जुलाई में वर्ष 2023-24 (वित्त वर्ष 24) की अप्रैल-जून तिमाही (पहली तिमाही) के वित्तीय परिणाम के बाद ब्लू डार्ट एक्सप्रेस का शेयर 15 प्रतिशत तक गिरकर 6,201 रुपये प्रति शेयर तक लुढ़क गया। हालांकि सितंबर में इसमें मामूली सुधार हुआ है।
फिलहाल बीएसई पर यह 6,620 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है। वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में कमजोर परिणामों के बाद ब्रोकरेज फर्मों ने इसकी कमाई का अपना अनुमान कम कर दिया है।
हालांकि विश्लेषक शेयर की मध्य अवधि की संभावनाओं के संबंध में आशावादी हैं, लेकिन वे उत्पाद मिश्रण में बदलाव और नए विमानों के जुड़ने के परिणामस्वरूप मार्जिन दबाव के कारण कम प्राप्तियों से उत्पन्न होने वाली निकट अवधि की चिंताओं पर जोर दे रहे हैं।
इनमें से कुछ चिंताएं जून तिमाही के प्रदर्शन में देखी गई थीं। हालांकि वॉल्यूम (शिपमेंट) वृद्धि वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में नौ प्रतिशत की दर पर स्थिर रही और वजन के लिहाज से 2.6 प्रतिशत तक का सुधार हुआ, लेकिन कम प्राप्तियों के कारण राजस्व में एक साल पहले की तिमाही की तुलना में चार प्रतिशत की गिरावट आई।
पिछली कुछ तिमाहियों के दौरान शेयर की कीमत पर जो असर पड़ा, वह है उम्मीद से कम परिचालन लाभ मार्जिन है। जून तिमाही का मार्जिन पिछले साल की तुलना में 550 आधार अंक तक घटकर 9.2 प्रतिशत रह गया, जो आठ तिमाहियों का सबसे निचला स्तर है।
नुवामा रिसर्च के शोध विश्लेषक आलोक पी देशपांडे और आदिल खान ने कहा कि हाल के दिनों में ब्लू डार्ट के मार्जिन पर असर पड़ा है – सबसे पहले ब्रेंट कच्चे तेल और विमानों के ईंधन (एटीएफ) की कीमतों के बीच अंतर और नए विमानों के कम उपयोग की वजह से।
इस लॉजिस्टिक्स कंपनी ने जून तिमाही के आखिर में अपने बेड़े में दो नए विमान (बोइंग 737-800) शामिल किए हैं।
बेड़े के पूर्ण उपयोग और ब्रेंट-एटीएफ मूल्य का अंतर कम होने से कंपनी को उम्मीद है कि उसके कर पूर्व लाभ के स्तर में सुधार होगा और वह आठ से 10 प्रतिशत के महामारी से पहले वाले स्तर पर लौट आएगा, जबकि वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में यह 6.5 प्रतिशत पर था।
एटीएफ और ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतों के बीच असमानता कम होने तथा विमान उपयोग में सुधार होने के अलावा मोतीलाल ओसवाल रिसर्च के अनुसंधान विश्लेषक आलोक देवड़ा और सौरभ दुगड़ को उम्मीद है कि त्योहारों के दौरान अधिक मांग के कारण मार्जिन में सुधार होगा।