केंद्र सरकार ने पिछले सप्ताह के अंत में कुछ प्रमुख वस्तुओं के निर्यात पर सख्ती की है, जबकि खाद्य तेलों जैसी कुछ वस्तुओं पर आयात शुल्क में इजाफा किया है ताकि किसानों को अच्छी कीमत मिल सके और मुद्रास्फीति भी नियंत्रित रहे।
हालांकि कुछ जानकारों का मानना है कि केंद्र सरकार ने ये निर्णय हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड विधान सभा चुनाव और इसके बाद होने वाले महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव को देखते हुए लिए हैं। सरकार इस निर्णय से सोयाबीन और बासमती चावल जैसे प्रमुख जिंसों के दाम गिरने से प्रभावित ग्रामीण मतदाताओं खासकर किसानों को खुश करना चाहती है।
केंद्र सरकार ने पिछले सप्ताह निर्यात पर अंकुश संबंधित जो निर्णय लिए उनमें बासमती चावल पर लागू 950 डॉलर न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) और प्याज के निर्यात पर लागू 550 डॉलर न्यूनतम एमईपी को हटाने के साथ ही प्याज पर निर्यात शुल्क 40 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी करना शामिल है।
आयात संबंधी निर्णयों में सरकार ने शून्य आयात शुल्क पर पीली मटर आयात की अवधि 31 सितंबर से बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दी है। कच्चे पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर प्रभावी आयात शुल्क 12.5 फीसदी से बढ़ाकर 32.5 फीसदी कर दिया गया है। इसके साथ ही रिफाइंड तेल पर प्रभावी आयात शुल्क अब 13.75 फीसदी से बढ़कर 35.75 फीसदी किया गया है।