वाहन कंपनियों, खास तौर पर इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों का निर्माण करने वाली कंपनियों को दी जाने वाली 300 करोड़ से अधिक की फेम-2 सब्सिडी आधार कार्ड में दिए गए नाम और वाहन पंजीकरण प्रमाण-पत्र (RC) में दिए गए खरीदारों के नाम के बीच विसंगति के कारण अटकी हुई है। वाहन कंपनियों ने यह जानकारी दी है।
सब्सिडी का दावा करने के लिए विनिर्माता को सरकार और भारतीय औद्योगिक वित्त निगम (आईएफसीआई) को बिल के साथ ये दो दस्तावेज जमा करने होते हैं। सरकार की ओर से आईएफसीआई फेम-2 का प्रबंधन करता है। यह दो तरफा मसला है।
महाराष्ट्र जैसे राज्यों में किसी व्यक्ति के पिता का नाम आम तौर पर उसका मध्य नाम होता है। हालांकि आधार कार्ड में यह परंपरा दिखती है, लेकिन किसी वाहन के पंजीकरण के वक्त उपभोक्ता बीच वाला नाम हटा देता है, जिससे यह विसंगति हो जाती है।
अन्य मामलों में यह विसंगति तब होती है, जब दो दस्तावेज में उपनामों की वर्तनी अलग-अलग होती है। यह उस देश में आम समस्या है, जहां एक ही उपनाम को कई तरीकों से लिखा जा सकता है।
वाहन कंपनियों, खास तौर पर इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन विनिर्माताओं का कहना है कि सरकार ने इस मसले का हल पेश किए बिना ही ऐसे मामलों में महीनों से सब्सिडी रोक रखी है।
उनका कहना है कि जिन मामलों में विसंगति है, उनमें सब्सिडी दिसंबर 2022 से लंबित है और इस मसले को अब भी हल नहीं किया गया है। इसके अलावा सब्सिडी वितरण में देर बढ़ती जा रही है।
कम से कम एक कंपनी का तो यह अनुमान है कि वर्तमान में सब्सिडी के तकरीबन 15 प्रतिशत दावे सरकार द्वारा या तो आईएफसीआई में या भारी उद्योग विभाग में रोके हुए हैं। वाहन कंपनियों को अपने ऑडिटरों और बैंकरों के साथ भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
एक इलेक्ट्रिक दोपहिया कंपनी के शीर्ष अधिकारी का कहना है ‘हमारे ऑडिटर हमसे सवाल कर रहे हैं कि सब्सिडी को इतने लंबे समय तक हमारे बहीखातों में ‘प्राप्त की जानी है’ के रूप में क्यों दिखाया जा रहा है। वे कह रहे हैं कि प्राप्तकर्ता को यह शपथ पत्र देना चाहिए कि पैसा बकाया है। अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो कंपनी को अपने बहीखातों में इस राशि को बट्टे खाते डाल देना चाहिए। जाहिर है, सरकार न तो इसे खारिज कर रही है और न ही यह दिलासा देने को तैयार है कि पैसा आएगा। इसलिए हम असमंजस में हैं।’