facebookmetapixel
48,000 करोड़ का राजस्व घाटा संभव, लेकिन उपभोग और GDP को मिल सकती है रफ्तारहाइब्रिड निवेश में Edelweiss की एंट्री, लॉन्च होगा पहला SIFएफपीआई ने किया आईटी और वित्त सेक्टर से पलायन, ऑटो सेक्टर में बढ़ी रौनकजिम में वर्कआउट के दौरान चोट, जानें हेल्थ पॉलिसी क्या कवर करती है और क्या नहींGST कटौती, दमदार GDP ग्रोथ के बावजूद क्यों नहीं दौड़ रहा बाजार? हाई वैल्यूएशन या कोई और है टेंशनउच्च विनिर्माण लागत सुधारों और व्यापार समझौतों से भारत के लाभ को कम कर सकती हैEditorial: बारिश से संकट — शहरों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लिए तत्काल योजनाओं की आवश्यकताGST 2.0 उपभोग को बढ़ावा दे सकता है, लेकिन गहरी कमजोरियों को दूर करने में कोई मदद नहीं करेगागुरु बढ़े, शिष्य घटे: शिक्षा व्यवस्था में बदला परिदृश्य, शिक्षक 1 करोड़ पार, मगर छात्रों की संख्या 2 करोड़ घटीचीन से सीमा विवाद देश की सबसे बड़ी चुनौती, पाकिस्तान का छद्म युद्ध दूसरा खतरा: CDS अनिल चौहान

लेखक : बीएस संपादकीय

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

घटाएं चीनी की मात्रा

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दुनिया के देशों को मसौदा दिशानिर्देश जारी किए हैं। इनमें में सुझाया गया है कि स्वस्थ आहार को बढ़ावा देने के लिए दुनिया के देश किस तरह राजकोषीय नीतियां तैयार कर सकते हैं। दिशानिर्देशों के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से पर फिलहाल मंत्रणा चल रही है। इसमें कहा गया है कि कर […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

अतिरिक्त संसाधन का तर्कपूर्ण इस्तेमाल

केंद्र सरकार इस बात को लेकर आश्वस्त है कि चालू वित्त वर्ष में वह राजकोषीय घाटा लक्ष्य के अनुरूप सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.4 प्रतिशत तक सीमित रखने में सफल रहेगी। सरकार ने बजट अनुमानों के अतिरिक्त 3.26 लाख करोड़ रुपये व्यय करने की अनुमति मांगी है। सरकार को विश्वास है कि इस अतिरिक्त […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

बड़े संकट की चेतावनी

जोशीमठ उत्तराखंड के कई तीर्थस्थानों तथा औली जैसे स्कीइंग केंद्र का प्रवेश द्वार है। वहां जमीन धंसने की घटना के लिए जोशीमठ तथा आसपास के इलाकों में अवैज्ञानिक ढंग से किए जा रहे विकास कार्य जिम्मेदार हो सकते हैं। परंतु इसकी बुनियाद उन मानवजनित गतिवि​धियों में ​निहित है जो पारि​स्थितिकी की दृ​ष्टि से तथा भौगोलिक […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

राजकोषीय स्थिति

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने पिछले सप्ताह चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए राष्ट्रीय आय का पहला अग्रिम अनुमान जारी किया। यह अत्यधिक महत्त्वपूर्ण आंकड़ा है क्योंकि इसी के आधार पर केंद्रीय बजट का प्रारूप तैयार करने की शुरुआत होती है। आम बजट लोकसभा में अगले महीने के आरंभ में प्रस्तुत किया जाना है। राष्ट्रीय आय […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

वि​​धि की भावना का ख्याल

रिलायंस कैपिटल की निस्तारण प्रक्रिया को इस सप्ताह राष्ट्रीय कंपनी लॉ पंचाट की मुंबई शाखा के समक्ष 12 जनवरी को होने वाली अगली सुनवाई तक स्थगित कर दिया गया। पीठ का यह निर्णय न केवल इस मामले से संबं​धित पक्षकारों को प्रभावित करेगा ब​ल्कि यह ऋणशोधन निस्तारण प्रक्रिया पर भी असर डालेगा। इस प्रक्रिया पर […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

नैनो उर्वरकों के फायदे

नैनो यूरिया की सफलता के बाद, अब दूसरे सबसे अ​धिक खपत वाले उर्वरक डीएपी (डाई अमोनियम फॉस्फेट) के नैनो संस्करण को जैव सुरक्षा और विषाक्तता परीक्षणों में मंजूरी मिल गई है और इसके साथ ही अगले खरीफ सत्र में इसे खेतों में इस्तेमाल करने की औपचारिक स्वीकृति का मार्ग भी प्रशस्त हो गया है। ये […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

नागरिक समाज और सरकार

नागरिक समाज और भारत सरकार के बीच पिछले कुछ समय से अच्छे ताल्लुकात नहीं हैं लेकिन हाल के दिनों में यह टकराव बढ़ गया है। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार नियमन की सख्ती के बाद सन 2017 से 2021 के बीच करीब 6,677 गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को विदेशी फंडिंग पाने से संबंधित लाइसेंस […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

नोटबंदी पर बहस की प्रासंगिकता

सरकार द्वारा नवंबर 2016 में उच्च मूल्य वाले नोट बंद करने के फैसले पर हो रही प्रक्रियागत बहस अब समाप्त हो गई है। सर्वोच्च न्यायालय के एक संवैधानिक पीठ ने सोमवार को 4:1 के बहुमत से प्रक्रिया का समर्थन किया और कहा कि नोटबंदी की पूरी कवयद वैध तथा समानता के परीक्षण को संतुष्ट करने […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

बाजार रुझान

वर्ष 2023 में भारत के शेष विश्व की तुलना में तेज वृद्धि हासिल करने की उम्मीद है लेकिन यह अच्छी खबर अस्थायी ही है क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था की खराब हालत की आशंका भी इसके समांतर चल रही है। मुद्रास्फीति बढ़ी हुई है और भारतीय रिजर्व बैंक सहित अधिकांश केंद्रीय बैंक इसे नियंत्रित करने के लिए […]

आज का अखबार, लेख, संपादकीय

खतरनाक कचरे के खतरे

देश में कचरा प्रबंधन उद्योग की अनियमित प्रकृति के कारण हमारा देश दुनिया भर के कचरे का डंपिंग ग्राउंड बन गया है। यह बात हमारे पर्यावरण और जन स्वास्थ्य दोनों के लिए नुकसानदेह है। इसके लिए काफी हद तक निगरानी और नियंत्रण की कमजोरी, भ्रष्टाचार और सबसे बढ़कर गरीब भारतीय श्रमिकों की मौजूदगी जिम्मेदार है […]

1 79 80 81 82 83