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Budget 2025: वित्त मंत्री के बजट भाषण में देश की अर्थव्यवस्था के लिहाज से कहां रखनी चाहिए आपको नजर? आंकड़ों से समझिए

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जब अपना आठवां बजट पेश कर रही होंगी तो लोगों की नजर इन कुछ विषयों पर रह सकती हैं, जिसके बारे में यहां बताया गया है।

Last Updated- January 30, 2025 | 6:52 PM IST
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फाइल फोटो)

अगले शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना लगातार आठवां बजट पेश करेंगी। वित्त मंत्री के इस बार के बजट भाषण में सभी की नजरें मध्यम वर्ग के लिए टैक्स में संभावित राहत पर टिकी होंगी। सीतारमण ने 2019 में अपने पहले बजट में पारंपरिक चमड़े के ब्रीफकेस को छोड़कर लाल कपड़े में लिपटे पारंपरिक ‘बही-खाते’ को अपनाया था। उसके बाद साल 2022 में कोरोना महामारी के चलते बजट को पेपरलेस बनाया गया था। इस साल का बजट भी पिछले तीन सालों की तरह पेपरलेस होगा।

यहां 2025-26 के केंद्रीय बजट में नजर रखने वाले प्रमुख आंकड़े दिए गए हैं:

राजकोषीय घाटा: चालू वित्त वर्ष (अप्रैल 2024 से मार्च 2025 या FY’25) के लिए बजट में राजकोषीय घाटा, जो कि सरकार के कुल व्यय और आय के बीच का अंतर होता है, जीडीपी के 4.9 प्रतिशत पर अनुमानित किया गया है। राजकोषीय समेकन की रूपरेखा के अनुसार, FY’26 तक इसे 4.5 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य है। बाजार FY’26 बजट में इस आंकड़े पर सबकी नजर रखेगी।

पूंजीगत व्यय (कैपिटल एक्सपेंडिचर): सरकार का इस वित्तीय वर्ष के लिए नियोजित पूंजीगत व्यय 11.1 लाख करोड़ रुपये था। हालांकि, लोकसभा चुनावों के कारण पहले चार महीनों में सरकारी खर्च धीमा रहा, जिससे पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) चक्र में देरी हुई। इस वजह से वास्तविक व्यय बजट अनुमान से कम रह सकता है। FY’26 बजट में भी इस व्यय के जारी रहने की उम्मीद है।

ऋण (Debt) रोडमैप: वित्त मंत्री ने 2024-25 के बजट भाषण में कहा था कि 2026-27 से आगे की वित्तीय नीति का लक्ष्य राजकोषीय घाटे को इस तरह नियंत्रित करना होगा कि केंद्र सरकार का ऋण जीडीपी के अनुपात में घटता रहे। बाजार यह देखेगा कि FY’27 से आगे के लिए ऋण समेकन की क्या योजना है और सरकार कब तक कुल सरकारी ऋण-से-जीडीपी अनुपात को 60 प्रतिशत के लक्ष्य तक लाने की उम्मीद कर रही है। 2024 में यह अनुपात 85 प्रतिशत था, जिसमें से केंद्र सरकार का ऋण 57 प्रतिशत था।

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उधारी (Borrowing): सरकार की सकल उधारी FY’25 में 14.01 लाख करोड़ रुपये थी। सरकार राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए बाजार से उधार लेती है। खासतौर पर FY’26 में आरबीआई से मिलने वाले कम लाभांश (FY’25 में 2.11 लाख करोड़ रुपये की तुलना में) के मद्देनजर, बाजार इस आंकड़े पर करीबी नजर रखेगा।

कर राजस्व (Tax Revenue): 2024-25 के बजट में सकल कर राजस्व 38.40 लाख करोड़ रुपये अनुमानित था, जो कि FY’24 से 11.72 प्रतिशत अधिक है। इसमें से 22.07 लाख करोड़ रुपये प्रत्यक्ष करों (व्यक्तिगत आयकर + कॉरपोरेट टैक्स) और 16.33 लाख करोड़ रुपये अप्रत्यक्ष करों (कस्टम्स + एक्साइज ड्यूटी + जीएसटी) से आने का अनुमान था।

जीएसटी (GST): 2024-25 में वस्तु एवं सेवा कर (GST) संग्रह 11 प्रतिशत बढ़कर 10.62 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान था। पिछले तीन महीनों में राजस्व वृद्धि धीमी रही है, इसलिए FY’26 में जीएसटी संग्रह का अनुमान महत्वपूर्ण रहेगा।

सांकेतिक जीडीपी (Nominal GDP): भारत की सांकेतिक जीडीपी वृद्धि (वास्तविक जीडीपी + मुद्रास्फीति) FY’25 में 10.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के अनुसार वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.4 प्रतिशत रहने की संभावना है। बजट में FY’26 के लिए सांकेतिक जीडीपी अनुमान से मुद्रास्फीति के भविष्य के रुझान का अंदाजा मिलेगा।

लाभांश (Dividend): FY’25 में सरकार ने आरबीआई और वित्तीय संस्थानों से 2.33 लाख करोड़ रुपये और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (CPSEs) से 56,260 करोड़ रुपये लाभांश प्राप्त होने का अनुमान लगाया था। FY’26 बजट में इन दो प्रमुख गैर-कर राजस्व स्रोतों के अनुमानों पर ध्यान दिया जाएगा।

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विनिवेश और परिसंपत्ति मुद्रीकरण (Disinvestment & Asset Monetisation): FY’25 के बजट में ‘अन्य पूंजीगत प्राप्तियां’ (Miscellaneous Capital Receipts), जिसमें विनिवेश और परिसंपत्ति मुद्रीकरण से प्राप्त आय शामिल है, 50,000 करोड़ रुपये अनुमानित थी। FY’26 बजट इस आंकड़े को स्पष्ट करेगा और परिसंपत्ति मुद्रीकरण की व्यापक योजना पेश कर सकता है।

महत्वपूर्ण योजनाओं और क्षेत्रों पर ध्यान: NREGA जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए आवंटन और स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर होने वाले खर्च पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।

First Published - January 30, 2025 | 6:52 PM IST

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