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NASA-ISRO ने मिलकर रचा इतिहास, 1.5 अरब डॉलर के निसार उपग्रह को सफलतापूर्वक GSLV-F16 से किया लॉन्च

जीएसएलवी-एफ16 रॉकेट ने बुधवार शाम 5:40 बजे स्पेसपोर्ट के दूसरे लॉन्च पैड से उड़ान भरी और लगभग 5:45 बजे अपने क्रायोजेनिक चरण में प्रवेश कर गया।

Last Updated- July 30, 2025 | 11:09 PM IST
ISRO
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और अमे​रिकी अंतरिक्ष एजेंसी नैशनल एरोनॉटिक्स ऐंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने बुधवार को इतिहास रच दिया। दोनों ने अपनी पहली अंतरिक्ष साझेदारी में नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसार) उपग्रह का श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। यह अब तक का सबसे महंगा पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है, जिस पर 1.5 अरब डॉलर का निवेश किया गया है। 

जीएसएलवी-एफ16 रॉकेट ने बुधवार शाम 5:40 बजे स्पेसपोर्ट के दूसरे लॉन्च पैड से उड़ान भरी और लगभग 5:45 बजे अपने क्रायोजेनिक चरण में प्रवेश कर गया। सटीकता और अंतिम पृथक्करण के साथ कई पैरामीटर पूरे करने के बाद मिशन निदेशक ने लगभग 5:59 बजे घोषणा कर दी कि निसार का प्रक्षेपण सफल रहा। इसी के साथ भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय जुड़ गया। 

वरिष्ठ वैज्ञानिक थॉमस कुरियन मिशन के निदेशक थे, जबकि चैत्र राव निसार की परियोजना निदेशक थीं। मिशन की सफलता की घोषणा करते हुए इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा, ‘सभी पैरामीटर अपेक्षा के अनुरूप हैं। यह इसरो और नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (कैलिफोर्निया) की टीम वर्क का नतीजा है। दोनों देशों द्वारा शुरू की गई यह पहली संयुक्त विकास परियोजना है।’

विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, ‘निसार उपग्रह चक्रवात, बाढ़ आदि आपदाओं के सटीक प्रबंधन के मामले में पासा पलटने वाला है। यह कोहरे, घने बादलों, बर्फ की परतों को भी पार करने की अपनी क्षमता के कारण विमानन और शिपिंग क्षेत्रों के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण साबित होगा।’ 

निसार का वजन 2,392 किलोग्राम है और यह लगभग हर 12 दिनों में दो बार पृथ्वी की लगभग संपूर्ण भूमि और बर्फ की सतहों को स्कैन करेगा, जिससे बर्फ की चादरों, समुद्री बर्फ और ग्लेशियरों के विस्तार और संकुचन, प्राकृतिक आपदाओं के कारण इसकी परत के विरूपण, साथ ही पृथ्वी के स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र में होने वाले परिवर्तनों के बारे में जानकारी मिलेगी। यह 24 घंटे पृथ्वी की तस्वीरें लेकर ज्वालामुखी, भूस्खलन और जलवायु परिवर्तन का पता लगाने में मदद करेगा।

पहली बार भारत के जीएसएलवी (भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान) पर नासा का पेलोड लॉन्च किया गया है। जीएसएलवी को भी पहली बार सूर्य-ध्रवीय कक्षा (एसएसओ) के लिए तैनात किया गया था, जो परंपरागत रूप से पीएसएलवी का क्षेत्र है। 

उद्योग जगत में उत्साह 

‘निसार’ के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण से उद्योग जगत काफी उत्साहित है। उद्योग दिग्गजों ने इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंतरिक्ष सहयोग के क्षेत्र में मील का पत्थर बताया। इंडियन स्पेस एसोसिएशन के महानिदेशक एके भट्ट ने कहा, ‘भले ही यह मिशन राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा लॉन्च किया गया, लेकिन इसने अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़ी भारतीय निजी कंपनियों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अत्याधुनिक सहयोगों में सक्रिय रूप से शामिल होने का मार्ग प्रशस्त कर दिया। निसार की उन्नत रडार तकनीक जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रतिक्रिया और संसाधन प्रबंधन जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण डेटा जुटाएगी। यह मिशन विश्वसनीय वैश्विक अंतरिक्ष भागीदार के रूप में भारत की बढ़ती भूमिका को भी दर्शाता है।’ उन्होंने यह भी कहा, ‘भारत के उभरते निजी अंतरिक्ष उद्योग के साथ हम अनूठी सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’

बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस के सह-संस्थापक और मुख्य परिचालन अधिकारी यशस करनम ने कहा, ‘इस मिशन ने अमेरिका और भारत के बीच मजबूत आपसी सहयोग की नींव रख दी है। इससे भविष्य के संयुक्त मिशनों और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में सहयोगात्मक नवाचार का मार्ग प्रशस्त होगा। यह साझेदारी न केवल पारस्परिक ताकत को बढ़ाएगी, बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण मिशनों और सहयोग के अगले चरण की दिशा तय करने में दोनों देशों को नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करेगी।’

First Published - July 30, 2025 | 10:38 PM IST

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