सरकारी ठेकों में घरेलू खरीद के मानकों की बार बार अवहेलना करने को लेकर केंद्र सरकार ने कुछ मंत्रालयों और उनकी खरीद एजेंसियों की आलोचना की है। बिज़नेस स्टैंडर्ड को मिली जानकारी के मुताबिक इन ठेकों में रखी गई शर्तें स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं के प्रतिकूल थीं, जिसकी वजह से वे शुरुआत में ही बोली की प्रक्रिया से बाहर हो गए।
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने सरकार के ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) और वित्त मंत्रालय से परामर्श के बाद सार्वजनिक खरीद आदेश 2017 के उल्लंघन का मामला सामने रखा है और पिछले महीने सभी मंत्रालयों को परामर्श जारी किया है। यह आदेश मेक इन इंडिया को प्राथमिकता देने, स्थानीय आपूर्ति की जरूरतों या स्थानीय मूल्यवर्धन को सरकारी खरीद में अनिवार्य करने को लेकर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन आत्मनिर्भर भारत को लेकर सरकार कई कदम उठा रही है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी पिछले कुछ साल में स्थिर रही है। आगे इसकी हिस्सेदारी वित्त वर्ष 23 में घटकर जीडीपी के 13 प्रतिशत पर पहुंचने की संभावना है। आदेश में कहा गया है कि बोली की कुछ शर्तें विभेदकारी हैं, जैसे विदेशी प्रमाणन अनिवार्य किया जाना, जिसमें भारतीय प्रमाणन के समान होने के बावजूद उसे विकल्प के रूप में नहीं माना जाता है।
खरीद एजेंसियां पहले अपने ठेकों में प्री क्वाइलीफाइंड मानदंड रखती थीं, जिसमें बोली लगाने वाले के कारोबार और पहले के अनुभव के साथ वित्तीय सक्षमता आदि की जरूरत होती थी। स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं को अतिरिक्त बैंक गारंटी भी देनी होती थी। डीपीआईआईटी ने कहा है कि यह सभी चीजें स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं पर प्रतिबंध लगाने वाले और विभेदकारी शर्तें हैं।
यह परामर्श ऐसे समय में आया है, जब डीपीआईआईटी को शिकायत मिल रही थी कि सरकारी खरीद आदेश का उल्लंघन हो रहा है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘डीपीआईआईटी सचिव की अध्यक्षता में एक सरकारी पैनल आदेश के उल्लंघन की शिकायतों की जांच कर रहा है। जब आदेश के उल्लंघन या शिकायत की बात संज्ञान में आती है तो समिति इस मामले पर संबंधित मंत्रालय को सूचना देती है।’
परामर्श में ठेकों की तकनीकी शर्तों का उल्लेख किया गया है, जिनमें ठेके के हिस्से के रूप में विदेशी कंपनियों को चिह्नित किया गया है। इनमें सिस्को, सीमेंट, डेल, एचपी, लेनोवो, मित्सुबिसी, शिंडरल, हॉनीवेल और डी-लिंक के अलावा अन्य शामिल हैं।