facebookmetapixel
₹30,000 करोड़ का बड़ा ऑर्डर! Realty Stock पर निवेशक टूट पड़े, 4.5% उछला शेयरG-7 पर ट्रंप बना रहे दबाव, रूसी तेल खरीद को लेकर भारत-चीन पर लगाए ज्यादा टैरिफ10 मिनट डिलीवरी में क्या Amazon दे पाएगी Blinkit, Swiggy को टक्कर? जानें ब्रोकरेज की रायसी पी राधाकृष्णन ने भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के तौर पर ली शपथSBI, Canara Bank समेत इन 5 स्टॉक्स में दिखा ब्रेकआउट! 24% तक मिल सकता है रिटर्नInfosys buyback: 5 दिन में मार्केट कैप ₹40,000 करोड़ बढ़ा, ब्रोकरेज ने कहा- खरीदें, ₹1,880 जाएगा भावबड़ी कंपनियां बिजली के खर्च में बचा रहीं करोड़ों, जानें 20 साल में कैसे बदली तस्वीरचांदी के भाव ऑल टाइम हाई पर, सोना भी हुआ महंगाStocks to watch today, Sep 12: NBCC, RailTel समेत इन 17 स्टॉक्स पर आज रहेगी निवेशकों की नजर10 करोड़ शेयर वापस खरीदेगी Infosys, अब TCS-Wipro की बारी?

‘जारी रहेगा जिंसों का समर्थन मूल्य’

Last Updated- December 14, 2022 | 11:02 PM IST

केंद्रीय वित्त एवं कंपनी मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था जारी रहेगी और इसे किसी तरीके से वापस नहीं लिया जाएगा। उन्होंने कहा किए इसे लेकर अनावश्यक भ्रम फैलाया जा रहा है।
चेन्नई में संवाददाताओं से बात करते हुए उन्होंने कहा कि 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार बनने के बाद से चावल व गेहूं समेत अन्य कृषि उत्पादों का एमएसपी बढ़ा है।
उन्होंने कहा कि 20-22 जिंसों को अधिसूचित किया गया था, जबकि सिर्फ गेहूं और चावल का एमएसपी मिल रहा था, जबकि 2014 के बाद अन्य मोटे अनाज, तिलहन और मसालों का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य तय हुआ है और आयात पर निर्भरता घटी है।
उन्होंने कहा कि गेहूं और चावल का एमएसपी तय होने की वजह से तमाम किसानों ने अन्य फसलों की जगह गेहूं और धान की खेती करनी शुरू कर दी। उन्होंने कृषि कानून में तीन सुधारों के बारे में कहा कि इससे किसानों की स्थिति में सुधार होगा।
सरकार ने कृषक उत्पाद कारोबार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्य आश्वासन पर कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) समझौता और कृषि सेवा अधिनियम 2020 तथा आवश्यक जिंस (संशोधन) अधिनियम, 2020 पेश किए हैं।
इस समय किसान अपने उत्पाद के मूल्य और उसे किसको बेचना है, इसके बारे में फैसला कर सकते हैं। वे दूसरे राज्यों में उत्पाद बेच सकते हैं। राज्य कृषि बाजारों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सीतारमण ने कहा कि किसानों को 8 से 8.5 प्रतिशत तक विभिन्न तरह के कर का भुगतान मंडियों में और मध्यस्थों को करना पड़ता था, अब इसकी जरूरत नहीं होगी। मंत्री ने कहा कि अब यह कर कम होगा और किसान अगर बाहर बिक्री करते हैं तो उन्हें कर का भुगतान नहीं करना होगा।
उन्होंने कहा, ‘जब कॉर्पोरेट और किसानों के बीच स्वीकार्य मूल्य पर बात हो जाएगी तो ग्राहकों को भी इससे फायदा होगा।’
उन्होंने कहा कि कृषि विधेयक पेश किए जाने के पहले इस मसेले पर किसानों और कृषि विशेषज्ञों के साथ व्यापक रूप से चर्चा की गई थी। ये बिल किसानों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए पेश किए गए हैं।
सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस ने 2019 लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में कृषि उत्पाद मंडी समिति (एपीएमसी) खत्म करने और किसानों को कहीं भी उत्पाद बेचने की अनुमति दिए जाने का वादा किया था। उन्होंने आश्चर्य जताया कि कांग्रेस अपने मतदाताओं को धोखा दे रही है, जिन्होंने घोषणापत्र के वादे को मानकर पार्टी को वोट दिया था।

First Published - October 6, 2020 | 11:18 PM IST

संबंधित पोस्ट