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पीएम ई-ड्राइव और पीएम ई-बस सेवा से इलेक्ट्रिक बस अभियान को मिलने वाली है रफ्तार, उद्योग की बढ़ी उम्मीदें

नई पीएम ई-ड्राइव पहल के तहत 14,028 बसें खरीदने के लिए आवंटन 40 प्रतिशत यानी 4,391 करोड़ रुपये बढ़ाकर 10,900 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

Last Updated- September 13, 2024 | 11:28 PM IST
Electric Bus Company PMI Electro

देश का सार्वजनिक परिवहन, हरित भविष्य की ओर बढ़ रहा है। 10,900 करोड़ रुपये की पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवॉल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल इनहैंसमेंट (पीएम ई-ड्राइव) और 3,435.33 करोड़ रुपये की पीएम ई-बस सेवा पेमेंट सिक्योरिटी मैकेनिज्म (पीएसएम) योजना शुरू किए जाने के साथ उद्योग की उम्मीदें बढ़ी हैं कि इससे इलेक्ट्रिक बस (ई-बस) की उल्लेखनीय रूप से बढ़ावा मिलेगा।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के वाहन पोर्टल के मुताबिक भारत में 1 जनवरी, 2019 और 13 सितंबर, 2024 के बीच कुल 3,73,810 बसें बिकीं, जिनमें सिर्फ 2.4 प्रतिशत यानी 9,108 बसें ही इलेक्ट्रिक बसें थीं।

7,210 ई बसें खरीदने के लिए 3,545 करोड़ रुपये के आवंटन (फेम-2 के 11,500 करोड़ रुपये बजट का 30 प्रतिशत) और 10,000 ई-बसों से सिटी बस सेवा के परिचालन को गति देने के लिए 57,613 करोड़ रुपये की पीएम ईबस सेवा शुरू किए जाने के बावजूद इनकी स्वीकार्यता सुस्त रही है।

नई पीएम ई-ड्राइव पहल के तहत 14,028 बसें खरीदने के लिए आवंटन 40 प्रतिशत यानी 4,391 करोड़ रुपये बढ़ाकर 10,900 करोड़ रुपये कर दिया गया है। उद्योग से जुड़े लोगों को भरोसा है कि इस बढ़े आवंटन से ई-बस की स्वीकार्यता को आवश्यक गति मिलेगी।

पीएमआई इलेक्ट्रो मोबिलिटी की सीईओ आंचल जैन ने कहा, ‘इस नीति से प्रमुख उम्मीदें पूरी हुई हैं। चार्जरों के लिए प्रोत्साहन बढ़ाने और पीएसएम पेश किए जाने से इसके हिस्सेदारों का भरोसा बढ़ेगा।’

पीएम ई-ड्राइव के तहत सरकार ने 1,800 फास्ट चार्जर्स लगाने के लिए प्रोत्साहनों की घोषणा की है। इसके साथ ही पीएसएम योजना से सार्वजनिक परिवहन अधिकारियों (पीटीए) को वित्त वत्त 2024-25 से वित्त वर्ष 2028-29 के बीच 38,000 इलेक्ट्रिक बसों (ई-बसों) की खरीद व परिचालन को प्रोत्साहन मिलेगा।

जेबीएम ऑटो के वाइस चेयरमैन और प्रबंध निदेशक निशांत आर्य ने कहा, ‘मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) को बहुप्रतीक्षित प्रोत्साहन मिलने से हाशिये पर पड़े ई-बस सेक्टर को स्थापित होने में मदद मिलेगी और इससे उल्लेखनीय रूप से वैश्विक निवेशक आकर्षित होंगे।’

अब तक ई-बस ओईएम टेंडरों में हिस्सा लेने से हिचकती रही हैं क्योंकि ज्यादातर पीटीए घाटे में परिचालन कर रही हैं और इससे बस का आवंटन अव्यावहारिक हो जाता है। उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा कि टेंडरिंग में देरी भी ई-बस की स्वीकार्यता की राह में बड़ा व्यवधान रहा है।

एनआरआई कंसल्टिंग ऐंड सॉल्यूसंस में सीएएसई के विशेषज्ञ प्रीतेश सिंह ने कहा, ‘पीटीए की खराब वित्तीय स्थिति ओईएम को नीलामी में हिस्सा लेने से हतोत्साहित करती है। इसके अलावा कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (सीईएसएल) द्वारा टेंडरिंग में देरी की वजह से भी ई-बसों की स्वीकार्यता की रफ्तार कम रही है।’

सीईएसएल ने 3,825 इलेक्ट्रिक बसों के लिए पहली निविदा 17 नवंबर, 2023 को जारी की गई। उसके बाद 14 मार्च, 2024 को 3,132 ईबसों की दूसरी निविदा जारी हुई। बहरहाल पहले दौर के टेंडर अभी दिए जाने हैं।

एक ई-बस विनिर्माता ने कहा कि सीईएसएल ने बोली की प्रक्रिया पूरी कर ली है, लेकिन इसे आवंटित किया जाना अभी बाकी है।

एक ई-बस विनिर्माता ने नाम सार्वजनिक न करने की शर्त पर कहा, ‘निविदा की तिथि बीत चुकी है, लेकिन हिस्सेदारों को अभी टेंडर नहीं दिया गया है। निविदा के तहत नीलामी की 3,825 बसों में 1,400 से कुछ अधिक आवंटित की गई हैं।’

पहले टेंडर की मौजूदा स्थिति को लेकर सीईएसएल को भेजे गए पत्र का जवाब अखबार छपने तक नहीं मिल पाया।

First Published - September 13, 2024 | 10:59 PM IST

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