facebookmetapixel
Q2 Results: मारुति सुजुकी का मुनाफा 8% बढ़कर ₹3349 करोड़ हुआ, रेवेन्यू में भी इजाफादुबई और सिंगापुर को टक्कर देने को तैयार भारत की GIFT City! एक्सपर्ट्स ने बताईं अब तक की बड़ी उपलब्धियांहर साल रिटर्न जरूरी नहीं, इक्विटी सबसे लंबी अवधि का एसेट क्लास है: मॉर्गन स्टेनली एमडी रिधम देसाई‘उबाऊ’ बाजार से मत घबराओ, यहीं से शुरू होगी भारत की नई उड़ान – मार्क मैथ्यूजबाजार डगमगाए, मगर निवेश मत रोकिए! फंड गुरुओं ने बताया पैसा बढ़ाने का असली राजNSE IPO का इंतजार जल्द खत्म! सेबी चीफ बोले – अब देर नहीं, लिस्टिंग की राह खुली1 लाख फेक अकाउंट बंद, NSE IPO आने को तैयार – सेबी चीफ ने बताया भारत का फाइनेंस फ्यूचरSEBI के नए नियम, अब बैंक निफ्टी में होंगे 14 शेयर; टॉप स्टॉक्स के वेटेज पर लिमिटApple India को ​सितंबर तिमाही में रिकॉर्ड रेवेन्यू, iPhone की दमदार बिक्री से मिला बूस्टIndia’s Biggest BFSI Event – 2025 | तीसरा दिन (हॉल- 2)

ले लिया पजेशन तो डेवलपर्स के दिवालिया होने की नहीं रहेगी टेंशन!

आईबीबीआई ने प्रस्ताव दिया है कि जिन प्रॉपर्टी पर खरीदार को कब्जा मिल चुका है, उन्हें समाधान प्रक्रिया से बाहर रखा जाए।

Last Updated- November 08, 2023 | 7:16 PM IST
Housing_home

अगर आपने किसी निर्माणाधीन रियल एस्टेट परियोजना में मकान खरीदा है और उसे बना रही कंपनी दिवालिया हो जाती है तो घबराने की बात नहीं है।

ऐसे खरीदारों की परेशानी दूर करने के लिए भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने प्रस्ताव दिया है कि जिन प्रॉपर्टी पर खरीदार को कब्जा मिल चुका है, उन्हें समाधान प्रक्रिया से बाहर रखा जाए। साथ ही कॉरपोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया के दौरान जब संपत्तियां बेची जाएं तो ऐसी प्रॉपर्टी को हाथ नहीं लगाया जाए।

आईबीबीआई ने रियल एस्टेट कंपनी के दिवालिया होने पर उसकी हर परियोजना के लिए अलग-अलग दिवालिया प्रक्रिया का प्रस्ताव भी दिया है ताकि हरेक परियोजना में कई बोलीदाता बुलाए जा सकें।

दिवालिया नियामक ने 6 नवंबर को जारी चर्चा पत्र में दिवालिया रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (रेरा) की भूमिका बढ़ाने की वकालत भी की है। इसीलिए उसने कॉरपोरेट दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही सभी रियल एस्टेट परियोजनाओं के लिए का पंजीकरण अनिवार्य करने की सिफारिश भी की है।

आईबीबीआई ने कहा है, ‘रियल एस्टेट परियोजना का पंजीकरण अनिवार्य है ताकि अधिक पारदर्शिता, जवाबदेही और कुशल प्रक्रिया सुनिश्चित की जा सके।’

आईबीबीआई ने रियल एस्टेट परियोजनाओं पर अमिताभ कांत समिति की रिपोर्ट लागू करने के लिए सभी हितधारकों से राय मांगी है। यह रिपोर्ट निर्माण के दौरान अटकी पुरानी परियोजनाओं के बारे में है। इसमें कहा गया है कि रियल एस्टेट क्षेत्र की जटिलताएं दूर करने के लिए आईबीसी में सुधार की जरूरत है।

प्रमुख सिफारिशों में हर परियोजना के लिए अलग दिवालिया प्रक्रिया, स्वामित्व का हस्तांतरण और समाधान प्रक्रिया के दौरान आवंटियों को भूखंड, अपार्टमेंट अथवा मकान पर कब्जा देना शामिल है।

आईबीबीआई अपने दिशानिर्देशों के जरिये एक समाधान ढांचा तैयार करने पर भी विचार कर रहा है ताकि हर परियोजना के लिए अलग दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने के वास्ते रियल एस्टेट क्षेत्र की जरूरतों को पूरा किया जा सके। साथ ही मकान खरीदारों को समाधान आवेदक बनने की अनुमति दी जा सके।

मगर हर परियोजना के लिए अलग-अलग दिवालिया प्रक्रिया के प्रस्ताव पर विशेषज्ञों ने कुछ चिंताएं भी जाहिर की हैं। उनका कहना है कि इससे प्रशासनिक बोझ बढ़ जाएगा, खासकर ऐसे मामलों में जहां किसी रियल एस्टेट कंपनी की कई परियोजनाएं विकास के विभिन्न चरणों में हों।

जे सागर एसोसिएट्स के पार्टनर सिद्धार्थ मोदी ने कहा, ‘इससे पूरी दिवालिया प्रक्रिया जटिल हो सकती है क्योंकि कई समाधान योजनाओं के साथ तालमेल बिठाना और हरेक परियोजना में विभिन्न हितधारकों को शामिल करना काफी चुनौतीपूर्ण होगा। इसके परिणाम संभवत: अच्छे नहीं होंगे। कुछ परियोजनाओं का समाधान दूसरों के मुकाबले अधिक कुशलता से किया जा सकता है।’

मगर अधिकतर विशेषज्ञों ने सहमति जताई कि अगर कोई परियोजना डिफॉल्ट होती है तो पूरी कंपनी को कॉरपोरेट दिवालिया प्रक्रिया में घसीटने का कोई मतलब नहीं है।

खेतान लीगल एसोसिएट्स की पार्टनर स्मिति तिवारी ने कहा, ‘रियल एस्टेट क्षेत्र की अनोखी प्रकृति के मद्देनजर परियोजना आधारित दिवालिया प्रक्रिया काफी व्यावहारिक समाधान है। इसमें ऋणदाताओं और आवंटियों के वित्तीय हित समान रूप से शामिल हैं।’

आईबीबीआई ने रेरा प्रावधान के अनुरूप हरेक परियोजना के लिए अलग बैंक खाता रखने और प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने का भी सुझाव दिया है।

First Published - November 7, 2023 | 11:24 PM IST

संबंधित पोस्ट