डाबर समूह (Dabur Group) के चेयरमैन मोहित बर्मन ने आज कहा कि रेलिगेयर एंटरप्राइजेज (Religare Enterprises) की बहुलांश हिस्सेदारी के अधिग्रहण के बाद वित्तीय सेवा कंपनी के मौजूदा बोर्ड में बर्मन फैमिली की तरफ से किसी बदलाव की कोई योजना नहीं है। बर्मन ने कहा कि बर्मन फैमिली ऑफिस की योजना रेलिगेयर के मौजूदा कारोबारों में अतिरिक्त पूंजी के निवेश की है ताकि कंपनियां आगे बढ़ सकें।
रेलिगेयर एंटरप्राइजेज के कुछ स्वतंत्र निदेशकों के उन आरोपों से बर्मन ने इनकार किया है, जिनमें कहा गया है कि बर्मन फैमिली के सदस्यों के नाम पंडोरा पेपर्स, एचएसबीसी ऑफशोर खाते जैसे वित्तीय घोटालों में शामिल हैं। ऐसे में यह नियामक के फिट ऐंड प्रॉपर मानक को पूरा नहीं करता। बर्मन ने कहा कि इन मामलों में परिवार के किसी भी सदस्य पर कभी भी आरोपपत्र नहीं आए हैं।
बर्मन ने कहा कि हमारे पास पहले ही दो बीमा कंपनियां, 10 अलग-अलग कारोबार हैं और हम पिछले 140 वर्षों से उद्योग में हैं। हमारे पास संयुक्त उद्यम के तहत 18 मल्टीनैशनल स्टार्टअप हैं। हमारे कारोबार पहले से ही बीमा नियामक व आरबीआई के दायरे में हैं और हम सभी मानकों को पूरा कर रहे हैं। क्या अब रेलिगेयर का बोर्ड हमारे फिट ऐंड प्रॉपर मानक की जांच करेगा?
रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की कार्यकारी चेयरपर्सन रश्मि सलूजा केयर हेल्थ इंश्योरेंस के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम की योजना बना रही थी जो अभी दूसरे नंबर की स्वास्थ्य बीमा कंपनी है। लेकिन बर्मन ने कहा कि ओपन ऑफर के मसले का समाधान होने तक आईपीओ नहीं आ सकता।
बर्मन ने कहा कि फैमिली ऑफिस साल 2018 से आरईएल की शेयरधारक है और 2018 व 2021 के दो तरजीही इश्यू में उसने भागीदारी की थी। हमने सामूहिक तौर पर करीब 380 करोड़ रुपये कंपनी को उबारने में लगाए हैं जब उसका कोई प्रवर्तक नहीं था, प्रबंधन अपर्याप्त था और वेतन देने के लिए पैसे नहीं थे। हमने बैंकों की एकमुश्त निपटान योजना के तहत 2021 में रकम दी और मौजूदा प्रबंधन व बोर्ड ने हमारा स्वागत किया।
बर्मन फैमिली के पास आरईएल की 21.24 फीसदी हिस्सेदारी है और उसने अन्य शेयरधारकों से 26 फीसदी अतिरिक्त हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए 25 सितंबर को ओपन ऑफर रखा। अल्पांश शेयरधारकों की तरफ से ओपन ऑफर की कुल स्वीकार्यता पर वर्मन फैमिली को अतिरिक्त 2,116 करोड़ रुपये देने होंगे। 25 सितंबर को ओपन ऑफर का स्वागत करने के बाद सलूजा की अगुआई में आरईएल के निदेशक मंडल ने अपना रुख बदल लिया और बाजार नियामक सेबी के पास अपील की।