23 मई से शुरू हुए 2000 रुपये के बैंक नोटों की वापसी में तेजी आई है, ऐसे लगभग 35 फीसदी नोटों को या तो जमा किया गया या बदला गया है। टॉप केंद्रीय बैंकिंग सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि 31 मार्च, 2023 तक 2000 रुपये के 18,111 लाख नोट प्रचलन में थे, जो वॉल्यूम के के हिसाब से प्रचलन का कुल 1.3% था।
आरबीआई ने 2018-19 में 2000 रुपए के नोट की छपाई बंद कर दी थी। प्रचलन में इन बैंक नोटों का कुल मूल्य 31 मार्च, 2018 को अपने चरम पर 6.73 लाख करोड़ रुपये से घटकर 31 मार्च, 2023 को 3.62 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो 31 मार्च, 2023 को प्रचलन में नोटों का केवल 10.8% है। गुजरात, पंजाब और नई दिल्ली कुछ ऐसे केंद्र हैं जहां 2000 रुपये के नोट की सबसे ज्यादा वापसी हुई है।
सूत्रों ने कहा कि अब तक लौटाए गए नोटों में से करीब 80 फीसदी को जमा कर दिया गया है जबकि बाकी को बदला गया है। पिछले महीने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा था कि बैंक को 2000 रुपये के 17,000 करोड़ रुपये के नोट मिले, जिसमें से 14,000 करोड़ रुपये के नोट जमा किए गए।
नोट वापस करने की रफ्तार में वृद्धि के बावजूद, बैंक को ज्यादा परेशानी का सामान नहीं करना पड़ा। 2016 में मोनेटाइजेशन की तरह बैंकों के बाहर लोगों की लंबी लाइने नहीं देखी गईं। गौरतलब है कि 2016 की नोटबंदी के बाद पुराने 500 रुपये के नोट और 1000 रुपये के नोट कानूनी रूप से बंद कर दिए गए थे।
Also read: RBI फिर रीपो रेट रख सकता है स्थिर, नीतिगत रुख पर टिकी निवेशकों की नजर
एक सूत्र ने कहा, “क्वांटम इस समय बहुत छोटा है। पिछली बार नोटबंदी के कारण 87% नोटों को वापस लिया गया था जबकि इस बार यह प्रचलन में कुल नोटों का केवल 10.8% है।”
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक के विश्लेषण के मुताबिक पूरी प्रक्रिया बाधारहित होने वाली है। उन्होंने कहा कि लोगों को बैंक शाखाओं में भीड़ लगाने का कोई कारण नहीं है क्योंकि उन्हें नोट जमा करने या बदलने के लिए चार महीने का समय मिलेगा।
19 मई को, RBI ने स्वच्छ नोट नीति और उपयोग में कमी का हवाला देते हुए 2000 रुपये के नोट को वापस लेने की घोषणा की थी। 23 मई से शुरू हुई वापसी की प्रक्रिया 30 सितंबर, 2023 तक जारी रहेगी। 2000 रुपये का नोट वैध रहेगा।
Also read: UPI एक्टिवेट करने के लिए अब नहीं चाहिए होगा डेबिट कार्ड, आधार ही होगा काफी
2000 रुपये के नोट को वापस लेने के बाद, बैंकिंग प्रणाली में तरलता बढ़ी है, सरकारी खर्च में वृद्धि से भी सहायता मिली है।
सोमवार और मंगलवार दोनों दिन, बैंकिंग प्रणाली में ज्यादा तरलता देखने को मिली – तरलता यानी लिक्विडिटी को बैंकों द्वारा आरबीआई के पास रखे जाने वाले पैसे से मापा जाता है – जो अभी 2 ट्रिलियन रुपये (200 लाख करोड़ रुपये) से अधिक है।