एक नए रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर की करीब 64 फीसदी प्रौद्योगिकी कंपनियां नियुक्तियों के लिए कौशल के अभाव को बड़ी चुनौती मानती हैं। अमेरिकी डिजिटल पत्रिका एमआईटी टेक्नोलॉजी रिव्यू ने भारत की एचसीएल टेक के साथ मिलकर ‘न्यू एप्रोचेज टू द टेक टैलेंट शॉर्टेज’ रिपोर्ट प्रकाशित की है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी कंपनियों के करीब 56 फीसदी अधिकारियों ने कहा कि उम्मीदवारों की कमी है। जबकि कम से कम 31 फीसदी अधिकारियों का कहना है कि उम्मीदवारों के पास आवश्यक योग्यताओं की कमी है।
इन अधिकारियों में से सिर्फ 17 फीसदी ही ऐसे हैं जो बिना कॉलेज डिग्री वाले उम्मीदवार को नौकरी पर रखना पसंद करेंगे। अध्ययन में इस संकट को दूर करने के लिए उम्मीदवारों को करियर की शुरुआत में ही प्रशिक्षण देने का सुझाव दिया गया है।
एमआईटी टेक्नोलॉजी रिव्यू में वैश्विक निदेशक लॉरेल रूमा का कहना है, ‘करियर की शुरुआत में ही उम्मीदवारों को लक्षित कर हम नई प्रतिभा की पहचान करते हैं। इनमें वे भी शामिल हैं जिन्होंने कॉलेज की शिक्षा पूरी नहीं की है।’
सर्वेक्षण में शामिल करीब 32 फीसदी कंपनियों के पास नए कर्मचारियों की भर्ती और प्रशिक्षण के लिए कार्यक्रम मौजूद है। एचसीएल टेक भारत में इस तरह के कार्यक्रम को अपनाने वाली शुरुआती कंपनियों में से एक है। टेकबी नामक कार्यक्रम के माध्यम से कंपनी श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका और कनाडा में कर्मचारियों की भर्ती करती है।
कार्यक्रम के तहत कंपनी हाईस्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों पर काम करती है और उन्हें प्रशिक्षित करती है। इस दौरान छात्र अपनी पढ़ाई जारी रखते हैं।
एचसीएल टेक में डिजिटल फाउंडेशन के प्रेसिडेंट जगदेश्वर गट्टू ने कहा, ‘हाईस्कूल से ही प्रतिभा में निवेश करने से न केवल प्रवेश स्तर की प्रतिभा तैयार होती है बल्कि भविष्य के लिए भी अच्छे कर्मचारी तैयार होते हैं जो ग्राहकों के लिए दीर्घकालिक नवोन्मेष और मूल्य ला सकते हैं।’
एमआईटी-एचसीएल टेक रिपोर्ट में कहा गया है कि कम से कम 69 फीसदी कंपनियों का कहना है कि वे नए कर्मचारियों को नौकरी के दौरान प्रशिक्षण देते हैं और 13 फीसदी कंपनियों ने अगले दो वर्षों के दौरान ऐसे कार्यक्रम का उपयोग करने की योजना बनाई है।