Digital Personal Data Protection: सोशल मीडिया कंपनियां, दूरसंचार ऑपरेटर और भारतीय स्टार्टअप डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) कानून, 2023 का पूरी तरह अनुपालन करने के लिए 18 से 24 महीने की मोहलत मांगने जा रहे हैं। बिज़नेस स्टैंडर्ड को पता चला है कि वे कानून के दो प्रावधानों में तकनीकी जटिलताओं का हवाला देकर मोहलत मांग रहे हैं।
सोशल मीडिया कंपनियों, बड़े तकनीकी प्लेटफॉर्म और फिनटेक जैसी देसी एवं वैश्विक कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख उद्योग संगठन कानून के अनुपालन के लिए समय बढ़ाने की मांग कर सकते हैं। सरकार ने इस कानून का अनुपालन करने के लिए उन्हें 12 महीने दिए हैं।
उद्योग के भागीदार मानते हैं कि बच्चों से संबंधित जानकारी इकट्ठी करने और उसके इस्तेमाल के लिए माता-पिता की सत्यापन योग्य सहमति की जरूर पूरी करने में कम से कम 18 महीने लग जाएंगे।
उद्योग के एक अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि अभिभावक की सत्यापन योग्य सहमति का मतलब है उपयोगकर्ता की सही उम्र का पता लगाना और माता-पिता के साथ बच्चे के रिश्ते का भी पता लगाना। इसके लिए कई जानकारी जुटानी होगी। कई देश इस पर करीब 8 साल से जूझ रहे हैं।
सूत्रों ने कहा, ‘हमने अपनी प्रोडक्शन टीम से सुना है कि यह काम उतना आसान नहीं है। इसके लिए उन्हें पहले प्रोटोटाइप यानी नमूना बनाना होगा और फिर प्रणाली की सटीकता तथा सुरक्षा की जांच करनी होगी। इसके अलावा इस प्रणाली भारत के 80 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के लिहाज से बढ़ानी भी होगी। इसलिए इस तरह की जानकारी जुटाना काफी जटिल हो जाएगा।’
एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘माता-पिता की सत्यापित सहमति के लिए ई-केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) के इस्तेमाल की बात भी चल रही है। यह पूरे मामले को और भी जटिल बना देगा। इस मामले में प्लेटफॉर्मों को न केवल अपने एपीआई बल्कि ईकेवाईसी सेवा का लाभ उठाने वाले तीसरे पक्ष के ऐप के संचालन ढांचे और तकनीकी तौर-तरीकों को भी परखना होगा।’
भागीदारों ने कहा कि ईकेवाईसी को लागू करने से स्टार्टअप और छोटी कंपनियों का खर्च काफी बढ़ जाएगा। इस मामले के जानकारों के मुताबिक अमेरिका-भारत व्यापार परिषद, आईटीआई काउंसिल, फिक्की तथा आईएएमएआई जैसे उद्योग संगठन फिलहाल इस मामले में भारत में सक्रिय विभिन्न कंपनियों और स्टार्टअप से जानकारी जुटा रहे हैं। अगले कुछ दिनों में औपचारिक प्रतिक्रिया सौंपी जा सकती है।
आईटीआई काउंसिल में कंट्री डायरेक्टर कुमार दीप ने कहा, ‘डेटा संरक्षण कानून के विभिन्न प्रावधानों का पालन करने के लिए हमारी कंपनियों को जिस तरह के ढांचे की व्यवस्था करनी होगी, उसके लिए हम सरकार से 9 से 24 महीने की उपयुक्त समयसीमा की मांग करेंगे।’
इस बारे में पक्ष जानने के लिए यूएसआईबीसी, फिक्की और आईएएमएआई को ईमेल भेजा गया लेकिन खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया।
सरकार द्वारा कानून को लागू करने के तौर-तरीकों पर सार्वजनिक परामर्श के बाद यह बात सामने आई है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा था कि बड़ी तकनीकी कंपनियों को उपयुक्त कारण बताने के बाद ही कानून के अनुपालन के लिए मोहलत देने पर विचार किया जाएगा।