भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा लगातार दूसरे महीने नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करने की संभावना है।
ब्लूमबर्ग के एक सर्वे में 40 अर्थशास्त्रियों ने अनुमान जताया है कि RBI गुरुवार को रीपो रेट को 6.50 फीसदी पर अपरिवर्तित रखेगा। इससे यह संकेत मिलता है कि आने वाले महीनों में महंगाई और कम हो सकती है। उपभोक्ता मूल्य वृद्धि 18 महीने के निचले स्तर 4.7 फीसदी पर आ गई। RBI ने महंगाई को 2 से 6 फीसदी के बीच रखने का लक्ष्य रखा है।
सर्वे में शामिल हुए 13 अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) अपने बयान में ‘समायोजन की वापसी’ को बरकरार रखेगी, जबकि तीन अर्थशास्त्रियों ने इसके कमजोर पड़ने और शेष दो अर्थशास्त्रियों ने RBI के तटस्थ रुख में बदलाव का अनुमान लगाया है। बाकी अर्थशास्त्रियों ने अपने पूर्वानुमान साझा नहीं किए।
भारत के लेटेस्ट तिमाही वृद्धि के आंकड़े पिछले वित्त वर्ष के अनुमान से अधिक रहे। यह अब बढ़कर 7.2 फीसदी पर पहुंच गया है। भारत प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से आगे बढ़ रहा है।
बार्कलेज पीएलसी के अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा, ‘स्थिर विकास और कम होती महंगाई के बीच, RBI वैश्विक घटनाओं को किनारे से देखने का विकल्प चुन सकता है, विशेष रूप से भारत की बेहतर मैक्रो स्टेबिलिटी को देखते हुए।’
अधिकांश वैश्विक केंद्रीय बैंक आगे नीतिगत दरों में बढ़ोतरी पर रोक लगा रहे हैं क्योंकि वे पिछले कुछ समय में नीतिगत दरों में किए गए इजाफे के प्रभाव और वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में गिरावट का आकलन कर रहे हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व अगले सप्ताह अपनी बैठक में नीतिगत दरों में वृद्धि पर रोक लगा सकता है। हालांकि ऑस्ट्रेलिया के रिजर्व बैंक ने अप्रत्याशित रूप से मंगलवार को उच्च कीमतों का हवाला देते हुए प्रमुख नीतिगत दरों में वृद्धि की।
RBI गवर्नर ने पिछले महीने चेतावनी दी थी कि अगर महंगाई में कमी आई है तो भी ‘आत्मसंतोष के लिए कोई जगह नहीं है।’ डॉयचे बैंक एजी के अर्थशास्त्री कौशिक दास ने कहा कि RBI चालू वित्त वर्ष में 6.5 फीसदी के विकास लक्ष्य को बरकरार रखते हुए अपनी पिछली समीक्षा में महंगाई के अनुमान को 5.2 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर सकता है।
विश्लेषक इस बात पर नज़र रख रहे हैं कि RBI इस साल किस तरह से अल नीनो की संभावित घटना के आलोक में महंगाई के जोखिमों का आकलन करेंगा। अल नीनो के कारण सुखा पड़ सकता है, जिससे खाद्य कीमतें बढ़ जाती है। IMD ने इस वर्ष सामान्य मॉनसून के अपने पूर्वानुमान को बनाए रखा है, लेकिन भारत में बारिश के आगमन में कुछ दिनों की देरी हो सकती है।
HSBC होल्डिंग्स पीएलसी में भारत की अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा कि जहां मॉनसून के मौसम में भोजन, अनाज और चीनी के लिए स्टॉक पर्याप्त स्तर पर है, वहीं बारिश की कमी मुद्रास्फीति प्रबंधन को जटिल बना सकती है। उन्होंने कहा, ‘इस तरह, मुद्रास्फीति के खिलाफ युद्ध पूरी तरह से नहीं जीता गया है।’
मौद्रिक नीति समिति के सदस्यों की अलग-अलग व्याख्याओं को देखते हुए यह अनुमान लगाना मुश्किल हो रहा है कि किस बिंदु पर RBI रुख बदलने में सहज होगा। अप्रैल में, उनमें से पांच ने ‘समायोजन की वापसी’ पर ध्यान केंद्रित रहने के लिए मतदान किया, जबकि जयंत वर्मा (जो MPC के सबसे मुखर रेट-सेटर्स में से एक हैं) ने इस पर आपत्ति व्यक्त की।
DBS बैंक में अर्थशास्त्री राधिका राव ने 5 जून के एक नोट में कहा, ‘मौद्रिक नीति समिति दरों को अपरिवर्तित रखने के लिए सर्वसम्मति से मतदान कर सकती है, लेकिन दरों को बढ़ाने के रुख पर MPC सदस्यों की राय अलग हो सकती है।
ब्लूमबर्ग में भारत के अर्थशास्त्री अभिषेक गुप्ता ने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि RBI अपनी 8 जून की बैठक में रीपो रेट को 6.5 फीसदी पर बनाए रखेगा, लेकिन समायोजन की वापसी के अपने रुख को तटस्थ बनाकर एक डोविश धुरी बनाएं। यह मार्च और अप्रैल में महंगाई में आई तेजी से कमी की प्रतिक्रिया होगी।
तारीख से लगभग एक महीने तक RBI की नीतिगत दरें बढ़ने के बाद बॉन्ड ट्रेडर्स तरलता पर केंद्रीय बैंक के रुख का आकलन करेंगे। तब से ये दरें कम हो गई हैं।
2,000 रुपये के नोट को सर्कुलेशन से वापस लेने के RBI के निर्णय और सरकार को इसके बम्पर लाभांश भुगतान के बीच बॉन्ड रिडेम्पशन इनफ्लो में ढील दी गई है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के विश्लेषण के मुताबिक, नकद आरक्षित अनुपात में कटौती या केंद्रीय बैंक द्वारा खुले बाजार में बॉन्ड खरीद की तत्काल आवश्यकता को हटा दिया गया है।
बॉन्ड ट्रेडर्स केंद्रीय बैंक के रुख का इंतजार कर रहे हैं कि यह नीतिगत दरों में कटौती कब करेगा। अप्रैल में RBI के आश्चर्यजनक रूप नीतिगत दरों में इजाफा नहीं करने और वैश्विक कमोडिटी की कीमतों में कमी के बाद पिछले तीन महीनों में भारत में बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड में 45 आधार अंकों की कमी आई है।
लेखक:- अनूप रॉय और सुभदीप सरकार
अनुवादक:- अंशु