facebookmetapixel
KSH International IPO: अब तक 28% भरा इश्यू, सब्सक्राइब करना चाहिए या नहीं; ग्रे मार्केट ये दे रहा इशारा77% तक रिटर्न देने को तैयार ये Realty Stock! ब्रोकरेज ने कहा- नए शहरों में विस्तार से तेजी की उम्मीदCAFE-3 मानकों पर विवाद अब PMO तक पहुंचा, JSW MG और Tata Motors ने उठाया मुद्दाPaytm पर खतरे की घंटी! Infosys और Britannia पर दांव लगाने की सलाह, चेक करें टारगेट्स, स्टॉप-लॉसStocks to Watch today: HCLTech से लेकर Tata Motors और Paytm तक, गुरुवार को इन 10 स्टॉक्स पर रखें नजरचुनाव से पहले बिहार की तिजोरी पर भारी बोझ, घाटा तीन गुना बढ़ाStock Market Update: शेयर बाजार की कमजोर शुरुआत, सेंसेक्स 145 अंक टूटा; निफ्टी 25800 के नीचे फिसलाक्या देरी से बिगड़ रही है दिवाला समाधान प्रक्रिया?मनरेगा बचाने के लिए सड़क पर उतरेंगे मजदूर, 19 दिसंबर से आंदोलनअनुसंधान व शिक्षा का वैश्विक केंद्र बनेगा भारत, विदेशी यूनिवर्सिटियों को न्योता

‘जारी रहेगा जिंसों का समर्थन मूल्य’

Last Updated- December 14, 2022 | 11:02 PM IST

केंद्रीय वित्त एवं कंपनी मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था जारी रहेगी और इसे किसी तरीके से वापस नहीं लिया जाएगा। उन्होंने कहा किए इसे लेकर अनावश्यक भ्रम फैलाया जा रहा है।
चेन्नई में संवाददाताओं से बात करते हुए उन्होंने कहा कि 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार बनने के बाद से चावल व गेहूं समेत अन्य कृषि उत्पादों का एमएसपी बढ़ा है।
उन्होंने कहा कि 20-22 जिंसों को अधिसूचित किया गया था, जबकि सिर्फ गेहूं और चावल का एमएसपी मिल रहा था, जबकि 2014 के बाद अन्य मोटे अनाज, तिलहन और मसालों का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य तय हुआ है और आयात पर निर्भरता घटी है।
उन्होंने कहा कि गेहूं और चावल का एमएसपी तय होने की वजह से तमाम किसानों ने अन्य फसलों की जगह गेहूं और धान की खेती करनी शुरू कर दी। उन्होंने कृषि कानून में तीन सुधारों के बारे में कहा कि इससे किसानों की स्थिति में सुधार होगा।
सरकार ने कृषक उत्पाद कारोबार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्य आश्वासन पर कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) समझौता और कृषि सेवा अधिनियम 2020 तथा आवश्यक जिंस (संशोधन) अधिनियम, 2020 पेश किए हैं।
इस समय किसान अपने उत्पाद के मूल्य और उसे किसको बेचना है, इसके बारे में फैसला कर सकते हैं। वे दूसरे राज्यों में उत्पाद बेच सकते हैं। राज्य कृषि बाजारों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सीतारमण ने कहा कि किसानों को 8 से 8.5 प्रतिशत तक विभिन्न तरह के कर का भुगतान मंडियों में और मध्यस्थों को करना पड़ता था, अब इसकी जरूरत नहीं होगी। मंत्री ने कहा कि अब यह कर कम होगा और किसान अगर बाहर बिक्री करते हैं तो उन्हें कर का भुगतान नहीं करना होगा।
उन्होंने कहा, ‘जब कॉर्पोरेट और किसानों के बीच स्वीकार्य मूल्य पर बात हो जाएगी तो ग्राहकों को भी इससे फायदा होगा।’
उन्होंने कहा कि कृषि विधेयक पेश किए जाने के पहले इस मसेले पर किसानों और कृषि विशेषज्ञों के साथ व्यापक रूप से चर्चा की गई थी। ये बिल किसानों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए पेश किए गए हैं।
सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस ने 2019 लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में कृषि उत्पाद मंडी समिति (एपीएमसी) खत्म करने और किसानों को कहीं भी उत्पाद बेचने की अनुमति दिए जाने का वादा किया था। उन्होंने आश्चर्य जताया कि कांग्रेस अपने मतदाताओं को धोखा दे रही है, जिन्होंने घोषणापत्र के वादे को मानकर पार्टी को वोट दिया था।

First Published - October 6, 2020 | 11:18 PM IST

संबंधित पोस्ट