विनिर्माण में भारत को आत्मनिर्भर बनाना सरकार की प्रमुख योजना है। इसी कारण सरकार ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के लिए 23.5 अरब डॉलर आवंटित किए हैं जो अगले 3-5 वर्षों में वितरित किया जाएगा। उम्मीद की जा रही है आने वाले बजट में पीएलआई योजना का विस्तार अन्य उद्योगों तक किया जाएगा। साथ ही कुछ क्षेत्रों (जैसे आईटी) में आवंटन बढ़ाया जा सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि विभिन्न नई योजनाओं पर आवंटन इस वित्त वर्ष में कम से कम 10 फीसदी तक बढ़ सकता है। वर्तमान में 14 विविध उद्योगों में 384 पात्र कंपनियां (वैश्विक और घरेलू) अगले तीन से पांच वर्षों के लिए प्रोत्साहन के लिए पात्र हैं। योजना में प्रवेश आसान है, लेकिन निवेश बढ़ाने और उत्पादन मूल्य को लेकर प्रतिबद्धताएं विशेष रूप से घरेलू कंपनियों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं।
इन 14 उद्योगों में कंपनियों ने वित्त वर्ष 2027 तक 32 अरब डॉलर निवेश की प्रतिबद्धता जताई है। इसमें शुरुआती दो साल में यानी वित्त वर्ष 23 और वित्त वर्ष 24 में 21 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया जाना है। इसके अलावा उन्हें 65 अरब डॉलर या सरकार की प्रोत्साहन राशि का तीन गुना राजस्व भी अर्जित करना होगा। अगर सब कुछ नियोजित योजना के अनुसार चलता है तो क्रेडिट सुइस का अनुमान है कि पीएलआई से 2025 तक अतिरिक्त राजस्व देश के सकल घरेलू उत्पाद का 0.8 फीसदी होगा। यह वित्त वर्ष 23 में 0.3 फीसदी और वित्त वर्ष 2024 में 0.4 फीसदी रहेगा। लेकिन पीएलआई योजना का कार्यान्वयन मिला जुला रहा है। और वित्त वर्ष 23 इसकी प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष है क्योंकि वाहन, वाहनों के कल पुर्जे, व्हाइट गुड्स, दूरसंचार और नेटवर्क उत्पाद, फार्मा और चिकित्सा उपकरणों जैसे उद्योगों में पीएलआई का एक साल भी पूरा होगा। जो लोग इसे मिले जुले रूप में देखते हैं उनका ध्यान मोबाइल डिवाइस में पीएलआई के प्रदर्शन पर है। यह क्षेत्र पीएलाई के दूसरे वर्ष में प्रवेश कर रहा है। वित्त वर्ष 22 में यानी योजना के पहले वर्ष में कम से कम चार कंपनियां शर्तें पूरी करने में सफल नहीं हुईं, जिनमें फॉक्सकॉन की समूह कंपनी राइजिंग स्टार और पांच में से तीन घरेलू कंपनियां लावा, ऑप्टिमस और माइक्रोमैक्स शामिल हैं।
उदाहरण के लिए सरकार ने वित्त वर्ष 22 के लिए 5,500 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन परिव्यय रखा था, जो फोन के एफओबी मूल्य पर 6 फीसदी प्रोत्साहन के आधार पर (वैश्विक कंपनियों के लिए 15,000 रुपये से ऊपर और घरेलू कंपनियों के लिए कोई प्रतिबंध नहीं) मोबाइल उपकरणों को असेंबल करना था।वैश्विक कंपनियां प्रोत्साहन के लिए पात्र थीं, यदि वे 4,000 करोड़ रुपये के न्यूनतम वृद्धिशील राजस्व को 15,000 करोड़ रुपये की सीमा तक ले जाती हैं। फिर भी मोबाइल कंपनियों के अनुसार अब तक केवल दो कंपनियां-डिक्सन टेक्नोलॉजीज और फॉक्सकॉन होन हाई को केवल 468.74 करोड़ रुपये ही दिए गए हैं, जो विशेष रूप से ऐपल के लिए असेंबल होते हैं। जबकि विस्ट्रॉन, सैमसंग और एक अन्य स्वदेशी कंपनी के प्रोत्साहन पर अभी भी विचार किया जा रहा है- भले ही उन्हें अपना पूरा बकाया मिल जाए, यह वर्ष के कुल परिव्यय से बहुत कम होगा।
निश्चित रूप से वित्तीय वर्ष 23 एक बेहतर वर्ष हो सकता है। ऐपल इंक के 3 वेंडरों (तीसरी कंपनी पेगाट्रॉन ने इसी वित्त वर्ष में उत्पादन शुरू किया) के साथ युद्धस्तर पर काम करेगी और प्रत्येक ने 8,000 करोड़ रुपये के न्यूनतम राजस्व की प्रतिबद्धता जताई है, जो 20,000 करोड़ रुपये तक जा सकता है और अगर ऐपल के निर्यात को कोई संकेतक मानें (वित्त वर्ष 23 के शुरुआती 9 महीने में 20,000 करोड़ रुपये रहा है) और वह 1 अरब डॉलर प्रति माह का लक्ष्य हासिल कर लेती है, तो कंपनी राजस्व के ऊपरी छोर पर पहुंच सकती है।