देश कोविड से त्रस्त अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए उपाय कर रहा है ऐसे में सभी पक्षों का ध्यान थोक और खुदरा महंगाई को नियंत्रण में रखने के उपायों पर हो सकता है।
अप्रैल 21 में सूचकांक
अप्रैल 2021 में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई सालाना आधार पर 10.49 फीसदी बढ़कर अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि ऐसा मुख्य तौर पर कच्चे पेट्रोलियम और खनिज तेल के दाम में इजाफा होने के कारण हुआ था।
मासिक आधार पर थोक मूल्य सूचकांक मार्च के 7.39 फीसदी के मकाबले 310 आधार अंक चढ़ा था।
आश्यर्चजनक रूप से उसी महीने भारत का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई घटकर 4.29 फीसदी पर आ गई। 12 मई को सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों से पता चलता है कि मोटे तौर पर ऐसा खाद्य कीमतों में कमी के कारण हुआ था। सीपीआई मुद्रास्फीति मार्च महीने में 5.52 फीसदी रही थी।
मुंबई स्थित इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट रिसर्च के निदेशक एस महेंद्र देव ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘पैदावार आने के बाद खाद्य महंगाई कम हो जाएगी लेकिन ऐसा कितने समय के लिए होता है यह देखना होगा क्योंकि आगामी महीनों में वैश्विक जिंस कीमतें मजबूत रहने के आसार दिख रहे हैं। गेहूं और चावल जिसका हमारे पास पर्याप्त भंडार है, को छोड़कर मुझे लगता है कि इस साल समग्र जिंस के भाव ऊंचे बने रहेंगे।’
घरेलू परिदृश्य
पिछले कुछ महीनों में जिन दो खाद्य जिंसों की कीमतों में बड़ी उछाल रही हैं वह दलहन और खाद्य तेल हैं। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय से मिले आंकड़ों के मुताबिक विगत एक वर्ष में मूंगफली के तेल का खुदरा भाव 30 से 80 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़ा है जबकि सरसों तेल 30 से 70 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ है।
इसी तरह से सोयाबीन तेल के मामले में खुदरा बाजारों में कीमतें एक साल में 40 से 70 रुपये प्रति लीटर तक चढ़ गई है।
भारतीय दलहन और अनाज संघ के उपाध्यक्ष बिमल कोठारी ने एक हालिया मीडिया कार्यक्रम में कहा, ‘इस साल चना और मसूर सहित दलहन की कमी रहेगी क्योंकि उत्पादन उम्मीद से कम रहा है। चना और मसूर की पैदावार कुछ ही दिनों पहले आई है। हमने केंद्र से कदम उठाने के लिए कहा है ताकि कीमतें आसमान न छुएं।’
बहरहाल इन सबके बावजूद खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय को बेहतरी की उम्मीद है। विभाग के कार्यों का ब्योरा देते हुए पांडेय ने संवाददाताओं से कहा, ‘खाद्य तेलों की स्थिति देखें तो अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कीमतों में गिरावट शुरू हो गई है, जबकि घरेलू बाजार में भी लॉकडाउन के कारण मांग 15-20 प्रतिशत कम है। दलहन के मामले में केंद्र सरकार स्थिति पर नजर बनाए हुए है और जब जरूरी होगा, कदम उठाए जाएंगे। ‘