चीन द्वारा 4 अप्रैल से दुर्लभ मैग्नेट के निर्यात प्रतिबंधों का सरकार जल्द समाधान कर सकती है। विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। मंत्रालय ने कहा है कि समाधान निकालने के लिए चीनी पक्ष के साथ बातचीत की जा रही है ताकि भारत में इन महत्त्वपूर्ण खनिजों की कमी को कम किया जा सके। इसके अलावा मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं के अनुरूप व्यापार के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं में पूर्वानुमान लाने की आवश्यकता की ओर भी इशारा किया।
विदेश मंत्रालय के साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि चीनी वाणिज्य मंत्रालय और सामान्य प्रशासन ने अप्रैल की शुरुआत में कुछ दुर्लभ खनिज संबंधित वस्तुओं पर निर्यात नियंत्रण लागू करने की घोषणा की थी। जयसवाल ने कहा, ‘हम अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं के अनुरूप व्यापार के लिए आपूर्ति श्रृंखला में पूर्वानुमान लाने के लिए चीन और केंद्र सरकार के साथ संपर्क में हैं।’
उल्लेखनीय है कि दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति पर चीन का लगभग एकाधिकार है। सूत्रों ने बताया कि कारों और ड्रोन के निर्माण में उपयोग होने वाले इन महत्त्वपूर्ण खनिजों का निर्यात, अमेरिका के साथ चीन की व्यापार वार्ता के केंद्र और इन वार्ताओं से भारत को क्षति हुई है।
हालांकि, सरकारी सूत्रों को इसके जल्द समाधान की उम्मीद थी। चीनी विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा कि चीन में भारत के राजदूत प्रदीप कुमार रावत ने 5 जून को चीन के उप मंत्री सन वेईडोंग से मुलाकात की और दोनों पक्षों ने साझा हित और चिंता के मसलों पर विचार-विमर्श किया।
शुक्रवार से शुरू होने वाली दो दिवसीय यात्रा के लिए सन के भारत आने की भी उम्मीद है। उनकी भारत की यात्रा विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री की चीन यात्रा के छह महीने बाद हो रही है, जिससे दो एशियाई पड़ोसियों के बीच स्थगित द्विपक्षीय आदान-प्रदान को फिर से शुरू करने में मदद मिली।
चीन से पूछा गया कि क्या वह भारत को दुर्लभ खजिनों के निर्यात प्रतिबंध हटाएगा, क्योंकि उसने अमेरिका और यूरोपीय संघ को निर्यात लाइसेंस जारी करना शुरू कर दिया है, तो चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने गुरुवार को कहा, ‘हम वैश्विक औद्योगिक और आपूर्ति श्रृंखलाओं की स्थिरता को संयुक्त रूप से बनाए रखने के लिए संबंधित देशों और क्षेत्रों के साथ बातचीत और सहयोग बढ़ाने के इच्छुक हैं।’