हाल के दिनों में सोने की कीमतों में गिरावट आई है, जिसकी वजह से भारत की सोने के आयात की संभावनाएं बढ़ी हैं।
पिछले सप्ताह तक सोने की बिक्री घरेलू बाजार में 250-300 रुपये प्रति 10 ग्राम छूट पर हो रही थी। इसकी वजह से प्रमुख कारोबारियों ने आयात पर रोक लगा दी और वे अपना पुराना माल अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचने में लगे थे।
इसी क्रम में भारत में सोने का आयात 2009 की पहली तिमाही में घटकर 20 टन रह गया, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 141.2 टन सोने का आयात हुआ था। बहरहाल, इस अवधि के दौरान भारत पहली बार एक निर्यातक देश के रूप में उभरकर सामने आया था। करीब 10 टन सोना विदेश भेजा गया, खासकर दुबई में, जो हाल तक सोने का प्रमुख पारंपरिक आपूर्तिकर्ता था।
इस अवधि के दौरा भारतीय बाजारों में छूट की दरें भी एक समान नहीं थीं, स्थानीय निर्यातकों ने इस दौरान करीब 25 करोड़ रुपये की कमाई की। एक विश्लेषक के मुताबिक भारतीय बैंकों ने वर्तमान में करीब 5-6 टन सोना रोक रखा है, जो मुश्किल से दो दिन के घरेलू खपत के बराबर है।
खपत का यह अनुमान पिछले साल के आयात के आंकड़ों के आधार पर लगाया जा रहा है। इसके साथ ही स्क्रैप का आना भी कम हो गया है। प्रयोग किए गए सोने की आवक में 50 प्रतिशत की कमी आई है, जो अभी तक औसतन प्रतिदिन 500 किलो थी।
इसे देखते हुए विश्लेषकों का मानना है कि रखा हुआ सोना खत्म होने की ओर है, जिसकी वजह से भारत को सोने का आयात करना पड़ेगा, जिससे इस मौसम की मांग को पूरा किया जा सके। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) के भारत उपमहाद्वीप के एमडी अजय मित्रा ने संकेत दिए हैं कि काउंसिल सोने के खरीदारों को वापस लाने की खास योजना बना रहा है।
आभूषणों की विभिन्न डिजायनों के माध्यम से ग्राहकों को आकर्षित करने की कोशिश की जाएगा। अगर हम एक डॉलर को भारतीय 50.5 रुपये के करीब के हिसाब से देखें तो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें करीब बराबर हैं। एक कारोबारी का कहना है कि इस तरह से अगर सोने का निर्यात किया जाता है तो कारोबारियों को इससे कोई फायदा नहीं होगा।
बांबे बुलियन एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश हुंडिया के मुताबिक फरवरी, मार्च में सोने का आयात शून्य रहा। अब अनुमान है कि सोने का आयात फिर से शुरू हो जाएगा। पिछले साल भारत ने 740 टन सोने का आयात किया था। मुंबई स्थित सोने के एक प्रमुख कारोबारी ने कहा कि आने वाले दिनों में सोने की मांग में सुधार होगा और इस स्तर पर कीमतें कम से कम एक सप्ताह के लिए स्थिर रहेंगी।