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दक्षिण भारत के लोग ज्यादा ऋण के बोझ तले दबे; आंध्र, तेलंगाना लोन देनदारी में सबसे ऊपर, दिल्ली नीचेएनबीएफसी, फिनटेक के सूक्ष्म ऋण पर नियामक की नजर, कर्ज का बोझ काबू मेंHUL Q2FY26 Result: मुनाफा 3.6% बढ़कर ₹2,685 करोड़ पर पहुंचा, बिक्री में जीएसटी बदलाव का अल्पकालिक असरअमेरिका ने रूस की तेल कंपनियों पर लगाए नए प्रतिबंध, निजी रिफाइनरी होंगी प्रभावित!सोशल मीडिया कंपनियों के लिए बढ़ेगी अनुपालन लागत! AI जनरेटेड कंटेंट के लिए लेबलिंग और डिस्क्लेमर जरूरीभारत में स्वास्थ्य संबंधी पर्यटन तेजी से बढ़ा, होटलों के वेलनेस रूम किराये में 15 फीसदी तक बढ़ोतरीBigBasket ने दीवाली में इलेक्ट्रॉनिक्स और उपहारों की बिक्री में 500% उछाल दर्ज कर बनाया नया रिकॉर्डTVS ने नॉर्टन सुपरबाइक के डिजाइन की पहली झलक दिखाई, जारी किया स्केचसमृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाला मिथिलांचल बदहाल: उद्योग धंधे धीरे-धीरे हो गए बंद, कोई नया निवेश आया नहींकेंद्रीय औषधि नियामक ने शुरू की डिजिटल निगरानी प्रणाली, कफ सिरप में DEGs की आपूर्ति पर कड़ी नजर

लेखक : बीएस संपादकीय

आज का अखबार, ताजा खबरें, लेख, संपादकीय

भड़काऊ बयान और प्रतिक्रिया

म​णिपुर से लेकर कश्मीर, उत्तराखंड, प​श्चिम बंगाल और तमिलनाडु तक सामाजिक समरसता गहरे संकट से गुजर रही है। ऐसे हर मामले में तात्कालिक वजह रही है राजनेताओं और राजनीतिक-सामाजिक समूहों द्वारा सामान्य बना दी गई अतिरंजित बयानबाजी। इन बयानबाजियों में भारतीय नागरिकों पर ही ‘बाहरी’ और ‘घुसपैठिया’ होने जैसे आरोप लगाए जा रहे हैं, उन्हें […]

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उर्वरक कीमतों में समता संतुलित और जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल के लिए आवश्यक

कृ​षि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने हाल ही में यह अनुशंसा की है कि सबसे आम इस्तेमाल वाले उर्वरक यानी यूरिया को भी अन्य उर्वरकों की तरह पोषण आधारित सब्सिडी (एनबीएस) प्रणाली के तहत लाया जाना चाहिए। इस मांग का लक्ष्य यही है कि नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और पौधों को पोषण देने वाले अन्य […]

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Editorial: विनिर्माण निर्यात को गति

भारत का वस्तु निर्यात मुश्किल दौर से गुजर रहा है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक मई में लगातार चौथे महीने निर्यात में गिरावट आई और यह 34.98 अरब डॉलर रह गया। ठीक एक वर्ष पहले निर्यात का आंकड़ा 39 अरब डॉलर था। यद्यपि आयात में भी गिरावट आई है लेकिन व्यापार घाटा 22.12 अरब डॉलर के […]

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Editorial: सामाजिक सुरक्षा की कीमत

आधे-अधूरे आर्थिक सुधारों के कारण पूर्वी एशियाई देशों की तरह वृद्धि हासिल न होने और विनिर्माण, वाणिज्यिक निर्यात तथा रोजगार आदि क्षेत्रों में सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद पिछड़े होने के बीच अब राजनेताओं के मन में बड़ा विचार यह आया है कि मूल्य सब्सिडी और नकद भुगतान के जरिये वित्तीय हस्तांतरण की पुरानी […]

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Editorial: रोजगार और दासता के दरमियान

भारत आगामी सितंबर में नई दिल्ली में जी20 देशों के नेताओं की शिखर बैठक की तैयारी में लगा है। भारत इस वर्ष इस समूह का अध्यक्ष चुना गया है और यह वर्ष का सबसे बड़ा आयोजन होगा। परंतु इसी बीच ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स यानी वैश्विक दासता सूचकांक के पांचवें संस्करण के रूप में एक सचेत […]

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गेहूं पर स्टॉक लिमिट लगाना कितना सही?

गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन और प्रचुर आपूर्ति के बीच उसकी ​स्टॉक लिमिट तय करने का निर्णय इस बात का स्पष्ट संकेत है कि देश में खाद्य अर्थव्यवस्था किस कदर कुप्रबंधन की ​शिकार है। तथ्य यह है कि रबी का मार्केटिंग सीजन अभी समाप्त नहीं हुआ है और किसानों के पास अभी भी गेहूं का ऐसा […]

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Editorial: कोविन डेटाबेस पर डेटा का लीक होना डिजिटल जोखिम का संकेत

कोविन डेटाबेस (CoWIN data leak) से कथित तौर पर डेटा का लीक होना इस बात का एक और संकेत है कि देश के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में कमजोरी बरकरार है। यह इस बात की ओर भी इशारा है कि हमें नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा के संरक्षण के लिए तकनीकी-विधिक रुख में सुधार करना होगा। […]

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Editorial: परेशान करती चुप्पी

महिला पहलवानों द्वारा भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और सत्ताधारी दल के श​क्तिशाली सांसद बृज भूषण शरण सिंह पर यौन शोषण के सिलसिलेवार आरोप लगाए जाने को साढ़े पांच महीने बीत चुके हैं। परंतु ए​क विचित्र और परेशान करने वाले घटनाक्रम में पुलिस ने ​शिकायतकर्ताओं पर ही बल प्रयोग किया और वे अब भी न्याय […]

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Editorial: BSNL की चुनौती बरकरार, अधिक धन डालना समझदारी नहीं

सरकारी दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSN) को 89,000 करोड़ रुपये का एक और वित्तीय पैकेज दिया जा रहा है जो उसे रिलांयस जियो और भारती एयरटेल जैसी शीर्ष निजी सेवाप्रदाताओं से मिल रही कड़ी टक्कर के बीच कारोबार जारी रखने में मदद करेगा। परंतु पहले ही भारी संकट से जूझ रही […]

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Editorial: उपभोक्ता और राजनीतिक संकेत

आमतौर पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा दिए गए कामों में कोई भी राजनीतिक संकेत नहीं तलाश करता है लेकिन कई बार अनजाने ही वे नजर आते हैं। शहरी इलाकों में उपभोक्ता धारणाओं का सावधिक सर्वेक्षण भी ऐसा ही एक मामला है जिसे रिजर्व बैंक आयोजित और जारी करता है। ऐसा प्रतीत होता है कि […]

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