बीते कई सालों से होली में ठंडे रहे बाजार को इस बार रमजान के दिनों में त्योहार पड़ने से रौनक की उम्मीद है। मार्च के शुरुआती दिनों से ही बढ़ रही खरीदारों की आमद ने कारोबारियों का हौसला बुलंद किया है। उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में महाशिवरात्रि के बाद से ही बाजार होली और ईद की खरीदारों के स्वागत के लिए सज चुका है। वहीं प्रदेश के प्रमुख तीर्थ स्थलों मथुरा-वृंदावन, वाराणसी और अयोध्या में बड़ी तादाद में श्रद्धालुओं की आमद होने लगी है।
राजधानी लखनऊ के यहियागंज में पिचकारियों, रंग, गुलाल, टोपियों और टी-शर्ट की सैकड़ों दुकानें सज चुकी हैं तो नक्खास बाजार ईद के लिए बिकने वाले वाले कपड़ों, टोपियों, सेवईयों और इफ्तारी के सामान से पट चुका है। उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों से खुदरा व्यापारी होली व ईद के सामान की खरीद के लिए राजधानी लखनऊ का रुख करते हैं।
दूसरी तरफ प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थलों जैसे वाराणसी, मथुरा-वृंदावन और अयोध्या में होली से पहले ही श्रद्धालुओं की आमद बढ़ने लगी है। वृंदावन में बरसाने की होली देखने इस साल 10 लाख के करीब देशी-विदेशी पर्यटक आ रहे हैं, वहीं अबकी बार वाराणसी और अयोध्या में भी होली के पहले से ही होटलों, गेस्ट हाउसों में नोरूम का बोर्ड टंगने लगा है।
यहियागंज में पिचकारियों की सबसे बड़ी दुकान लगाने वाले कामरान बताते हैं कि इस बार बाजार में चीनी माल न के बराबर है और केवल दिल्ली का बना माल ही बिक्री के लिए रखा गया है। उनका कहना है कि स्प्रे, पिस्तौल, मशीनगन वाली पिचकारियों की जगह इस बार सिंगल शाट पंप वाली पिचकारी सबसे ज्यादा मांग में हैं। जहां बाहर के कारोबारी फरवरी के आखिरी हफ्ते से ही आना शुरू हो गए थे वहीं राजधानी के विभिन्न मोहल्लों के व्यापारी अब बाजार में आ रहे हैं।
कामरात के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले रेट में भी कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है। बच्चों में पसंद की जाने वाली पिस्तौल के खिलौने वाली पिचकारी 700 रुपये सैकड़ा थोक में तो 10-12 रुपये फुटकर में बिक रही है। हालांकि इस श्रेणी में 25 से 90 रुपये तक का माल भी उपलब्ध है। मशीनगन वाली बड़ी पिचकारी 200 से लेकर 500 रुपये की कीमत पर उपलब्ध हैं। सबसे ज्यादा मांग वाली सिंगल शाट पंप एक्शन की पिचकारी थोक बाजारों में 30 रुपये से 120 रुपये तक कीमत पर मिल रही है।
इसी बाजार में रंग, गुलाल का थोक व्यवसाय करने वाले आरके मिश्रा का कहना है कि पिछले साल के मुकाबले रंग व गुलाल की कीमत बिलकुल नहीं बढ़ी हैं। बड़ी तादाद में कंपनियों ने हर्बल गुलाल के पैकेट बाजार में उतारे हैं जिनकी बिक्री जमकर हो रही है। पहले के मुकाबले हर्बल गुलाल अब कम कीमत में ही उपलब्ध है। नेशनल बॉटनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (NBRI) और आर्गेनिक इंडिया जैसी विख्यात संस्थाओं का हर्बल गुलाल जहां थोड़ा ज्यादा कीमत पर मिल रहा है, वहीं छोटी कंपनियों ने 30 से 50 रुपये के भी पैकेट उतारे हैं। होली के दिन पहनने वाली आकर्षक टोपियों व टी-शर्ट्स की भी जम कर बिक्री हो रही है।
