रिलायंस जियो (Reliance Jio) के अध्यक्ष मैथ्यू ऊम्मेन ने कहा है कि मौजूदा समय में आकाश में बेस स्टेशन बन गए हैं और अन्य मोबाइल प्रौद्योगिकियों के साथ सैटेलाइट संचार का सह- अस्तित्व अब एक वास्तविकता है।
उन्होंने सातवें इंडिया मोबाइल कांग्रेस (आईएमसी) में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि पारंपरिक स्थलीय स्पेक्ट्रम से आगे बढ़ते हुए जियो गैर-स्थलीय नेटवर्क कंपनी भी बन गई है और प्रतिस्पर्धा में काफी आगे है।
ऊम्मेन का मानना है कि हालांकि सैटेलाइट का इस्तेमाल ऐतिहासिक तौर पर बैकहॉल सेवाओं के लिए किया जाता रहा है, लेकिन सैटेलाइट स्पेक्ट्रम ने पिछले दो वर्षों में स्थलीय स्पेक्ट्रम के समान उपकरणों और ग्राहकों को सेवा देना शुरू किया है।
सैटेलाइट या ऑर्बिट स्पेक्ट्रम कक्षा में उपग्रह को स्थापित करते वक्त रेडियो स्पेक्ट्रम का एक सेगमेंट होता है। इस मुद्दे पर बहस ने दूरसंचार उद्योग को विभाजित कर दिया है कि क्या दुर्लभ संसाधनों की नीलामी की जानी चाहिए या इन्हें सरकार द्वारा प्रशासनिक रूप से आवंटित किया जाना चाहिए।
जून में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की पिछली परामर्श प्रक्रिया के तहत, ईलॉन मस्क की स्टारलिंक, एमेजॉन की प्रोजेक्ट कूपर, टेलीसैट, टाटा ग्रुप की नेलको जैसी टेक फर्मों ने सैटकॉम स्पेक्ट्रम की नीलामी के विरोध में आवाज उठाई थी। इसके विपरीत, दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियां इस मुद्दे पर एकमत नहीं दिखीं। भारती एंटरप्राइजेज ने आवंटन पर जोर दिया, जबकि रिलायंस जियो ने नीलामियों की जरूरत पर जोर दिया।
ऊम्मेन का कहना है, ‘यदि यह (सैटेलाइट स्पेक्ट्रम) एक ही प्रकार की सेवा है, समान उपकरणों, समान ग्राहकों तक जा रही है और समान मानकों का उपयोग कर रही है, तो क्या एक अलग स्पेक्ट्रम नीति होनी चाहिए? मेरे नजरिये से इसका जवाब है नहीं।’
किसी देश द्वारा सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की वैश्विक मिसाल नहीं होने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात ने हाल में सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की नीलामी की है, जबकि थाइलैंड ने ऑर्बिटल स्लॉट की नीलामी आयोजित की।
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘एक देश के तौर पर हम स्पेक्ट्रम से सबसे ज्यादा वंचित हैं और सिर्फ इसलिए, क्योंकि किसी ने कुछ नहीं किया, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि यह हम पर लागू हो। हमें वहीं करना चाहिए, जो हमारे लिए सही हो। हम अब द्वितीय श्रेणी के देश नहीं रह गए हैं। हम अब ‘इलीट लीग’ में शामिल हैं।’
सैटेलाइट संचार में तेजी
दूरसंचार विभाग (डीओटी) यूटेलसैट वनवेब और रिलायंस जियो की सैटेलाइट इकाई जियो स्पेस लिमिटेड को भारत में उपग्रह-आधारित ब्रॉडबैंड सेवाएं मुहैया कराने के लिए जरूरी ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाई सैटेलाइट सर्विसेज (जीएमपीसीएस) लाइसेंस पहले ही दे चुका है।
इन दोनों कंपनियों को अब जियो द्वारा सफलतापूर्वक अपनी जियो स्पेसफाइबर सेवा का प्रदर्शन किए जाने की वजह से इस सेगमेंट में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
इस बीच, भारती एयरटेल (Bharti Airtel) के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने घोषणा की है कि एयरटेल-समर्थित यूटेलसैट वनवेब की सैटेलाइट संचार सेवा अगले महीने से भारत में उपलब्ध होगी। ऊमेन का मानना है कि लग्जमबर्ग की सैटेलाइट दूरसंचार नेटवर्क प्रदाता एसईएस के सैटेलाइट से कंपनी को मदद मिलेगी।