अक्टूबर व नवंबर में त्योहारी सीजन के सकारात्मक असर के बाद देश में वाहनों की खुदरा बिक्री दिसंबर, 2022 में 5 फीसदी घट गई, जिसकी मुख्य वजह दोपहिया की बिक्री में 11 फीसदी की आई गिरावट है। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली। फाडा के आंकड़ों में ऐसे समय गिरावट देखने को मिली जब थोक बिक्री के आंकड़े इस महीने की शुरुआत में बेहतर नजर आए थे।
दोपहिया के अलावा अन्य सभी श्रेणियां दिसंबर में हरे निशान में रहीं। तिपहिया, यात्री वाहन, ट्रैक्टर व वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में इस दौरान क्रमश: 42 फीसदी, 8 फीसदी, 5 फीसदी और 11 फीसदी का इजाफा हुआ।
हालांकि दिसंबर 2019 (कोविड पूर्व अवधि) से तुलना करें तो कुल खुदरा बिक्री 12 फीसदी कम रही। यहां भी दोपहिया ने ही कुल बिक्री को नीचे खींचा, जिसमें 21 फीसदी की गिरावट आई। अन्य सभी श्रेणियों मसलन तिपहिया, यात्री वाहन, ट्रैक्टर, वाणिज्यिक वाहन ने क्रमश: 4 फीसदी, 21 फीसदी, 27 फीसदी और 9 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की।
ऐक्सिस बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस महीने कंपनियों की तरफ से जारी वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री के आंकड़ों के मुताबिक यह 20 फीसदी बढ़ी जबकि ट्रैक्टर की बिक्री 28 फीसदी, यात्री वाहनों की 8 फीसदी और दोपहिया की महज 2 फीसदी बढ़ी।
दिसंबर 2022 में भारतीय वाहन उद्योग की देसी यात्री वाहनों की बिक्री 2.76 लाख रही, जो दिसंबर 2021 के मुकाबले 8.3 फीसदी ज्यादा है। कैलेंडर वर्ष 2022 में वाहनों की कुल खुदरा बिक्री सालाना आधार पर 15 फीसदी बढ़ी और कैलेंडर वर्ष 2020 के मुकाबले 17 फीसदी का इजाफा हुआ। यह हालांकि 2019 की खुदरा बिक्री के पार निकलने में नाकाम रहा और 10 फीसदी की गिरावट दर्ज की।
इस अवधि में यात्री वाहनों की श्रेणी ने बढ़त जारी रखी और पूरे साल में कुल 34.31 लाख वाहन बिके। यात्री वाहनों की बिक्री के मामले में यह अभी तक का सर्वोच्च खुदरा बिक्री का आंकड़ा है।
फाडा के अध्यक्ष मनीष राज सिंघानिया ने कहा, महंगाई में बढ़ोतरी, वाहनों की बढ़ती लागत आदि के कारण ग्रामीण बाजारों में अभी बिक्री ने जोर नहीं पकड़ा है। साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ रही बिक्री आदि का भी असर दिख रहा है।
उन्होंने कहा कि आगामी अप्रैल में बीएस-6 स्टेज-2 नियम लागू होंगे और छह एयरबैग अनिवार्य बनाने की योजना से आगामी महीनों में वाहनों की लागत बढ़ेगी, जो उद्योग को चोट पहुंचा सकता है।
वाणिज्यिक वाहन दिग्गज के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, भारत में साल 2023 में मांग हर श्रेणी में टिकी रहेगी। विदेश में मंदी का असर नहीं पड़ेगा, न ही चीन के कोविड मामलों का यहां प्रभाव रहेगा।