फरवरी में यात्री वाहनों (पीवी) की थोक बिक्री में अब तक की सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई और यह पिछले साल की तुलना में दो प्रतिशत बढ़ीहै। दोपहिया वाहनों की बिक्री में नौ प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। यह बिक्री इस महीने खुदरा बिक्री के रुख के अनुसार है क्योंकि दोपहिया वाहनों की खुदरा बिक्री में छह प्रतिशत की गिरावट आई जबकि यात्री वाहनों की बिक्री 10 प्रतिशत घटी। यह चिंताजनक रुझान है क्योंकि डीलरों के पास बिना बिके वाहनों का स्टॉक बढ़ रहा है।
सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सायम) के आंकड़ों के अनुसार फरवरी में यात्री वाहनों की थोक बिक्री 3,77,689 वाहनों तक पहुंच गई और इसमें पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 1.9 प्रतिशत की उछाल आई। हालांकि यह उछाल खुदरा बिक्री में नहीं दिखी क्योंकि फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) के आंकड़ों के अनुसार यात्री वाहनों की बिक्री में पिछले साल की तुलना में 10.34 प्रतिशत तक की गिरावट आई जो फैक्टरी उत्पादन और उपभोक्ता मांग के बीच विसंगति को दर्शाता है।
सायम के महानिदेशक राजेश मेनन ने कहा, ‘यात्री वाहनों की श्रेणी दमदार रही और साल 2025 की फरवरी में 3.78 लाख वाहनों की अब तक की सबसे अधिक बिक्री हुई।’ फिर भी थोक बिक्री के स्तर पर यह दमदार रुख खुदरा बाजार में नजर नहीं आया है जहां खास तौर पर शुरुआती स्तर वाली श्रेणी में कमजोर उपभोक्ता धारणा और खरीद में विलंब डीलरों को परेशान कर रही है। फाडा ने बिना बिके वाहनों के अत्यधिक ढेर के खिलाफ मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) को भी आगाह किया क्योंकि इससे बिना बिके वाहनों का इंतजाम न कर पाने के जोखिम का पता चलता है। डीलरशिप पर बिना बिके वाहनों का मौजूदा स्तर 50 से 52 दिनों के बीच है।
दोपहिया वाहन श्रेणी को और भी ज्यादा तेज गिरावट का सामना करना पड़ा और थोक बिक्री नौ फीसदी घटकर 13,84,605 वाहन रह गई। मोटरसाइकलों की बिक्री में 13.1 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई जबकि स्कूटरों की बिक्री में 0.5 प्रतिशत तक की मामूली गिरावट आई। मोपेड की बिक्री में 18.2 प्रतिशत की सबसे तीव्र गिरावट देखी गई।
इस श्रेणी में खुदरा बिक्री में भी इसी तरह का रुख रहा और यह पिछले साल की तुलना में 6.33 प्रतिशत तक घट गई। शहरी क्षेत्रों में गिरावट अधिक रही और यहां ग्रामीण बाजारों की 5.5 प्रतिशत की गिरावट के मुकाबले 7.38 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
इस नरमी के लिए बिना बिके वाहनों की ज्यादा संख्या, ओबीडी-2बी मानदंडों के बाद जोरदार मूल्य समायोजन, कमजोर उपभोक्ता मनोबल, पूछताछ में कमी और वित्तीय सहायता की सीमित उपलब्धता को जिम्मेदार ठहराया गया है। इन चुनौतियों के बावजूद सायम आगामी त्योहारी सीजन को लेकर आशावादी बना हुआ है।