कंपनियों का अपने निदेशकों को दिए जाने वाला भुगतान बड़ा मुद्दा बन गया है, क्योंकि निदेशक मंडल बड़े होते जा रहे हैं, जिनमें स्वतंत्र निदेशकों और गैर-कार्यकारी निदेशकों की संख्या बढ़ रही है। कॉरपोरेट गवर्नेंस पर एक्सीलेंस एनेबलर्स सर्वे के 2024 संस्करण के अनुसार निदेशक मंडल की हर बैठक के लिए एक लाख रुपये या उससे ज्यादा का भुगतान करने वाली कंपनियों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है।
अलबत्ता सर्वेक्षण के अनुसार 50,000 रुपये या उससे कम भुगतान करने वाली कंपनियों की संख्या सबसे अधिक है। वित्त वर्ष 24 में निफ्टी 100 की 29 कंपनियों ने निदेशक मंडल की हर बैठक के लिए एक लाख रुपये या उससे ज्यादा की सिटिंग फीस का भुगतान किया, जबकि वित्त वर्ष 21 में ऐसी कंपनियों की संख्या 21 और वित्त वर्ष 2023 में 26 थी। इसकी तुलना में वित्त वर्ष 24 में 36 कंपनियों ने 50,000 रुपये या उससे कम का भुगतान किया, जबकि वित्त वर्ष 21 में ऐसे कंपनियों की संख्या 42 और वित्त वर्ष 23 में 40 थी। यह पिछले तीन साल में कंपनियों द्वारा प्रति बैठक भुगतान की जाने सिटिंग फीस में 5.4 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर को दर्शाता है।
फीस में वार्षिक वृद्धि काफी हद तक इस अवधि के दौरान अंतर्निहित खुदरा मुद्रास्फीति दर के अनुरूप है। यह वृद्धि मोटे अनुमान पर आधारित है और कोई निश्चित संख्या नहीं है। इस मोटे अनुमान के अनुसार किसी सामान्य कंपनी ने वित्त वर्ष 24 में प्रति बैठक लगभग 63,500 रुपये की सिटिंग फीस का भुगतान किया।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियमों के अनुसार निदेशक मंडल या समिति की प्रति बैठक सिटिंग फीस एक लाख रुपये से ज्यादा नहीं होगी। साल 2013 के कंपनी अधिनियम के अनुसार कंपनियां लाभ से जुड़े भुगतान (पीएलसी) के रूप में गैर-कार्यकारी निदेशकों को अपने शुद्ध लाभ का एक प्रतिशत वितरित कर सकती हैं अलबत्ता सर्वेक्षण में पाया गया कि निफ्टी 100 की ज्यादातर कंपनियां अपने स्वतंत्र निदेशकों को देने के लिए इस राशि का केवल एक हिस्सा ही इस्तेमाल कर रही थीं।
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सर्वेक्षण के अनुसार 53 कंपनियों ने वित्त वर्ष 24 में पीएलसी के रूप में स्वतंत्र निदेशकों को वितरण योग्य लाभ का 51 से 100 प्रतिशत भुगतान किया, जबकि वित्त वर्ष 22 में 57 कंपनियों ने ऐसा किया था। अन्य 22 कंपनियों ने अपने वितरण योग्य लाभ का 50 प्रतिशत से कम हिस्सा पीएलसी के रूप में स्वतंत्र निदेशकों को वितरित किया, जबकि वित्त वर्ष 22 में ऐसी 13 कंपनियां थीं।
सर्वेक्षण में कहा गया, ‘ऐसे अच्छे स्वतंत्र निदेशकों को, जो कंपनी को बहुमूल्य समय देते हैं, कंपनी के हित में उचित भुगतान दिया जाना चाहिए। लाभ के प्रतिशत के रूप में प्राप्त राशि में से स्वतंत्र निदेशक को भुगतान करने के लिए खासी राशि अलग रखी जानी चाहिए ताकि कंपनी के मामलों में उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।’
यह सर्वेक्षण कर्मचारी पारिश्रमिक तथा प्रबंध निदेशकों और वित्त निदेशकों जैसे पूर्णकालिक निदेशकों के भुगतान के बीच बढ़ते अंतर का संकेत देता है।