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बजट 2024-25 में मेडिकल उपकरणों के आयात पर निर्भरता कम करने की हो कवायद: AiMeD

GTRI की अगस्त 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत का मेडिकल उपकरण उद्योग मौजूदा 12 अरब डॉलर से बढ़कर 2030 तक 50 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।

Last Updated- January 07, 2024 | 10:35 PM IST
Budget 2024: India in final stages of introducing national policy to promote R&D in pharma-medical devices sectors

Budget 2024: भारत के मेडिकल उपकरणों के उद्योग ने आयात पर निर्भरता घटाने की मांग की है। एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री ( Association of Indian Medical Device Industry -AiMeD) ने बजट पूर्व ज्ञापन में सरकार से बढ़ता आयात बिल घटाने का अनुरोध किया है। इस समय भारत में 80 से 85 प्रतिशत मेडिकल उपकरणों का आयात होता है और इसका बिल बढ़कर 63,200 करोड़ रुपये पार कर गया है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) की अगस्त 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत का मेडिकल उपकरण उद्योग मौजूदा 12 अरब डॉलर से बढ़कर 2030 तक 50 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। इस विस्तार से आयात पर निर्भरता घटकर 35 प्रतिशत रह सकती है और निर्यात मौजूदा 3.4 अरब डॉलर से बढ़कर 2030 तक 18 अरब डॉलर पर पहुंच सकता है। साथ ही इससे मेडिकल उपकरण विनिर्माण और संबंधित स्वास्थ्य क्षेत्र में 15 लाख से ज्यादा नौकरियों के सृजन की संभावना है।

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एआईएमईडी के फोरम कोऑर्डिनेटर राजीव नाथ ने जोर दिया कि सरकार को मेडिकल उपकरणों पर शुल्क छूट की अधिसूचना वापस लेने और भारत में मेडिकल उपकरण विनिर्माण उद्योग की समस्याएं दूर करके प्रतिस्पर्धा की स्थिति विकसित करने की जरूरत है। साथ ही उद्योग ने अहम उपकरणों पर सीमा शुल्क में चरणबद्ध तरीके से वृद्धि करने की जरूरत है, जिससे विनिर्माण की व्यावहारिकता सुनिश्चित हो सके और शून्य शुल्क मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) वाले देशों से प्रतिस्पर्धा की कमी से बचा जा सके।

डोजी के सह संस्थापक और सीईओ मुदित दंडवते ने कहा कि मेडिकल उपकरण क्षेत्र में आयात पर निर्भरता कम करने की जरूरत है। दंडवते ने कहा, ‘केंद्रीय बजट 2024-25 में पीएलआई योजना की संभावनाएं व्यापक बनाने की जरूरत है। साथ ही उन संभावित उद्योगों पर विचार होना चाहिए, जिससे 2025 तक 1 लाख करोड़ डॉलर के निर्यात का लक्ष्य हासिल किया जा सके।’

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मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन आफ इंडिया के चेयरमैन पवन चौधरी ने कहा, ‘मेडिकल उपकरणों के आयात पर भारत की निर्भरता अनोखी नहीं है। अमेरिका, जर्मनी और जापान में विनिर्माण केंद्र हैं और इन देशों में 40 प्रतिशत आयात होता है। यहां तक कि चीन की वैश्विक मेडिकल उपकरण बाजार में हिस्सेदारी बढ़कर 20 प्रतिशत हो गई है, वहीं आयात की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत है। एक ही जगह पर हर तरह के विनिर्माण और ऐसा वातावरण विकसित करना अव्यावहारिक है और विशिष्ट क्षेत्रों की विशेषज्ञता बनी हुई है। मांग में बढ़ोतरी की कई वजहें हैं, जिनमें जनसंख्या वृद्धि, बढ़ता मध्य वर्ग, बढ़ती औसत उम्र, जीवन शैली से जुड़ी बीमारियां, युनिवर्सल कवरेज स्कीम जैसे आयुष्मान भारत। इसकी वजह से स्वाभाविक रूप से गुणवत्ता युक्त मेडिकल उपकरणों के आयात की जरूरत बढ़ी है।’

बजट पूर्व मांग के अलावा विशेषज्ञों ने भारत की मेडटेक इंडस्ट्री में नीतिगत हस्तक्षेप की जरूरत पर जोर दिया है।

First Published - January 7, 2024 | 10:35 PM IST

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