देश में कई अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (ETP) अब भी धड़ल्ले से डाउनलोड किए जा सकते हैं। इनमें ज्यादातर ईटीपी विदेश से परिचालन करते हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ऐसे ईटीपी के बारे में आगाह कर चुका है और ये केंद्रीय बैंक की सतर्कता सूची (अलर्ट लिस्ट) में हैं। ऐप स्टोरों पर इन ईटीपी की मौजूदगी का कारण यह है कि मोबाइल ऐप्लिकेशन स्टोरों को ऐसे ईटीपी को हटाने के संबंध में स्पष्ट निर्देश नहीं दिए मिले हैं।
आरबीआई ने सितंबर 2022 में एक अलर्ट लिस्ट जारी की थी जिसमें इन ईटीपी को लेकर आगाह किया गया था। तब आरबीआई ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) या इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (रिजर्व बैंक) डाइरेक्शंस, 2018 के तहत इन ऐप के जरिये विदेशी मुद्रा में कारोबार करने से सख्त मना किया था।
इनके बाद इस वर्ष फरवरी में एक और अलर्ट जारी किया गया था जिसमें 48 ऐसे अनधिकृत ऐप का जिक्र है। इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि आरबीआई की अलर्ट लिस्ट में ऐप के लिए डाउनलोड यूआरएल शामिल नहीं है। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि ऐप स्टोर इन ऐप को हटाने को लेकर जारी की गई चेतावनी का स्वतः संज्ञान नहीं ले सकते हैं।
बिज़नेस स्टैंडर्ड को मिली जानकारी के अनुसार अलर्ट लिस्ट जारी होने के बाद प्ले स्टोर से इन ऐप को हटाने पर वित्त मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के बीच कई बार संवादों का आदान-प्रदान हुआ था। मगर किसी भी सरकारी विभाग या एजेंसी ने इन ईटीपी को हटाने का निर्देश जारी नहीं किय़ा।
इसका नतीजा यह हुआ है कि आरबीआई की अलर्ट लिस्ट में शामिल बिनोमो, ओलिंप ट्रेड, एक्सएम-ट्रेडिंग पॉइंट, अवा ट्रेड, ओक्टाएफएक्स, ईटोरो और मेटाट्रेडर5 गूगल प्ले स्टोर पर अब भी मौजूद हैं और आसानी से डाउनलोड किए जा सकते हैं।
विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि सख्त निगरानी के अभाव में इन ऐप का इस्तेमाल करने वाले लोग न केवल धोखाधड़ी, वित्तीय नुकसान, जानकारी चोरी होने, इनका बेजा इस्तेमाल होने, चोरी और साइबर हमले का शिकार हो सकते है, बल्कि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती हैं।
आरबीआई कई बार आगाह कर चुका है कि जो लोग अनधिकृत ईटीपी पर कारोबार करते हैं वे फेमा के अंतर्गत अपने खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए स्वयं जिम्मेदार होंगे।
लोक नीति शोध संगठन कट्स इंटरनैशनल के निदेशक (शोध) अमोल कुलकर्णी ने कहा कि दोनों अलर्ट लिस्ट में ऐसे कई ईटीपी के नामों का जिक्र था मगर ऐसा लगता है कि इनकी अनदेखी की गई है। कुलकर्णी ने कहा, ‘इन ईटीपी पर प्रतिबंध लगाने के लिए ठोस प्रयास नहीं हुआ है।
अलर्ट लिस्ट इसलिए जारी की जाती है ताकि लोग जागरूक हो सकें और ऐसी इकाइयों के साथ किसी तरह का लेनदेन न करें। इन ऐप के इस्तेमाल में लिप्त पाए जाने पर संबंधित लोगों के खिलाफ जुर्माना भी लगाया जा सकता है।’
उन्होंने कहा कि इससे पहले की और देर हो जाए, इस मामले में नियामक, औद्योगिक संगठनों, उपभोक्ता समूहों को एक साथ मिलकर कदम उठाना चाहिए ताकि वे ऐसे संदेहास्पद ऐप के खिलाफ समय रहते कार्रवाई की जा सके।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सितंबर 2022 में फेमा के तहत ओक्टाएफएक्स की बैंक में जमा राशि (21.14 करोड़ रुपये) जब्त कर ली और अप्रैल 2023 में पीएमएलए के तहत 34.75 करोड़ रुपये की जायदाद पर भी ताला जड़ दिया था। ईडी ने टीपी ग्लोबल के जरिये अवैध तरीके से 118.27 करोड़ रुपये के विदेशी मुद्रा विनिमय करने वाले कुछ लोगों की जायदाद भी जब्त कर ली थी।
इंडसलॉ में संस्थापक पार्टनर अविमुक्त डार ने कहा, ‘लोगों को जोखिम की आशंका वाले विदेश से परिचालन करने वाले इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग ऐप के माध्यम से विदेशी मुद्रा में कारोबार करने से रोकना सरकार की नीति का हिस्सा है। इन ऐप के साथ जोखिम इसलिए होता है कि कि ये ईटीपी भारत से परिचालन नहीं करते हैं। लोगों के साथ किसी तरह की धोखाधड़ी होने की स्थिति में सरकार उनकी मदद करने में स्वयं को असमर्थ पा सकती है।’
ये ईटीपी ऐसी योजनाओं की पेशकश करते हैं जिन्हें समझना खुदरा निवेशकों के लिए अत्यधिक पेचीदा हो सकता है। डार ने कहा कि ऐसी योजनाएं तकनीकी बातें समझने में सक्षम लोगों के लिए अधिक उपयुक्त हो सकती हैं और जानकारी के अभाव में अगर जोखिम ठीक तरह से समझ में ना आए तो लेने के देने पड़ सकते हैं।
डार ने कहा, ‘2018 में जारी आरबीआई के निर्देश का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक ईटीपी भारत से परिचालन करे। इसके अलावा इन ईटीपी की इतनी हैसियत भी होनी चाहिए कि दिवालिया होने की स्थिति में वे लोगों के दावों का भुगतान कर पाएं। एक अन्य मानक मजबूत ढांचे जैसे डेटा सुरक्षा और धन शोधन निरोधक उपायों से जुड़ा है।
आखिर में, ऐसे ईटीपी के परिचालन के लिए इनके प्रबंधन को चुस्त-दुरुस्त होना चाहिए। आरबीआई सार्वजनिक हित में घोषणाओं के माध्यम से विदेशी ऐप से जुड़े जोखिमों खत्म करने का प्रयास करता रहता है। इसका कारण यह है कि इनमें किसी भी ऐप पर आरबीआई नजर नहीं रख सकता है और लापरवाही और नासमझी के कारण और धोखाधड़ी का शिकार होकर लोग (भारतीय उपयोगकर्ता) वित्तीय नुकसान उठा सकते हैं।