लाख टन हो गया। इसी अवधि में तिलहन के उत्पादन करीब डेढ़ गुने की वृद्धि हुई। वर्ष 2016-17 में तिलहन का उत्पादन 12.40 लाख टन था जो 2024-25 में बढ़कर 29.20 लाख टन हो गया। अधिकारियों का मानना है कि उत्पादन और रकबे में वृद्धि की यही स्थित रही तो अगले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश दलहन एवं तिलहन के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा। फिलहाल खाद्य तेलों की आवश्यकता के सापेक्ष 30-35 फीसद और दलहन की आवश्यकता के सापेक्ष प्रदेश में 40-45 फीसद ही उत्पादन हो रहा है।
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कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक दरअसल योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही विभागीय समीक्षा बैठक के दौरान ही दलहन एवं तिलहन के उत्पादन की रणनीति बनाने के साथ उत्पादन का लक्ष्य भी तय कर दिया गया था। इसके मुताबिक सरकार ने इन दोनों फसलों के उत्पादन के लिए जो रणनीति तैयार की थी उसके क्रियान्वयन पर 2027 तक 236 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इसके तहत दलहनी एवं तिलहनी फसलों के बीज के मिनीकिट उर्द, मूंग, अरहर, चना, मटर, मसूर का निःशुल्क वितरण, प्रगतिशील किसानों के यहां डिमांस्ट्रेशन और किसान पाठशालाओं के जरिये विशेषज्ञों द्वारा खेती के उन्नत तौर-तरीकों की जानकारी देना शामिल है। इस क्रम में सरकार 2017-18 तक 46,33,600 मिनीकिट का वितरण किसानों को उपलब्ध करा चुकी है। साथ ही स्थानीय स्तर पर कृषि विभाग की बीज विपणन इकाइयां अनुदान पर किसानों को फ़सली सीजन में उन्नत प्रजाति के आधारीय एवं प्रामाणिक बीज भी उपलब्ध करा रही है।
कृषि विभाग के प्रयासों के चलते वर्तमान में गन्ने एवं अन्य फसलों में सहफसल के रूप में और जायद की खेती में कम समय में पकने वाली मूंग,मसूर,मटर और उड़द की खेती पर खासा फोकस है। इसी तरह तिलहनी फसलों में तिल, मूंगफली, राई सरसों और अलसी के बीज एवं मिनिकिट शामिल हैं। मिनीकिट के वितरण और बीज उपलब्ध कराने के दौरान सरकार संबंधित क्षेत्र कृषि जलवायु का पूरा ध्यान रखती है।
साथ ही, द मिलेनियम फार्मर्स स्कूल किसान पाठशाला, कृषि मेलों और सीजन में होने वाली रबी एवं खरीफ की राज्य एवं मंडल स्तरीय गोष्ठियों में भी एक्स्पर्ट किसानों को रोग एवं कीट प्रतिरोधी उन्नत प्रजाति, खेत की तैयारी से लेकर बोआई के के फसल संरक्षण के उपाय पूर्व भंडारण, इंटरफ्रॉपिंग, बार्डर लाइन सोइंग और असमतल भूमि पर सूक्ष्म सिंचाई ड्रिप एवं (स्प्रिंकलर) के साधनों के जरिये दलहन एवं तिलहन की फसलों की बोआई के लिए जागरूक किया जा रहा है। सरकार को उम्मीद है कि इन सारे प्रयासों से 2026-27 तक दलहनी फसलों का रकबा बढ़कर 28.84 लाख हेक्टेयर और तिलहनी फसलों का रकबा 22.63 लाख हेक्टेयर हो जाएगा।
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First Published - May 21, 2025 | 4:10 PM IST
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