किसानों को सरकारी मंडियों से बाहर कृषि उत्पाद बेचने की अनुमति देने और अनुबंध आधारित कृषि को बढ़ावा देने वाला विधेयक आज शोर-शराबे के बीच राज्यसभा में पारित हो गया। विपक्षी दलों ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया और आनन-फानन में इसे पारित कराने पर सवाल उठाए।
विपक्षी दलों ने सरकार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली की व्यवस्था समाप्त करने का भी आरोप लगाया। विपक्षी दलों ने कहा यह विधेयक पारित होने के बाद छोटे किसानों को कोई लाभ नहीं मिलेगा और बड़ी कंपनियां अपनी शर्तों पर उनसे कृषि उत्पाद खरीदेंगी। दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सरकार के आला अधिकारियों ने विपक्षी दलों के आरोपों को खारिज कर दिया।
किसान समूहों ने भी इस विधेयक का विरोध किया है। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तरी प्रदेश में किसान समूहों ने विरोध प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि सरकार एमएसपी आधारित खरीद प्रणाली खत्म करने के लिए यह विधेयक लेकर आई है। हरियाणा में किसानों ने शुक्रवार को भारी विरोध प्रदर्शन किया, वहीं पिछले कुछ दिनों से पंजाब में भी किसान सड़कों पर उतर आए हैं। कृषि विधेयक के पारित होने के विरोध में किसान समूहों ने 25 सितंबर को पूरे देश में बंद का आह्वान किया है। इस बारे में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने कहा,’हम किसान अब सरकार को अपनी ताकत का अहसास कराएंगे। अगर सरकार ने विधेयक के प्रावधानों में बदलाव नहीं किए तो हम अगले पांच वर्षों के बाद हम उन्हें बदल देंगे। हम एमएसपी प्रणाली के साथ छेड़छाड़ या इसे समाप्त करने की कोशिश सफल नहीं होने देंगे।’
मलिक ने कहा कि वे कृषि विधेयकों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हम सरकार से विधेयक में यह प्रावधान जोडऩे के लिए कह रहे हैं कि राज्य नियंत्रित मंडियों से बाहर प्रत्येक फसल के लिए एमएसपी से नीचे लेनदेन नहीं होगा। इसी बीच, विपक्षी दल कांग्रेस ने अगले इन विधेयकों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की नीति तय करने के लिए अपने वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई है। विशेषज्ञों ने भी व्यापक विचार-विमर्श के बिना जल्दबाजी में विधेयक पारित कराने पर सवाल उठाए हैं। सेंटर फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर के कार्यकारी निदेशक डॉ. जी वी रामाजनेयुलु ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया,’सबसे पहले जिस तरह अध्यादेश लाए गए और उसके बाद बिना व्यापक विचार-विमर्श के बाद आनन-फानन में संसद में इन्हें पारित करा दिया गया उससे कई सवाल खड़े होते हैं।’
