महत्त्वपूर्ण राज्य विधानसभा चुनावों के बीच केंद्र सरकार ने प्याज और बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) हटा दिया है। वहीं गेहूं का स्टॉक रखने की सीमा सख्त कर दी गई है।
बासमती चावल पर पहली बार न्यूनतम निर्यात मूल्य पिछले साल 1,200 डॉलर प्रति टन तय किया गया था, उसके पहले यह 950 डॉलर प्रति टन था। बहरहाल हरियाणा और पंजाब के प्रमुख उत्पादक बाजारों में बासमती चावल की कीमत 1000 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक कम हुई है, जिसे देखते हुए किसान विदेश में बिक्री बढ़ाने के लिए निर्यात की सीमा हटाए जाने की मांग कर रहे थे।
हरियाणा में पिछले कुछ सप्ताहों में चुनाव होने जा रहे हैं, जो बासमती का बड़ा उत्पादक है। प्याज के मामले में न्यूनतम निर्यात मूल्य 550 रुपये प्रति टन तय किया गया था।
ज्यादातर घरेलू बाजारों में प्याज की कीमत स्थिर हो गई है। महाराष्ट्र के किसान प्याज उत्पादन करते हैं, जहां इसका उत्पादन होता है। वहां के किसान न्यूनतम निर्यात मूल्य की सीमा हटाए जाने की मांग कर रहे थे।
कुछ खबरों के मुताबिक वैश्विक स्तर पर प्याज की कमी है और एमईपी हटाए जाने से किसानों को बेहतर कीमत पाने में मदद मिलेगी।
कुछ खबरों के मुताबिक महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति का 2024 के आम चुनाव में प्रदर्शन खराब होने की वजह प्याज की कीमतों में गिरावट थी।
वहीं एक और फैसले के तहत केंद्र सरकार ने ट्रेडर्स और मिलर्स की गेहूं का स्टॉक रखने की सीमा को और सख्त कर दिया है। इसका मकसद अनाज की उपलब्धता बढ़ाना और कीमतों पर नियंत्रण है।
ताजा आदेश के मुताबिक कारोबारी अब सिर्फ 2,000 टन गेहूं रख सकते हैं, जबकि पहले 3,000 टन रख सकते थे।
सरकार ने गेहूं प्रसंस्कर्ताओं के भंडारण पर भी सख्ती की है। प्रसंस्करणकर्ता अब वित्त वर्ष के शेष महीनों में अपनी मासिक क्षमता का 60 प्रतिशत गेहूं रख सकते हैं, जो अब तक 70 प्रतिशत था। प्रस्संकरणकर्ताओं में बिस्कुट व ब्रेड बनाने वाली कंपनियां शामिल हैं।
पिछले कुछ सप्ताह में त्योहारी मांग के कारण गेहूं की घरेलू कीमतें बढ़कर करीब 2,700 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई हैं। उद्योग के एक वर्ग का कहना है कि हाल के वर्षों में गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में की गई बढ़ोतरी को देखते हुए गेहूं मौजूदा दाम ज्यादा नहीं हैं।