केंद्र सरकार ने इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) के दूसरे चरण का डिजाइन और रूपरेखा तैयार कर ली है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि सरकार की कई हितधारकों के साथ भी चर्चा चल रही है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस कृष्णन ने कहा, ‘हमें अब यह पता लगाना हैं कि इसे पूरी तरह से स्थिर परिवेश कैसे बनाया जाए और समय के साथ-साथ हम मूल्य श्रृंखला को भी कैसे आगे बढ़ा सकते हैं। हालांकि लेगेसी नोड्स काफी जरूरी हैं और उनकी काफी मांग, लेकिन अन्य भौगोलिक क्षेत्रों से क्षमता और अधिक क्षमता का भी काफी जोखिम है।’
कृष्णन ने कहा कि दूसरे चरण के इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के तहत सरकार सेमीकंडक्टर बनाने में जरूरी कच्चे माल, उपकरण, गैसों और खास रसायनों को कुछ सहायता देने पर भी विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार यह भी सुनिश्चित करने पर विचार कर रही है कि डिजाइन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना में बदलाव कर फैबलेस सेमीकंडक्टर चिप के परिवेश को भी आगे बढ़ाया जाए ताकि और अधिक महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं और नवाचारों को भी इस प्रोत्साहन के जरिये मदद पहुंचाई जा सके।
कृष्णन ने कहा, ‘इसके साथ-साथ चिप पैकेजिंग डिजाइन भी है, जिसे भी परस्पर साथ चलना जरूरी होगा और हमें यह देखना होगा कि डिजाइन से जुड़ी योजना के जरिये उन्नत पैकेजिंग को कैसे समर्थन दिया जा सकता है।’ इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के पहले चरण के तहत भारत ने अब तक 18 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित किया है।
दिसंबर 2021 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के पहले चरण में अब तक चार चिप पैकेजिंग संयंत्र और एक चिप विनिर्माण संयंत्र को राज्य और केंद्र सरकार के प्रोत्साहन मिलने की भी मंजूरी मिल गई है। 76,000 करोड़ रुपये के इस मिशन का उद्देश्य देश में पूरी तरह सेमीकंडक्टर चिप का विनिर्माण और पैकेजिंग क्षमताओं को शुरू से ही स्थापित करने का है। अमेरिकी कंपनी माइक्रॉन गुजरात के साणंद में इकाई स्थापित करने के लिए सरकार से मंजूरी पाने वाली पहली कंपनी थी। असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग और पैकेजिंग (एटीएमपी) संयंत्र का निर्माण कुल मिलाकर 2.75 अरब डॉलर की लागत से किया जाएगा, जिसमें कंपनी के निवेश के साथ-साथ राज्य और केंद्र सरकार से मिलने वाली रियायतें और प्रोत्साहन भी शामिल है।