केंद्र सरकार प्रत्यक्ष कर संहिता की व्यापक समीक्षा पर काम कर रही है। इसे आंतरिक समिति तैयार करेगी और 6 महीने के भीतर इसे परामर्श के लिए साझेदारों के बीच रखा जाएगा। वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘हम एक परामर्श प्रक्रिया अपनाएंगे और यह कैसे किया जाएगा, इस पर हम फैसला करेंगे। हम इसे लागू करने के लिए सहयोगी दृष्टिकोण अपनाना चाहेंगे।’ मल्होत्रा ने कहा कि यह कवायद नई प्रत्यक्ष कर संहिता लाने को लेकर नहीं है, बल्कि यह आयकर कानून की व्यापक समीक्षा होगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बजट पेश करते हुए घोषणा की थी कि केंद्र सरकार आयकर अधिनियम 1961 की व्यापक समीक्षा करेगी।
सीतारमण ने कहा, ‘इसका मकसद अधिनियम को संक्षिप्त, सुस्पष्ट, पढ़ने और समझने में आसान बनाना है। इससे विवाद और याचिकाओं में कमी आएगी और करदाताओं को कर में निश्चितता मिल सकेगी। इससे मुकदमेबाजी में उलझी मांग में भी कमी आएगी।’उन्होंने यह भी कहा था कि केंद्र सरकार स्रोत पर कर कटौती में चूक के मामलों में एक मानक संचालन प्रक्रिया पेश करेगी और ऐसे अपराधों के निपटान की प्रक्रिया को सरल और तर्कसंगत बनाएगी।
मल्होत्रा ने कहा कि केंद्र सरकार की कोशिश होगी कि करों के अमल की दिशा में सहज और बिन बाधा के सहयोगी नजरिया अपनाया जाए। उन्होंने कहा, ‘कराधान को लेकर हमारा दृष्टिकोण हमेशा सहयोगात्मक रहा है, न कि टकराव वाला। यह आगे भी जारी रहेगा। हमारे प्रस्तावों का मकसद यह है कि नीतिगत और और क्रियान्वयन दोनों मामलों में, जहां भी कर बनता है, वहां से कर एकत्र किया जाए। लेकिन इसे इस तरह से किया जाए कि करदाताओं को सम्मान मिले और उनका भरोसा हासिल हो सके।’