केंद्रीय मंत्रिमंडल ने धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ा दिया है। अब धान के सामान्य ग्रेड का MSP 7 प्रतिशत बढ़कर 2,183 रुपये प्रति क्विंटल और ग्रेड-ए का MSP 6.94 प्रतिशत बढ़कर 2,203 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है।
कुल मिलाकर बढ़ोतरी 143 रुपये प्रति क्विंटल है, जो कुछ रिपोर्टों के मुताबिक पिछले एक दशक के दौरान की गई दूसरी सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। इस दशक में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी 2018-19 में की गई थी, जो 200 रुपये प्रति क्विंटल थी।
अन्य फसलों के लिए भी 5 से 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दलहन और तिलहन फसलों मूंग और मूंगफली की कीमत में की गई है।
खरीफ सीजन की प्रमुख दलहन मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2022-23 के 7,755 रुपये प्रति क्विंटल से 10.35 प्रतिशत बढ़ाकर 2023-24 में 8,558 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य में उम्मीद से ज्यादा बढ़ोतरी मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के पहले की गई है। सामान्यतया MSP में 4 से 6 प्रतिशत वृद्धि होती है। ये राज्य खरीफ की फसलों खासकर धान, दलहन और तिलहन के बड़े उत्पादक हैं।
कपास का MSP भी लंबे स्टैपल वेराइटी के लिए 10 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया।
आईग्रेन इंडिया में जिंस विश्लेषक राहुल चौहान ने कहा, ‘दालों के MSP में तेज बढ़ोतरी करने का सरकार का फैसला अच्छा कदम है। अल नीनो के कारण दलहन की फसल प्रभावित हो सकती है, लेकिन ज्यादा MSP से किसानों को दलहन की ज्यादा बोआई के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। खरीफ की सभी दलहन में मूंग का समर्थन मूल्य सबसे ज्यादा बढ़ाया गया है। मूंग कम अवधि में तैयार होने वाली फसल है।
ऐसे में राजस्थान के किसान मूंग की खेती बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं। साथ ही खरीद में 40 प्रतिशत की सीमा खत्म कर दी गई है, जिससे किसान अपनी ज्यादा फसल सरकार की एजेंसियों को बेच सकेंगे।’
अन्य फसलों में ज्वार और तिल का MSP भी बढ़ाया गया है, जिससे किसान कम पानी खाने वाली और ज्यादा पोषक वाली इन फसलों को बोने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
सोयाबीन और सूरजमुखी के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 6.95 प्रतिशत और 5.63 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। वहीं उड़द के MSP में पहले के साल की तुलना में कम बढ़ोतरी की गई है। 2023-25 में इसके दाम 5.30 प्रतिशत बढ़े हैं।
केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘यह बढ़ोतरी आक्रामक है और इसके पहले की गई 4 से 6 प्रतिशत वृद्धि की तुलना में बहुत ज्यादा है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर किसी फसल के उत्पादन में गिरावट आती है तो उसकी कीमत में तेज दर से बढ़ोतरी होगी और इससे महंगाई बढ़ेगी। MSP में इस बढ़ोतरी को भी रिजर्व बैंक अपनी नीतिगत दर तय करते समय कल ध्यान में रखेगा।’
बहरहाल मीडियम स्टेपल कपास किस्म का MSP 2023-24 में 8.88 प्रतिशत बढ़ा है और इसकी कीमत 2022-23 के 6,080 रुपये प्रति क्विंटल की तुलना में 6,080 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। वहीं लॉन्ग स्टेपल कपास की किस्म की कीमत 10.03 प्रतिशत बढ़ाकर 6,380 रुपये प्रति क्विंटल कर दी गई है, जो 7,020 रुपये प्रति क्विंटल थी।
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केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने संवाददाताओं से कहा, ‘पिछले कुछ साल में दालों का उत्पादन करीब 25 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि तिलहन का उत्पादन 30 प्रतिशत बढ़ा है। वहीं खाद्य महंगाई संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के कार्यकाल की तुलना में निचले स्तर पर बनी हुई है। इसकी वजह से किसानों की आमदनी बढ़ी है।’
बड़े आंदोलन की जरूरत
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अब निरस्त किए जा चुके कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन से भी बड़ा आंदोलन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी के लिए शुरू करना होगा।
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टिकैत ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सूरजमुखी के बीज खरीदने की मांग को लेकर मंगलवार को कुरुक्षेत्र के शाहाबाद में एक राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध करने वाले प्रदर्शनकारी किसानों पर हरियाणा पुलिस के लाठीचार्ज की निंदा की।
उन्होंने कहा, “MSP की मांग करने वालों पर देश में यह पहला लाठीचार्ज है”। उन्होंने कहा कि फसलों के लिए MSP एक अखिल भारतीय मुद्दा है। भाकियू के नेता ने कहा कि शाहाबाद में शुरू हुआ संघर्ष राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचेगा क्योंकि हर किसान विभिन्न फसलों के लिए MSP को लेकर चिंतित है।
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टिकैत ने करनाल में संवाददाताओं से कहा, “MSP के लिए दिल्ली (अब निरस्त कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन) से बड़ा आंदोलन करना होगा।” किसानों से मिलने और सूरजमुखी के बीज पर MSP की उनकी मांग का समर्थन करने के लिए टिकैत शाहाबाद पहुंचे।