ऑटोमोबाइल > In Parliament: भारत में “एंड-ऑफ-लाइफ व्हीकल्स” के लिए नए नियम लागू, वाहन निर्माता कंपनियों पर तय हुई जिम्मेदारी: पर्यावरण मंत्रालय
In Parliament: भारत में “एंड-ऑफ-लाइफ व्हीकल्स” के लिए नए नियम लागू, वाहन निर्माता कंपनियों पर तय हुई जिम्मेदारी: पर्यावरण मंत्रालय
ये नियम सभी प्रकार के परिवहन और गैर-परिवहन वाहनों पर लागू होंगे, हालांकि कृषि ट्रैक्टर, कृषि ट्रेलर, कंबाइन हार्वेस्टर और पावर टिलर को इससे बाहर रखा गया है।
देश में अब पुराने और अनुपयोगी वाहनों (End-of-Life Vehicles) का पर्यावरण के अनुकूल तरीके से निपटान सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने “पर्यावरण संरक्षण (एंड-ऑफ-लाइफ व्हीकल्स) नियम, 2025” को अधिसूचित कर दिया है। यह नियम 6 जनवरी 2025 को S.O. 98(E) के तहत पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) द्वारा जारी किए गए।
यह नियम एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पॉन्सिबिलिटी (EPR) के सिद्धांत पर आधारित हैं, जिसके तहत वाहन निर्माताओं को पुराने वाहनों के स्क्रैपिंग का जिम्मा सौंपा गया है। ये नियम सभी प्रकार के परिवहन और गैर-परिवहन वाहनों पर लागू होंगे, हालांकि कृषि ट्रैक्टर, कृषि ट्रेलर, कंबाइन हार्वेस्टर और पावर टिलर को इससे बाहर रखा गया है।
सरकार का यह नया कदम न केवल पर्यावरण संरक्षण में सहायक सिद्ध होगा, बल्कि इससे वाहन उद्योग में जिम्मेदारी की भावना, रीसाइक्लिंग उद्योग का विकास और पुराने प्रदूषणकारी वाहनों के हटाने की प्रक्रिया को भी मजबूती मिलेगी। यह जानकारी संसद के मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने दी।
EPR के तहत, वाहन निर्माताओं को उन वाहनों के लिए स्क्रैपिंग लक्ष्य पूरा करना होगा जिन्हें उन्होंने घरेलू बाजार में 15 वर्ष (परिवहन वाहनों) या 20 वर्ष (गैर-परिवहन वाहनों) पहले बेचा था या उपयोग में लिया था। यह लक्ष्य वित्त वर्ष 2025-26 से लागू होगा।
RVSF को ऐसे वाहनों को रिसीव कर उनका डिपॉल्यूटिंग, डिस्मैंटलिंग, सेग्रीगेशन और स्क्रैपिंग करना होगा।
स्क्रैप से निकले सभी पुनर्चक्रण योग्य या मरम्मत योग्य सामग्री को रजिस्टर्ड रीसाइक्लर या रिफर्बिशर के पास भेजना अनिवार्य है।
गैर-पुनर्चक्रण योग्य या खतरनाक अपशिष्ट को अधिकृत Common Hazardous Waste Treatment, Storage and Disposal Facility में भेजना होगा।
पुराने या अनुपयुक्त वाहन के मालिकों या बल्क कंज़्यूमर्स को 180 दिनों के भीतर अपने वाहन को निर्माता के बिक्री केंद्र, संग्रह केंद्र या RVSF में जमा कराना अनिवार्य होगा।
वाहन निर्माताओं को CPCB से रजिस्ट्रेशन लेना होगा।
बल्क उपभोक्ताओं और RVSF को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB)/ प्रदूषण नियंत्रण समिति (PCC) से रजिस्ट्रेशन प्राप्त करना होगा।
नियमों के तहत गैर-अनुपालन या उल्लंघन पर पंजीकरण रद्द या निलंबित किया जा सकता है और पर्यावरण हानि के लिए मुआवजा वसूला जाएगा।
CPCB निर्माता कंपनियों का समय-समय पर निरीक्षण और ऑडिट करेगा।
SPCB/PCC RVSF और बल्क कंज़्यूमर्स का निरीक्षण करेगा या अधिकृत एजेंसियों से करवाएगा।
इन नियमों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए 30 जनवरी 2025 को एक कार्यान्वयन समिति गठित की गई है, जिसकी अध्यक्षता CPCB के चेयरमैन कर रहे हैं।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने स्वैच्छिक वाहन बेड़ा आधुनिकीकरण कार्यक्रम (V-VMP) शुरू किया है।
वाहन स्क्रैपिंग सुविधा और वाहन फिटनेस परीक्षण को लेकर MoRTH ने 2021 में नियम अधिसूचित किए थे।
इस्पात मंत्रालय की स्टील स्क्रैप रीसाइक्लिंग नीति, 2019 भी इस दिशा में सहायक है।
CPCB ने 2023 में “ईएसएम दिशानिर्देश” (Guidelines for Environmentally Sound Management) जारी किए, जो स्क्रैपिंग प्रक्रिया के लिए पर्यावरण-संवेदनशील तकनीकों को अपनाने का मार्गदर्शन देते हैं।