केंद्र सरकार छोटे खुदरा विक्रेताओं को सस्ता ऋण मुहैया कराने की पेशकश कर सकती है। साथ ही इस क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले कुछ नियमों को भी आसान बनाया जा सकता है। दो सरकारी अधिकारियों ने रॉयटर्स को यह जानकारी दी है।
इस प्रस्ताव की घोषणा बजट में हो सकती है। इसका उद्देश्य छोटे भौतिक खुदरा क्षेत्र में विकास को पुनर्जीवित करना है, जो एमेजॉन, फ्लिपकार्ट, टाटा समूह की बिगबास्केट और रिलायंस जैसी कंपनियों के प्रवेश से प्रभावित हुआ है।
सरकार एक ऐसी नीति पर काम कर रही है जिसके जरिये कम ब्याज दरों पर आसानी से कर्ज उपलब्ध कराया जा सके। नाम गुप्त रखने की शर्त पर एक सरकारी अधिकारी ने बताया। हालांकि, वाणिज्य मंत्रालय ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया। साथ ही किसी भी अधिकारी ने यह ब्योरा नहीं दिया कि सस्ते कर्ज देने के लिए बैंकों को कैसे मुआवजा दिया जाएगा।
यह नीति सरल ऑनलाइन प्रक्रिया के साथ नई दुकानों और नवीनीकरण के लिए लाइसेंसिंग आवश्यकताओं को भी बदल देगी। रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी कुमार राजागोपालन ने कहा, ‘खुदरा दुकानों को अभी 25 से 50 विभिन्न लाइसेंसों की आवश्यकता होती है। इनमें से कुछ को हर साल नवीनीकृत किया जाता है।’ रॉयटर्स