भारत सरकार ने रेयर अर्थ एलिमेंट्स (Rare Earth Elements – REE) और क्रिटिकल मिनरल्स की खोज, उत्पादन, निर्यात और वैश्विक आपूर्ति शृंखला में आत्मनिर्भरता के लिए राष्ट्रीय रणनीति को मिशन मोड में तेज कर दिया है। यह जानकारी बुधवार को लोकसभा में एक लिखित उत्तर के दौरान केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने दी।
केंद्रीय मंत्री सिंह ने संसद में बताया कि एटॉमिक मिनरल्स डायरेक्टोरेट फॉर एक्सप्लोरेशन एंड रिसर्च (AMD), जो परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) का अंग है, देश के कई तटीय, नदी किनारे और कठोर शैल क्षेत्रों में रेयर अर्थ मिनरल्स की खोज कर रहा है।
13.15 मिलियन टन मोनाजाइट (जिसमें लगभग 7.23 मिलियन टन REO) – यह खनिज आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, झारखंड, गुजरात और महाराष्ट्र के तटीय और लाल बालू क्षेत्रों में मौजूद है।
1.29 मिलियन टन REO – कठोर शैल क्षेत्रों में गुजरात और राजस्थान में।
भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग (GSI) ने 34 परियोजनाओं के माध्यम से 482.6 मिलियन टन अतिरिक्त संसाधनों की खोज की है।
क्या है रेयर अर्थ खनिजों के निर्यात-आयात की स्थिति
आयात (पिछले 10 वर्षों में): शून्य
निर्यात: केवल 18 टन
सरकार अब उन देशों के साथ रणनीतिक वार्ता कर रही है जिन्होंने रेयर अर्थ मैग्नेट्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है।
Rare Earth Minerals को लेकर वैश्विक साझेदारी
भारत सरकार ने Australia, Argentina, Zambia, Peru, Zimbabwe, Mozambique, Malawi, Côte d’Ivoire जैसे खनिज-संपन्न देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते किए हैं। भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों जैसे:
Minerals Security Partnership (MSP)
Indo-Pacific Economic Framework (IPEF)
Initiative on Critical and Emerging Technologies (iCET)
India-UK Technology & Security Initiative
QUAD
के माध्यम से भी आपूर्ति शृंखला को मजबूत कर रहा है। Khanij Bidesh India Limited (KABIL) – एक संयुक्त उद्यम कंपनी है, जिसे विदेशी खनिज संपत्तियों की खोज और अधिग्रहण के लिए स्थापित किया गया है।
अर्जेंटीना के Catamarca प्रांत में 15,703 हेक्टेयर क्षेत्र में लिथियम ब्लॉक्स की खोज हेतु समझौता।
ऑस्ट्रेलिया के क्रिटिकल मिनरल ऑफिस से लगातार बातचीत।
ब्राजील और डोमिनिकन रिपब्लिक के साथ G2G MoUs की प्रक्रिया में।
MMDR संशोधन अधिनियम, 2023 – नीतिगत क्रांति
खनिज और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 (MMDR Act) में 2023 में बड़े सुधार किए गए:
6 परमाणु खनिजों को हटाया गया (जैसे लिथियम, टाइटेनियम, नियोबियम आदि)।
24 क्रिटिकल व स्ट्रैटेजिक मिनरल्स की नई सूची बनाई गई।
केंद्र सरकार को अनन्य अधिकार दिए गए इन खनिजों की नीलामी हेतु।
29 खनिजों के लिए एक्सप्लोरेशन लाइसेंस का प्रावधान।
2024-25 में 195 परियोजनाएं शुरू की गईं।
2025-26 में 227 परियोजनाएं निष्पादनाधीन हैं।
NMET द्वारा 195 परियोजनाओं को वित्त पोषण।
33 निजी एक्सप्लोरेशन एजेंसियों को मान्यता।
5 ट्रेंचों में 34 ब्लॉक्स की नीलामी।
13 ऑफशोर ब्लॉक्स की पहली नीलामी (नवंबर 2024)।
13 एक्सप्लोरेशन लाइसेंस ब्लॉक्स की नीलामी (मार्च 2025)।
25 खनिजों पर सीमा शुल्क समाप्त।
2 खनिजों पर बेसिक कस्टम ड्यूटी में कटौती।
2025-26 बजट में कोबाल्ट, लिथियम-आयन बैटरी स्क्रैप, लेड और जिंक पर छूट।
29 जनवरी 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने INR 16,300 करोड़ की लागत से राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनरल मिशन (NCMM) शुरू किया है। जिसके प्रमुख लक्ष्य हैं:
खनन से लेकर रीसाइक्लिंग तक पूरी वैल्यू चेन को मजबूत करना।
प्रोसेसिंग पार्क्स के लिए ₹500 करोड़।
रीसाइक्लिंग प्रोत्साहन योजना के लिए ₹1500 करोड़।
मिनरल रिकवरी के पायलट प्रोजेक्ट्स के लिए ₹100 करोड़।
R&D और स्टार्टअप्स को फंडिंग।
केंद्रीय मंत्री ने संसद में कहा कि भारत अब रेयर अर्थ एलिमेंट्स और क्रिटिकल मिनरल्स के क्षेत्र में वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। ग्रीन टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रिक वाहन, रक्षा और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता के लिए यह रणनीति भविष्य का रास्ता तय करती है।