
श्रम कानूनों में बदलाव के समक्ष निष्पक्ष रहने की चुनौती
श्रम कानूनों में कोई भी संशोधन प्रायः बहस का कारण बन जाता है। हाल में कुछ राज्यों द्वारा एक दिन में 12 घंटे की श्रम अवधि के प्रावधान को अनुमति देने की पहल पर भी बहस छिड़ना तय है। फरवरी में कर्नाटक ने अपने श्रम विधानों में कुछ बदलाव किए थे। इन बदलावों के तहत […]

कार्बन उत्सर्जन की समस्या का दशकों पुराना हल
सात दशक से भी अधिक पुरानी एक तकनीक इन दिनो सुर्खियों में है क्योंकि वह विशुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य हासिल करने में मददगार हो सकती है। बता रहे हैं प्रसेनजित दत्ता दुनिया भर की कंपनियां और देश अब सात दशक पुरानी एक तकनीक की ओर बढ़ रहे हैं जिसे पहले कभी इतनी तवज्जो नहीं दी […]


क्या वोडाफोन-आइडिया टिकी रह पाएगी कारोबार में?
मुश्किलों में घिरी भारतीय दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया को पिछले दो सप्ताह में थोड़ी और राहत मिली है। इस राहत का कारण यह है कि सरकार ने आस्थगित समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) पर 16,000 करोड़ रुपये के ब्याज को शेयर में परिवर्तित करने की योजना को अनुमति दे दी है। इस योजना पर लंबे समय […]


ऊर्जा स्रोतों के बारे में व्यावहारिक होना जरूरी
अगर वर्ष 2022 ने दुनियाभर के नीति-निर्माताओं को कुछ सिखाया है तो वह यह कि उन्हें अपनी स्वच्छ ऊर्जा नीतियों को लेकर व्यावहारिक होना जरूरी था। रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध सभी विकसित और विकासशील देशों के लिए एक कड़वे सच को पहचानने जैसा था, क्योंकि ये देश इस बात को लेकर बड़े आश्वस्त थे कि […]



समुद्रों की कार्बन अवशोषण क्षमता और हमारी नीतियां
जलवायु परिवर्तन से निपटने और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने से संबंधित नीतियां बनाने वालों का ध्यान अब समुद्रों की ओर है लेकिन इस विचार के भी कई पहलू हैं। बता रहे हैं प्रसेनजित दत्ता