नए साल के साथ ही तेल-तिलहन कारोबारियों को सरकार की ओर से बड़ी राहत मिलने जा रही है। खाद्य, सार्वजनिक वितरण व उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने तेल-तिलहन से स्टॉक लिमिट हटाने का आदेश जारी कर दिया है। 31 दिसंबर 2022 के बाद तेल और तिलहन पर स्टॉक सीमा का नियम प्रभावी नहीं होगा। खाद्य तेल व्यापारियों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है।
केंद्रीय खाद्य आपूर्ति एवं ग्राहक संरक्षण विभाग द्वारा एक अधिसूचना जारी कर खाद्य तेल एवं तिलहन पर से स्टॉक सीमा हटाने का निर्णय लिया। खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों को काबू में करने के लिए केन्द्र सरकार ने फरवरी 2022 में तेल-तिलहन पर स्टॉक लिमिट लागू कर दी थी। मिलों, थोक कारोबारी और खुदरा कारोबारियों के लिए तेल-तिलहन के स्टॉक की अलग-अलग सीमाएं निर्धारित की गई थी। स्टॉक सीमा लागू करने के पीछे सरकार का उद्देश्य था तेल व तिलहन की जमाखोरी पर नियंत्रण रख बाजार में उपभोक्ताओं के लिए दाम स्थिर रखना था ।
2021 में सोयाबीन का उत्पादन गिरने के बाद खाद्य तेल की कीमतों में जोरदार तेजी आई थी। खाद्य तेलों के दाम लगातार बढ़ रहे थे। जिसके मद्देनजर सरकार की तरफ से यह निर्णय लिया गया था। बाजार के जानकारों का कहना है कि स्टॉक सीमा हटने के बाद तेल तिलहन के दामों में दोबारा मजबूती देखने को मिल सकती है। हालांकि तिलहन कारोबारी इस बात से इंकार कर रहे हैं।
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अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने कहा कि खाद्य तेल एवं तिलहन पर से स्टॉक सीमा हटाकर सरकार ने किसानों और व्यापारियों को राहत दी है, हम सरकार का आभार व्यक्त करते हैं। इस निर्णय से उपभोक्ताओं का भी फायदा होगा क्योंकि दाम काबू में रहेंगे और तेलों की आपूर्ति में विक्षेप नहीं होगा। सरकार द्वारा जब भी दाम बढ़ने पर स्टॉक सीमा लगाई जाती है तब-तब हमने इसका विरोध किया है क्योंकि स्टॉक सीमा लगने से दामों पर कोई भी असर नहीं होता है, खाद्य तेल की करीब 70 फीसदी आपूर्ति दूसरे देशों से होती है, यानी दाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तय होते हैं।
संगठन के महामंत्री तरुण जैन ने कहा कि इस निर्णय से तुरंत में आने वाली रबी फसलों को खरीदने में व्यापारियों को आसानी होगी इससे किसानों को अपना माल लेकर दरबदर भटकना नहीं पड़ेगा और उन्हें अपनी उपज की सही कीमत मिल सकेगी।