डिजिटल डेटा सुरक्षा विधेयक, 2023 (Digital Data Protection Bill) को संसद की मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सौरभ लेले और सुरजीत दास गुप्ता के साथ बातचीत में विधेयक के विभिन्न पहलुओं के बारे में चर्चा की। बातचीत के प्रमुख अंश:
डेटा कानून पर कब से अमल किए जाने की उम्मीद है? क्या कोई बदलाव की अवधि होगी?
इसको लेकर दो बातें हैं। पहला, मैं नहीं चाहता कि भारतीय नागरिकों को इंतजार करना पड़े। दूसरा, हमें इस बदलाव के लिए विभिन्न मंचों को उचित समय देने की आवश्यकता है। यदि आप इन डिजिटल मंचों से पूछेंगे तब वे कहेंगे कि हमें जीडीपीआर (यूरोपीय संघ के सामान्य डेटा संरक्षण नियमन) के समान दो साल का वक्त दें।
मुझे लगता है कि हम विभिन्न प्रकार के मंचों को इस बदलाव को अपनाने के लिए अलग-अलग समय-सीमा देंगे। छोटी कंपनियों को थोड़ा अधिक समय लग सकता है। बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए निश्चित रूप से अमल के लिए लंबी समयसीमा की आवश्यकता नहीं है। संभव है कि कुछ सरकारी संस्थाओं को थोड़ा अधिक समय लग सकता है क्योंकि उनका आधुनिकीकरण करना है। हम निश्चित रूप से बड़े डेटा की खपत करने वालों को लंबा समय नहीं देना चाहते हैं। डेटा संरक्षण के बारे में बातचीत छह साल से चल रही है और सभी लोग जानते हैं कि उन्हें क्या करना है।
विधेयक में ऐसा कहा गया है कि बच्चों से जुड़े डेटा के प्रसंस्करण के लिए माता-पिता की सहमति की आवश्यकता होती है, लेकिन कुछ श्रेणी को इस संबंध में सरकार से छूट मिल सकती है। किस श्रेणी को यह छूट मिलेगी?
हमने कहा है कि अगर ऐसे मंच हैं जो इंटरनेट पर बच्चों से जुड़ा सुरक्षित क्षेत्र बनाने के लिए असाधारण तरीके से ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, उदाहरण के तौर पर मंच पर मौजूद सभी लोगों का ई-केवाईसी (नो योर कस्टमर) और प्रत्येक व्यक्ति की पहचान सत्यापित करने के साथ ऐप बच्चों के लिए भरोसेमंद है या नहीं यह सुनिश्चित करने के साथ वे सरकार को आवेदन कर सकते हैं।
सरकार अकेले उस मंच के लिए सीमा कम करने पर विचार कर सकती है। कोई भी सोशल मीडिया मंच इसके लिए क्वालिफाई नहीं करेंगे क्योंकि वे कोई केवाईसी नहीं करते हैं, वे नहीं जानते कि उनके ऐप का उपयोग कौन कर रहा है और इस तरह के गुमनाम इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, एक शिक्षा-प्रौद्योगिकी मंच (एडटेक) जो इस बात का बहुत ध्यान रखते हैं कि उनके मंच के उपयोगकर्ता कौन हैं क्योंकि वे हर किसी के लिए ई-केवाईसी करता है। जिन मंचों पर केवल बच्चे ही उपयोगकर्ता हैं वे 16 साल तक (आयु) सीमा को कम करने के लिए आवेदन कर सकते हैं और हम उस पर विचार कर सकते हैं।
विधेयक में केंद्र सरकार को मंचों को ब्लॉक करने का अधिकार दिया है। ऐसा क्यों हुआ?
बड़े दंड के पीछे विचार यह था कि किसी भी मंच को खुद को खराब तरीके से संचालित करने या भारतीय नागरिक के अधिकारों का उल्लंघन करने से रोकना है। कुछ लोगों को जुर्माना देने में कोई आपत्ति नहीं होती है क्योंकि डेटा के दुरुपयोग से उन्हें ज्यादा जो लाभ मिलते हैं, वे बहुत अधिक हैं’ ऐसे ही घटनाक्रम को देखते हुए हमने ये प्रावधान किए।