व्यापार मंडल के पदाधिकारी मुन्नू मिश्रा बताते हैं कि इस बार होली के मौके पर 3,500 करोड़ रुपये के कारोबार का आस केवल राजधानी लखनऊ के बाजारों में है।
इस बार मुस्लिमों के लिए पवित्र महीना रमजान के दौरान ही होली पड़ रही है और इसके चलते भी बाजारों में खासी रौनक दिख रही है। राजधानी लखनऊ के नक्खास, मौलवीगंज और अकबरी गोट के बाजार में सेवईयां, खजूर, कपड़े, टोपियां और अन्य ईद के सामान भरे नजर आ रहे हैं तो पुराने अमीनाबाद बाजार में ईद व होली दोनो के खरीदार भरे पड़े हैं। नक्खास और मौलवीगंज में सैकड़ों सेवई की दुकाने सजी हुई हैं। हालांकि आटे व मैदे की कीमतों में तेजी के चलते सेवई की कीमत पिछले साल के मुकाबले बढ़ी हैं पर खरीदारों के उत्साह में कमी नहीं है।
बीते साल भी होली का त्योहार रमजान के ही महीने में पड़ा था और लखनऊ व वाराणसी से 500 करोड़ से ज्यादा का मुंबई का कारोबार हुआ था। इस बार इसमें 20 फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है। नक्खास में सेवई की दुकान चलाने वाले मसूद अहमद बताते हैं कि जीरो नंबर वाली किमामी सेवई हर बार की तरह सबसे ज्यादा मांग में तो केसरिया सेवई भी खूब बिक रही है। किमामी सेवई इस बार 100 रुपये किलो तो केसरिया सेवई की कीमत 160 से 350 रुपये किलो के बीच चल रही है। वाराणसी से आने वाली भुनी सेवई की भी खासी मांग हो रही है। राजधानी लखनऊ के पुराने इलाकों में सेवई तैयार करने से 100 से भी ज्यादा कारखाने हैं जहां रात-दिन काम चल रहा है। लखनऊ और वाराणसी की सेवई स्थानीय बाजारों के अलावा मुंबई, दिल्ली और हैदराबाद तक में बिकने जाती है।
पहले महाकुंभ में प्रयागराज आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ ने वाराणसी, अयोध्या और यहां तक की मथुरा-वृंदावन का रुख किया था और अब होली पर भी इन स्थलों पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ रही है। मथुरा-वृंदावन में जहां बरसाना की पारंपरिक होली देखने के लिए देश-विदेश के 10 लाख पर्यटक उमड़े हैं, वहीं वाराणसी व अयोध्या में भी कम भीड़ नहीं हो रही है। महाकुंभ के बाद अब होली के पहले से ही वाराणसी और अयोध्या के होटल, गेस्ट हाउस और होम स्टे में कमरों की मांग बढ़ गयी है।
अयोध्या के मुकेश श्रीवास्तव बताते हैं कि राम मंदिर के निर्माण के बाद से रामलला संग होली खेलने की इच्छा रखने वाले श्रद्धालु पिछली साल भी बड़ी तादाद में अयोध्या आए थे और इस बार तो और भी लोगों की आमद हो रही है। वाराणसी में फरवरी के पहले हफ्ते से आ रही भीड़ थमने का नाम नहीं ले रही है।
इस बार काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट ने नवीन सनातन नवाचार के तहत कृष्ण जन्मस्थान मथुरा में विराजमान लड्डू गोपाल के लिए उपहार भेजने की शुरुआत की है। काशी की रंगभरी एकादशी, मणिकर्णिका पर होने वाली श्मशान की होली और होली के दिन के जुलूस के आकर्षण के चलते साल दर साल श्रद्धालुओं व पर्यटकों की भीड़ बढ़ रही है। काशी के व्यापारियों का कहना है कि होली के मौके पर यहां रंग, गुलाल, ठंडाई, कपड़ों और अन्य सामान का 3,000 करोड़ रुपये का कारोबार हो सकता है।