भारत के म्युचुअल फंड उद्योग ने अपने निवेश वाली कंपनियों की संख्या में इजाफा किया है। इक्विटी फंडों में बढ़ते निवेश के बीच इस समय करीब 1,000 कंपनियों में म्युचुअल फंडों का पैसा लगा हुआ है।
प्राइमएमएफडेटाबेस डॉटकॉम के आंकड़े के बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चला है कि जिन ज्यादातर शेयरों में म्युचुअल फंडों का निवेश है, उनमें फ्री फ्लोट कम है और सीमित तरलता के संकेत दिख रहे हैं।
म्युचुअल फंडों की प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) सितंबर में बढ़कर करीब 48 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गईं, जिनमें से आधी से ज्यादा पूंजी इक्विटी फंडों के जरिए लगी हुई थी। कोविड-19 महामारी के बाद से परिसंपत्ति प्रबंधकों के निवेश वाली कंपनियों की संख्या बढ़ी है।
कोविड-19 की अनिश्चितता के बीच जुलाई 2020 में इन कंपनियों की संख्या घटकर 792 रह गई थी। तब से इसमें तेजी से इजाफा हुआ है।
इक्विटी म्युचुअल फंडों का सितंबर 2023 तक 983 कंपनियों के शेयरों में निवेश था, जबकि 2016 में यह आंकड़ा महज 88 था। सभी 983 कंपनियों के विश्लेषण से पता चलता है कि म्युचुअल फंडों ने छोटी कंपनियों में दिलचस्पी बढ़ाई है, क्योंकि उन्होंने अपने पोर्टफोलियो में बदलाव किया है और पूंजी प्रवाह बढ़ाया है।
टॉप-100 होल्डिंग में एक औसत कंपनी का बाजार पूंजीकरण करीब 90,000 करोड़ रुपये था। यह घटकर इससे नीचे की टॉप-100 के लिए करीब 32,000 करोड़ रुपये और इससे भी नीचे (201-983 रैंक) के लिए घटकर 6,000 करोड़ रुपये से कम रह गया।
फ्री फ्लोट का मतलब लोगों के हाथ में और ट्रेडिंग के लिए मौजूद शेयर से है। टॉप-100 होल्डिंग में औसत फ्री फ्लोट करीब 43,000 करोड़ रुपये था। यह इससे नीचे के 100 शेयरों के लिए घटकर 15,000 करोड़ रुपये से कम रह गया। इसके बाद के शेयरों के लिए औसत फ्री फ्लोट करीब 2,000 करोड़ रुपये था।
स्मॉलकैप फंडों में निवेशकों की दिलचस्पी पिछले एक साल में बढ़ी है, जिससे इस फंड श्रेणी को एयूएम रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंचने में मदद मिली, जबकि सितंबर 2022 में यह रैकिंग में पांचवें स्थान पर थी। इस फंड श्रेणी की एयूएम एक साल में 61 प्रतिशत बढ़कर 1.98 लाख करोड़ रुपये हो गई।
लगातार निवेश और शेयर कीमतों में तेजी की वजह से एयूएम में इजाफा दर्ज किया गया। पिछले एक साल में निवेशकों ने स्मॉलकैप फंडों में औसतन 2,850 करोड़ रुपये निवेश किए।
लार्जकैप म्युचुअल फंडों के लिए ऐसे समय में शेयरों में सौदे करना कठिन होगा, जब खरीदार और विक्रेता कम हों। शेयरों की अदला-बदली की संख्या से भी पोर्टफोलियो में तेज गिरावट का पता चलता है। शीर्ष-100 म्युचुअल फंड होल्डिंग के लिए औसत कारोबार करीब 200 करोड़ रुपये था।
इसके बाद के 100 शेयरों के लिए यह घटकर 80 करोड़ रुपये से कम रह गया। वहीं शेष शेयरों के लिए यह 20 करोड़ रुपये से कम रहा। बाजार में उतार-चढ़ाव के समय छोटी कंपनियों में कारोबार काफी हद तक घट जाता है।