भारी उद्योग मंत्रालय ने केंद्रीय बजट 2024 के लिए महत्त्वाकांक्षी योजना फास्टर एडॉप्शन ऐंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड ऐंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम) के तीसरे चरण के लिए तीन प्रस्ताव तैयार किए हैं। इसका मकसद उद्योग की जरूरत और बजट सीमाओं में संतुलन स्थापित करना है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड को जानकारी मिली है कि मंत्रालय तीन प्रस्ताव पेश करने की योजना बना रहा है और इनकी बजट सीमा 12,600 करोड़ से 30,000 करोड़ रुपये हैं। भारी उद्योग मंत्रालय को सैद्धांतिक रूप से व्यय विभाग से फेम योजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये की मंजूरी प्राप्त है। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘उद्योग ने इस क्षेत्र के लिए 30,000 करोड़ रुपये से अधिक के प्रस्ताव पेश किए हैं। हालांकि वित्त मंत्रालय को विश्वास है कि इस योजना के लिए परिव्यय दूसरे चरण के अनुरूप ही रहना चाहिए।’
इस सिलसिले में व्यय विभाग और भारी उद्योग मंत्रालय को सवाल भेजे गए थे लेकिन खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं मिला था। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस क्षेत्र के लिए दो प्रोत्साहन से जुड़ी योजनाओं (पीएलआई) दिए जाने के कारण व्यय विभाग 10,000 करोड़ रुपये से अधिक आबंटित करने का इच्छुक नहीं है। केंद्र वाहन और वाहन कलपुर्जों की करीब 25,938 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना को पहले ही लॉन्च कर चुका है और इसके अलावा 18,100 करोड़ रुपये की एडवांस केमिस्ट्री सेल को विशेषतौर पर चिह्नित किया गया है।
इसके अलावा सरकार ने 10,000 बसों के लिए 57,613 करोड़ रुपये के बजटीय आबंटन से पीएम ई बस सेवा योजना शुरू की है। भारी उद्योग मंत्रालय ने करीब 4,126 करोड़ रुपये का भुगतान सुरक्षा कोष भी स्थापित किया है।
अन्य अधिकारी ने बताया, ‘सरकार ने कुल 1 लाख करोड़ रुपये के बजट आबंटन के साथ यह योजना लॉन्च की है। इस बारे में कोई भी फैसला राजकोषीय स्थिति के मद्देनजर किया जाएगा।’
फेम की शुरुआत 2015 में की गई थी और इसके लिए कुल 900 करोड़ रुपये आबंटित किया गया था। इसे 2019 के दूसरे चरण में बढ़ाकर करीब 10,000 करोड़ रुपये कर दिया गया था। इस योजना का दूसरा चरण मार्च 2024 में समाप्त हुआ था।
फेम 2 के दूसरे चरण की समाप्ति के बाद केंद्र ने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रोमोशन योजना 2024 (ईएमपीएस 2024) शुरू की थी और इसके लिए बजटीय आबंटन 500 करोड़ रुपये था। इस योजना का ध्येय चार माह की अवधि में करीब 4,00,000 इलेक्ट्रिक दो पहिया (ई2डब्ल्यू) और तीन पहिया (ई 3 डब्ल्यू) को मदद करना है। यह योजना की समाप्ति 31 जुलाई को प्रस्तावित है।
ईएमपीएस समाप्त होने के अगले महीने ही बजट प्रस्तावित है। ऐसे में उद्योग यह मांग कर रहा है कि हालिया ईएमपीएस की अवधि बढ़ाई जाए व अधिक बजट के साथ विस्तार किया जाए या फेम के नए चरण को शामिल किया जाए।
वाहन उद्योग के प्रतिनिधि ने बताया, ‘हमने भारी उद्योग मंत्रालय को क्षेत्र-वार प्रस्ताव भेजे हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की गति को कायम रखने के लिए इस क्षेत्र को 30,000 करोड़ रुपये बजट आबंटन की जरूरत होगी।’
तीसरे चरण में मुख्य प्राथमिक ध्यान सार्वजनिक जन परिवहन को बेहतर बनाना है और चार्जिंग के आधारभूत ढांचे को मजबूत करना होगा। सरकार की योजना तीसरे चरण की अवधि दो साल करने की है। सरकार की योजना यह है कि जिन श्रेणियों में पहुंच बेहतर हो चुकी है, उनमें सब्सिडी को रोका जा सकता है।
सूत्र के मुताबिक, ‘भारतीय ईवी उद्योग को वैश्विक उद्योग के बराबर लाने की योजना है। यह सब्सिडी दो वर्ष के लिए निर्धारित की गई है। हमारा यह विश्वास है कि यह अवधि इस क्षेत्र के लिए लक्ष्य हासिल करने के लिए पर्याप्त है।’
वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार एक अन्य प्रस्ताव में वैकल्पिक ऊर्जा के अन्य स्रोतों जैसे हाइड्रोजन व जैव ईंधन को फेम के आगामी चरण में शामिल करने का प्रस्ताव है।
बजट प्रस्ताव : भारी उद्योग मंत्रालय 12,600 करोड़ से लेकर 30,000 करोड़ रुपये से अधिक के प्रस्तावों को मंजूरी चाहता है
वित्तीय सोच : व्यय विभाग पीएलआई और वित्तीय बाधाओं की सीमाओं का हवाला देते हुए 10,000 करोड़ रुपये की सीमा को लेकर सजग
उद्योग की मांग : उद्योग ने इस क्षेत्र के लिए 30,000 करोड़ रुपये से अधिक के प्रस्तावों की मांग की है
पिछले चरण : वर्ष 2015 में 900 करोड़ रुपये से फेम की शुरुआत की गई थी। दूसरे चरण की मार्च 2024 की समाप्ति पर इसे बढ़ाकर 10,000 करोड़ रुपये किया गया
हालिया पहल : ईएमपीएस में 31 जुलाई तक 500 करोड़ रुपये के बजट के साथ 400,000 इलेक्ट्रिक वाहनों का समर्थन