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भारत में EV मैन्युफैक्चरिंग में Tesla ने नहीं दिखाई रुचि, मर्सिडीज, ह्युंडै, स्कोडा जैसे ब्रांड्स आगे

टेस्ला ने मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में शोरूम के लिए जगह तय कर ली है और फिलहाल भारत में अपने मॉडल 3 और मॉडल वाई का परीक्षण कर रही है।

Last Updated- June 02, 2025 | 11:01 PM IST
EV Tesla Elon Musk

भारत में ही इले​क्ट्रिक वाहन (ईवी) विनिर्माण करने की योजना में टेस्ला ने रुचि नहीं दिखाई है। केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच डी कुमारस्वामी ने आज कहा कि इले​क्ट्रिक वाहन (ईवी) विनिर्माण के लिए वैश्विक निवेश आक​र्षित करने की खातिर भारत की योजना में टेस्ला ने दिलचस्पी नहीं दिखाई है। हालांकि उन्होंने कहा कि वै​​श्विक वाहन दिग्गजों मर्सिडीज बेंज, स्कोडा ऑटो, फोक्सवैगन, ह्युंडै मोटर और किया मोटर्स ने देश में ईवी विनिर्माण में निवेश करने में रुचि दिखाई है।

भारत की बहुप्रती​क्षित ईवी योजना के दिशानिर्देशों को जारी करते हुए कुमारस्वामी ने कहा, ‘मर्सिडीज बेंज, फोक्सवैगन, स्कोडा, ह्युंडै और किया ने इस योजना में पहले ही रुचि दिखाई है। टेस्ला भारत में शोरूम तो खोलना चाहती है मगर अभी तक उसने विनिर्माण में रुचि नहीं दिखाई है। जब हम उनके आवेदन को देखेंगे और कंपनी निवेश के लिए तैयार होगी तब हमें उनकी असली मंशा पता चलेगी।’ योजना के तहत आवेदन के लिए विंडो अगले एक-दो सप्ताह में खुल जाएगी।

भारत में इले​क्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने वाली योजना मार्च 2024 में अ​धिसूचित की गई थी। इस योजना का उद्देश्य वै​श्विक ईवी विनिर्माताओं से निवेश आक​र्षित करना, ईवी के लिए भारत को विनिर्माण का अड्डा बनाना और रोजगार सृजित करना है। दिशानिर्देशों के तहत स्वीकृत आवेदकों को आवेदन मंजूर होने की तारीख से 5 साल के लिए न्यूनतम 35,000 डॉलर सीआईएफ मूल्य की पूरी तरह से विनिर्मित (सीबीयू) इलेक्ट्रिक कारों को 15 फीसदी की रियायती सीमा शुल्क पर आयात करने की अनुमति दी जाएगी। रियायती शुल्क दर पर हर साल अ​धिकतम 8,000 वाहनों को ही आयात करने की अनुमति होगी और अर किसी साल उक्त सीमा तक वाहन आयात नहीं किया गया तो शेष संख्या अगले साल में जोड़ी जा सकेगी।

आवेदकों को तीन साल के भीतर 4,150 करोड़ रुपये के न्यूनतम निवेश से कारखाना स्थापित करना और इले​क्ट्रिक चारपहिया का विनिर्माण शुरू करना होगा। मंजूरी पत्र जारी होने की तारीख से पहले तीन वर्षों में 25 फीसदी घरेलू मूल्य वर्द्धन (डीवीए) और पांच साल के भीतर 50 फीसदी डीवीए का लक्ष्य पूरा करना होगा।

भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव कामरान रिजवी ने कहा कि इन शर्तों पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। कुमारस्वामी ने कहा, ‘सीमा शुल्क में रियायत और स्पष्ट रूप से परिभाषित घरेलू मूल्य वर्द्धन के माध्यम से यह योजना अत्याधुनिक ईवी प्रौद्योगिकियों को पेश करने और स्वदेशी क्षमता को बढ़ावा देने के बीच संतुलन बनाती है। डीवीए लक्ष्यों को अनिवार्य करने से यह योजना मेक इन इंडिया पहल को और बढ़ावा देगी जबकि वैश्विक और घरेलू, दोनों कंपनियों को भारत के ग्रीन मोबिलिटी क्रांति में सक्रिय भागीदार बनने में सक्षम बनाएगी।’

निवेश में जमीन अधिग्रहण पर किए गए खर्च को शामिल नहीं किया जाएगा। मगर मुख्य कारखाना और अन्य इमारतों को निवेश का हिस्सा माना जाएगा बशर्ते यह घोषित निवेश का 10 फीसदी से अधिक न हो। चार्जिंग के बुनियादी ढांचे पर किए गए खर्च के मामले में प्रतिबद्ध निवेश के अधिकतम 5 फीसदी की ही इसमें गणना की जाएगी। इससे पहले जब योजना अधिसूचित की गई थी तो चार्जिंग बुनियादी ढांचे में निवेश को शामिल नहीं किया गया था लेकिन हितधारकों के परामर्श के बाद इसे नियम में जोड़ा गया है।

बीवाईडी और चीन की अन्य वाहन विनिर्माताओं के बारे में कुमारस्वामी ने कहा कि सामान्य प्रेस नोट 3 शर्तें लागू होंगी और ऐसे सीमावर्ती देशों के लिए जो भी निवेश की शर्तें हैं वह प्रभावी होंगी। प्रेस नोट 3 के तहत वर्ष 2020 में एक नीति बनाई गई थी जिसके जरिये चीन सहित भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर कई तरह की पाबंदियां लगाई गई थीं।

द्विपक्षीय और मुक्त व्यापार समझौतों पर बातचीत के दौरान यूरोपीय संघ और अमेरिका के लिए मानदंड में संभावित बदलाव के बारे में भारी उद्योग मंत्री ने कहा कि विनिर्माण में टेस्ला को आकर्षित करने के लिए योजना में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘टेस्ला अभी शुरुआती चरण में है। कंपनी अपनी पहली कार भारत कब लाएगी इसकी पुष्टि उन्होंने नहीं की है। जब यह योजना तैयार की जा रही थी तब उन्होंने इसमें रुचि दिखाई थी लेकिन अब उनकी रुचि शोरूम खोलने में है।’

इस मुद्दे को विस्तार से बताते हुए रिजवी ने कहा, ‘टेस्ला भारत में अमेरिका, चीन या जर्मनी से कारें भेजेगी या नहीं, यह हम अभी भी नहीं जानते। यह बात समझ में आती है कि अमेरिका में राइट हैंड ड्राइव है जबकि भारत में लेफ्ट हैंड ड्राइव है। इसलिए अमेरिका में कार बनाना और उसे भारत भेजना हमेशा मुश्किल होता है। यूरोपीय देशों में ड्राइविंग की स्थिति हमारी तरह ही है। इसलिए यूरोप से कारें भेजना आसान है।’

टेस्ला ने मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में शोरूम के लिए जगह तय कर ली है और फिलहाल भारत में अपने मॉडल 3 और मॉडल वाई का परीक्षण कर रही है।

First Published - June 2, 2025 | 10:33 PM IST

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